महिलाओं के 5 कानूनी अधिकार जो जानना बहुत जरूरी है

म एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां देवी की पूजा की जाती है और महिलाओं को हर दिन किडनैप किया जाता है, हैरेस और रेप किया जाता है, उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है।

Update: 2021-11-15 14:08 GMT

जनता से रिश्ता। हम एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां देवी की पूजा की जाती है और महिलाओं को हर दिन किडनैप किया जाता है, हैरेस और रेप किया जाता है, उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है। महिलाओं से संबंधित कई मामलों पर नज़र रखते हुए, भारत सरकार भारतीय महिलाओं को महत्वपूर्ण अधिकार प्रदान करती है।

यह सभी अधिकार जेंडर डिस्क्रिमिनेशन को मिटाने और जीवन के हर क्षेत्र में महिलाओं के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए हैं। लेकिन हमारे समाज में शिक्षित होने के बावजूद भी महिलाओं को अपने हक और अधिकार से जुड़े कानून के बारे में ज्यादा नहीं पता होता।

महत्वपूर्ण 5 कानूनी अधिकार जो भारत में महिलाओं की रक्षा करते हैं: Women Rights
1. घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार (Right Against Domestic Violence)
हमारे देश में ज्यादातर लड़कियां घरेलू हिंसा का शिकार होती है। घरेलू हिंसा हमेशा शारीरिक हिंसा नहीं होती, घरेलू हिंसा मानसिक, फाइनेंशियल भावनात्मक और सेक्सुअल हिंसा भी हो सकती है। भारतीय संविधान की धारा 498 के अनुसार, महिलाओं (पत्नी हो, माँ, बहन हो, महिला साथी जो साथ रहती हो ) को घरेलू हिंसा के खिलाफ सुरक्षा का अधिकार है फिर चाहे वो पति हो, लिव इन पार्टनर या रिश्तेदार। इस तरह की घरेलू हिंसा को दंडनीय अपराध माना जाता और इसकी सजाह गैर जमानती कारावास के भीतर 3 साल की कैद और जुर्माने हो सकती है।

2. वर्कप्लेस हैरेसमेंट के खिलाफ अधिकार (Right Against Workplace Harassment)
बहुत सी महिलाएं कार्यस्थल में हैरेसमेंट का शिकार होती हैं। कार्यस्थल पर सेक्सुअल हैरेसमेंट को महिलाओं के समानता, जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन माना जाता है। यह एक असुरक्षित और हॉस्टल कार्य वातावरण बनाता है, जो काम में महिलाओं की पार्टिसिपेशन को कम करता है, जिससे उनका सामाजिक और इकोनॉमिक जीवन प्रभावित होता है।
कार्यस्थल पर महिलाओं का सेक्सुअल हैरेसमेंट एक्ट, एक महिला को अपने कार्यस्थल पर किसी भी प्रकार के सेक्सुअल हैरेसमेंट के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का अधिकार देता है। इस एक्ट के तहत, एक महिला 3 महीने की अवधि के भीतर एक ब्रांच ऑफिस में एक आंतरिक शिकायत समिति (ICC) को एक लिखित शिकायत प्रस्तुत कर सकती है।
3. महिलाओं को समान वेतन का अधिकार (Right To Equal Pay)
भारत में बहुत से लोग, महिला वर्कर्स को पुरुष वर्कर्स की तुलना में कम सैलरी देते हैं। इसका कारण सिर्फ और सिर्फ जेंडर डिस्क्रिमिनेशन था। इसलिए महिलाओं के कार्य अधिकार के लिए यह अधिकार बनाया गया था। यह वेतनमान में असमानता के खिलाफ, एक राइट है। इक्वल रेम्युनेरेशन एक्ट के तहत, वेतन के मामले में महिलाओं के साथ लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।
4. पीछा किए जाने के खिलाफ अधिकार (Right Against Being Stalked)
आज से दौर में महिलाएं कहीं भी सुरक्षित महसूस नहीं करती। महिलाएं अक्सर सड़क पर, सोशल मीडिया पर पुरुष द्वारा पीछा किए जाने का शिकार होती हैं। यदि कोई किसी महिला को हर जगह उसका पीछा कर परेशान करता है यां स्पष्ट रूप से ऐसा न करने के लिए कहे जाने के बावजूद उसके साथ जबरदस्ती बातचीत करने की कोशिश करता है तब आईपीसी की धारा 354डी के तहत स्टॉकर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
5. जीरो एफआईआर का अधिकार (Right To Zero FIR)
महिलाओं को किसी भी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करने का कानूनी अधिकार है, चाहे जिस स्थान पर भी घटना हुई हो। यह पीड़ित को सही पुलिस थाने की तलाश में समय बर्बाद करने से बचाने के लिए है क्योंकि सही पुलिस थाना ढूंढने के चक्कर में अपराधी को भागने का समय मिल जाता है।
जीरो एफआईआर में, पुलिस अधिकारी पीड़ित यां मुखबिर द्वारा दर्ज की गई शिकायत को लेने कंपलसरी होता है और बाद में इसे दूसरे पुलिस स्टेशन में ट्रांसफर कर देता है जिसके अधिकार क्षेत्र में वह क्षेत्र आता है। यह अधिकार निर्भया गैंग रैप के बाद शुरू किया गया था।


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