जिला मेें सूखे से 5000 हेक्टेयर भूमि में फसल बर्बाद होने की आशंका

ऊना। सूखे की मार से जिला ऊना के गैर सिंचित क्षेत्रों की 5000 हेक्टेयर भूमि में गेहूं की फसल बर्बाद हो गई है। सैकड़ों किसानों को गेहूं की फसल सूखने से करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। सूखे के कारण गेहूं की फसल दिन-प्रतिदिन पीली पड़ रही है। कृषि विभाग के अनुसार अगर बारिश नहीं …

Update: 2024-01-25 05:48 GMT

ऊना। सूखे की मार से जिला ऊना के गैर सिंचित क्षेत्रों की 5000 हेक्टेयर भूमि में गेहूं की फसल बर्बाद हो गई है। सैकड़ों किसानों को गेहूं की फसल सूखने से करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। सूखे के कारण गेहूं की फसल दिन-प्रतिदिन पीली पड़ रही है। कृषि विभाग के अनुसार अगर बारिश नहीं होती है तो किसानों को गेहूं की फसल में घाटे का आंकड़ा और अधिक बढ़ सकता है। जिससे गेहूं की पैदावार में किसानों को घाटा तो होगा ही, लेकिन पशुचारा (तूड़ी)में भी किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा। हालांकि समय पर फसल सिंचित न होने से नुकसान का आंकड़ा शुरू हो गया है, लेकिन जैसे-जैसे दिन व्यतीत हो रहे हैं, यह आंकड़ा बड़ा होता जा रहा है।

ऊना में प्रति वर्ष गेहूं की फसल की पैदावार 80 हजार मीट्रिक टन के करीब होती है और करीब आठ लाख क्विंटल पशुचारा (तूड़ी) निकलती है। अगर सूखे के कारण जिला ऊना में 30 प्रतिशत गेहूं की फसल सूख जाती है तो किसानों को करोड़ों रुपए का नुकसान होगा। 35,514 हेक्टेयर भूमि में गेहूं की फसल की बिजाई की जाती है। जिसमें ज्यादातर पैदावार गैर सिंचित क्षेत्रों में की जाती है। परंतु सिंचाई का उचित साधन न होने से किसानों को हर वर्ष बारिश पर ही निर्भर रहना पड़ता है। जिला में शुद्ध बिजाई के तहत करीब 42 हजार हेक्टेयर क्षेत्र आता है, जबकि 18165 हेक्टेयर वन, 22763 हेक्टेयर बंजर व बिना खेती के क्षेत्र तथा 13427 हेक्टेयर घासनी व चरागाहे आती है। ऊना जिला के 65970 परिवारों में से 70 प्रतिशत से अधिक कृषि पर निर्भर करते है। हर साल 30783 हेक्टेयर में मक्की की खेती, 1871 हेक्टेयर में धान, 35514 हेक्टेयर में गेहूं, 741 हेक्टेयर में दाले, 1270 हेक्टेयर में तिलहन फसलें, 420 हेक्टेयर में सब्जियां तथा 137 हेक्टेयर में गन्ने तथा 945 हेक्टेयर में आलू का उत्पादन किया जाता है।

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