चीन से बात नहीं बनेगी ?
वांग प्रस्ताव लेकर आए कि भारत और चीन बाकी संबंधों को सीमा विवाद का बंधक ना बनाने की पुरानी नीति पर सहमत हो जाएं
By NI Editorial
वांग प्रस्ताव लेकर आए कि भारत और चीन बाकी संबंधों को सीमा विवाद का बंधक ना बनाने की पुरानी नीति पर सहमत हो जाएं, नए हालात में दोनों देशों के बीच कई मोर्चों पर सहयोग की गुंजाइश बन सकती है। लेकिन भारत ने स्पष्ट किया कि सीमा पर तनाव और बाकी संबंधों में मधुरता संभव नहीं है। India china border dispute
चीन के विदेश मंत्री वांग यी भारत का मूड भांपने आए थे। वे जानना चाहते थे कि यूक्रेन संकट पर भारत ने जो स्वतंत्र रुख अपनाया, क्या वह भारत की विदेश नीति में किसी बुनियादी बदलाव का संकेत है? यानी भारत ने रूस के साथ सिर्फ अपने ऐतिहासिक और खास रक्षा संबंधों की वजह से यूक्रेन मामले में तटस्थ रुख अपनाया है, या वह दुनिया में उभर रहे नए समीकरणों के बीच अपनी भूमिका और स्थान को फिर से तय करने की प्रक्रिया में जुटा हुआ है। वांग की यात्रा के पहले चीन के सरकार समर्थक अखबार द ग्लोबल टाइम्स ने अपनी एक टिप्पणी में लिखा था कि यूक्रेन पर भारत के तटस्थ रुख अपनाने से एक नई ओपनिंग (शुरुआत) की संभावना बनी है। लेकिन भारत सरकार ने वांग के आने के पहले ही यह संकेत देना शुरू कर दिया था कि ऐसी धारणाएं निराधार हैँ। जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरीसन के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वार्ताओं का कुल निष्कर्ष यह रहा कि भारत सिर्फ एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी रणनीति के साथ है। जबकि चीन के लिए यही क्षेत्र सबसे अहम है।
फिर भी वांग यह प्रस्ताव लेकर आए कि भारत और चीन अगर बाकी संबंधों को सीमा विवाद का बंधक ना बनाने की पुरानी नीति पर सहमत हो जाएं, नए हालात में दोनों देशों के बीच कई मोर्चों पर सहयोग की गुंजाइश बन सकती है। लेकिन भारत ने स्पष्ट किया कि सीमा पर तनाव और बाकी संबंधों में मधुरता संभव नहीं है। भारत ने अपना यह रुख दोहराया है कि चीन सीमा पर सैन्य जमावड़ा खत्म करे, तभी द्विपक्षीय तनाव के घटने की शुरुआत हो सकती है। चीन ऐसा करेगा, इसकी संभावना नहीं है। इसलिए कि वह लगातार यह संकेश देता रहा है कि उसने एकतरफा से ढंग से 1959 के नक्शे को लद्दाख सेक्टर में लागू कर दिया है। यह नक्शा चीन ने तत्कालीन भारत सरकार को सौंपा था, जिसे तब से लेकर आज तक भारत अस्वीकार करता रहा है। स्पष्टतः यह टकराव का ऐसा मुद्दा है, जिसका आसान समाधान नहीं है। बल्कि अंदेशा यह है कि ये तनाव सैनिक टकराव की हद तक जा सकता है। तो फिलहाल, सार यह है कि वांग की यात्रा से बात नहीं बनी। जो जमीनी हालात हैं, उन्हें देखते हुए कहा जा सकता है कि फिलहाल बात बनने की ज्यादा गुंजाइश नहीं है। India china border dispute