Winter Session: शीत सत्र में क्षेत्रीय पार्टियां बनाएंगी दबाव

उनमें एंटी-मैरीटाइम पाइरेसी बिल, 2019 और नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (संशोधन) विधेयक, 2022 शामिल हैं।

Update: 2022-12-07 02:30 GMT
गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों पर टीवी चैनलों के एक्जिट पोल के नतीजे की पृष्ठभूमि में आज से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है। पुराने संसद भवन में दोनों सदनों की यह आखिरी बैठक होगी, क्योंकि जनवरी, 2023 में बजट सत्र के लिए नए संसद भवन का उद्घाटन होना तय है। संसद के शीत सत्र का समापन 29 दिसंबर, 2022 को होगा और इस दौरान 17 दिन काम होगा। यह पहली बार है, जब शीतकालीन सत्र छोटा किया गया है। यह सत्र इसलिए भी इतिहास में जाना जाएगा कि सदस्य अपने मोबाइल फोन के जरिये अपनी ई-उपस्थिति दर्ज कर सकते हैं। अब सांसदों को रजिस्टर पर हस्ताक्षर करने की जरूरत नहीं है।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने 95 फीसदी सफलता दर के साथ कागज रहित लोकसभा बनाने में सफलता प्राप्त कर ली है। यह सत्रहवीं लोकसभा का दसवां सत्र है। यह पहला शीतकालीन सत्र होगा, जब विदेश मंत्री एस जयशंकर 18 देशों की यात्रा के दौरान अपनी द्विपक्षीय वार्ता के बारे में बयान देंगे, जिसका परिणाम विश्व नेताओं के साथ बेहतर समन्वय के रूप में सामने आया। यह अपनी तरह का पहला सत्र होगा, जब भारत जी-20 का नेतृत्व करने के साथ-साथ जुलाई, 2023 में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक की भी अध्यक्षता करेगा। ये भारत के विश्व शक्ति बनने की शुरुआत को चिह्नित करता है, जिसके लिए भाजपा कहती है कि भारत 'विश्व गुरु' बनेगा।
यह पहला सत्र होगा, जब राज्यसभा के सभापति के रूप में उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पीठासीन होंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के सांसद सभापति के साथ कैसा व्यवहार करते हैं। राजनीतिक पर्यवेक्षक इसका कारण जानते हैं कि मुख्यमंत्री और राज्यपाल के रूप में ममता बनर्जी और जगदीप धनखड़ के संबंध अच्छे नहीं रहे। इस सत्र में कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो यात्रा के कारण संसद में उपस्थित नहीं रहेंगे, इसलिए कांग्रेस में कोई दम नहीं होगा। लेकिन तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, के चंद्रशेखर राव की बीआरएस (पहले टीआरएस), जदयू और चिराग पासवान की पार्टी का व्यवहार कैसा रहेगा? क्या चिराग बिहार में नीतीश कुमार की सरकार को चिढ़ाएंगे? द्रमुक राज्यों के राज्यपालों की अनुचित शक्ति का मुद्दा उठाने को तैयार है।
अब जब तीन राज्यपाल अपने मुख्यमंत्रियों के साथ ठीक से व्यवहार नहीं कर रहे हैं, तो तीन क्षेत्रीय दलों ने राज्यपाल की शक्तियों पर सवाल उठाने का मन बना लिया है। तेलंगाना, तमिलनाडु और केरल के राज्यपाल रोजमर्रा के प्रशासन में दखल दे रहे हैं। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान कुलपतियों की तरह अपनी पूर्ण शक्तियों का अनुचित लाभ उठा रहे हैं। वह सीपीएम के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन को निशाने पर लेते रहते हैं। तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने नीट और ऑनलाइन गेम जैसे अन्य विधेयकों पर हस्ताक्षर नहीं किए। द्रमुक ने आरोप लगाया है कि आरएन रवि आरएसएस की विचारधारा का प्रचार कर रहे हैं। और दिलचस्प बात यह है कि तेलंगाना की राज्यपाल डॉ. तमिलिसै सौंदरराजन मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव से चिढ़ती हैं। वह बहुत मुखर हैं। तमिलिसै द्रमुक सरकार पर भी टिप्पणी कर रही हैं। विपक्ष राज्यपालों की शक्तियों पर बहस की मांग करने के लिए तैयार है।
चाहे जिस भी तरह से देखें, जीत पर या एक ही सरकार के बार-बार सत्ता में आने पर संसद के दोनों सदनों में कोहराम मच जाएगा। कांग्रेस पार्टी के नेता भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त हैं। आधिकारिक तौर पर यह कहा गया है कि राहुल गांधी लोकसभा के शीत सत्र की कार्यवाही से बाहर रहेंगे। लेकिन मल्लिकार्जुन खड़गे, जो राज्यसभा में विपक्ष के नेता भी हैं, पहली बार सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के अध्यक्ष के तौर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए तैयार हैं। विपक्ष गुजरात में मोरबी पुल हादसे का मुद्दा उठाने के लिए पूरी तरह तैयार है। लोकसभा अध्यक्ष चाहे मानें या न मानें, कांग्रेस के नेता खुले तौर पर कह रहे हैं कि वे इसे दोनों सदनों में उठाएंगे। कांग्रेस श्रीलंका के हम्बनटोटा बंदरगाह पर चीनी जासूसी जहाज के ठहरने का मुद्दा भी उठाएगी, जो एक गंभीर मुद्दा है। इसके अलावा यूक्रेन युद्ध और क्वाड पर भी चर्चा हो सकती है। जैसा कि संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने ट्वीट किया, सरकार अमृत काल सत्र के दौरान विधायी कार्य और अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए उत्सुक है। सरकार रचनात्मक बहस के लिए तत्पर है। क्या विपक्ष सरकार को सुचारू सत्र चलाने में मदद करेगा? सरकारी कामकाज की सूची देखें, तो यह लंबी है। कुछ सबसे महत्वपूर्ण विधेयक हैं, जिन्हें सरकार पारित करवाना चाहती है।
नरेंद्र मोदी सरकार संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान करीब 16 नए विधेयक ला सकती है। संसद में पेश करने, विचार करने और पारित करने के लिए सूचीबद्ध विधेयकों में ट्रेडमार्क्स (संशोधन) विधेयक और डेंटल बिल शामिल हैं। ट्रेड मार्क विधेयक मैड्रिड पंजीकरण प्रणाली के पहलुओं को शामिल करने, कारण बताओ, सुनवाई और विपक्ष की सुनवाई से संबंधित प्रक्रिया में संशोधन करने और ट्रेड मार्क कार्यालय द्वारा इलेक्ट्रॉनिक संचार को शामिल करने का प्रयास करता है। डेंटल बिल दंतचिकित्सा अधिनियम, 1948 को निरस्त करना और नेशनल डेंटल कमीशन की स्थापना करना चाहता है। जो बिल पहले ही पेश किए जा चुके हैं वे चर्चा एवं पारित करने के लिए लाए जाएंगे, उनमें एंटी-मैरीटाइम पाइरेसी बिल, 2019 और नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (संशोधन) विधेयक, 2022 शामिल हैं।

सोर्स: अमर उजाला

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