क्या पिघलेगी बर्फ...

गलवान में हुई हिंसक झड़प के बाद से ही लद्दाख में भारत और चीन के रिश्ते काफी खराब चल रहे हैं।

Update: 2021-01-25 09:48 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। गलवान में हुई हिंसक झड़प के बाद से ही लद्दाख में भारत और चीन के रिश्ते काफी खराब चल रहे हैं। दोनों की सेनाएं भारी हथियारों के साथ आमने-सामने हैं। भारत ने आर्मी, एयर फोर्स और नेवी तीनों के सैनिक और खतरनाक कमांडो इलाके में तैनात कर रखे हैं। फाइटर जेट रोजाना उड़ान भर रहे हैं। कई महीनों की रसद पहले ही पहुंचा दी गई है। चीन की तरफ से भी ऐसी ही तैयारी है। हमारे जवान शून्य से भी कम तापमान पर तैनात हैं जबकि चीन के सैनिकों की दशा बहुत खराब है क्योंकि उन्हें तो शून्य से कम तापमान में रहकर ड्यूटी निभाने का कोई अनुभव ही नहीं है। चीन के सैनिक लगातार अस्वस्थ हो रहे हैं।


तनाव को कम करने के लिए भारत और चीन के कोर कमांडर स्तर की बातचीत चुशुल सैक्टर के मोल्डी में हुई। कई महीनों के तनाव को सुलझाने के लिए 8 बार की बातचीत हो चुकी है। पिछले वर्ष 6 नवम्बर को दोनों सेनाओं के अधिकारियों की बातचीत हुई थी। ढाई महीने बाद हो रही इस बैठक में कोई हल निकलेगा ऐसी उम्मीद तो की जानी चाहिए लेकिन चीन न तो पीछे हट रहा है और न ही विवाद सुलझाने के लिए कोई ठोस कदम उठा रहा है। चीन ने भारत से ऐसे कड़े प्रतिरोध की कल्पना भी नहीं की होगी। डोकलाम में तो उसे भारत के कड़े प्रोटेस्ट के बाद हटना ही पड़ा था।

अब महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या दोनों देशों के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलेगी या नहीं? क्या बातचीत के सकारात्मक परिणाम आएंगे या फिर एक बयान जारी कर यही कहा जाएगा कि बातचीत जारी रहेगी। 1962 में चीन ने मैकमोहन लाइन को तोड़कर भारत की सीमाओं में प्रवेश किया और अपनी फौजी ताकत के बूते पर पंडित जवाहर लाल नेहरू के साथ किये गए उस दोस्ती और विश्वास के अनुबंध को तोड़ डाला। भारत की आजादी को तब केवल 13 वर्ष भी बामुश्किल से हुए थे और इससे टूटकर अलग हुए पाकिस्तान की दो तरफ सीमाओं का इंतजाम करना भारत के लिए आसान काम नहीं था, क्योंकि तब तक पाकिस्तान में फौजी शासन आ चुका था और वहां के फौजी हुकमरानों के लिए केवल भारत ही पक्का दुश्मन था।

आज का भारत 2021 का भारत है। अब हमारी सेनाएं हर मोर्चे पर चीन को कड़ी टक्कर देने को तैयार हैं लेकिन चीन ने अरुणाचल प्रदेश में नया फ्रंट खोल दिया है। चीन ने अपना पुराना रवैया दोहराते हुए कहा है कि तिब्बत के दक्षिणी हिस्से जंगनान क्षेत्र जो कि भारत का अरुणाचल प्रदेश है, को लेकर उसकी नीति में बदलाव नहीं आया है और वह अरुणाचल को मान्यता नहीं देता है। हाल ही में यह विवाद तब उठा जब अरुणाचल प्रदेश के सुबनसिरी जिले में सरी चू नदी के पास एक छोटा गांव बसा देने की चीनी साजिश का खुलासा हुआ। सुबनसिरी जिले का यह इलाका एलओसी से सटा है लेकिन चीन ने ​इस पर कब्जा कर रखा है। चीन ने इसे अवैध रूप से कब्जाया हुआ है। यदि यह इलाका विवादित भी है तो भी उसने यथास्थिति में परिवर्तन कर दिया है। यह इलाका सामारिक और रणनीतिक दृष्टि से बहुत ही संवेदनशील है। चीन ने भारत को घेरने के लिए नई जगह तलाश कर ली है। पिछले कई वर्षों से चीन ने अरुणाचल प्रदेश के सीमांत इलाकों में तेजी से अपना जाल फैलाया है और चीन ने सैन्य गतिविधियों के लिए बुनियादी ढांचा खड़ा कर लिया है। तिब्बत की राजधानी ल्हासा से न्यागंची तक रेल लाइन बिछाने की परियोजना पर तेजी से काम किया है और यह रेल लाइन अरुणाचल के पास से गुजरती है।

चीन अरुणाचल से लेकर डोकलाम और गलवान घाटी तक भारतीय सीमा क्षेत्र में पड़ने वाले इलाकों को कब्जाने की कोशिश कर रहा है और इन इलाकों को विवादित बना रहा है ताकि भारत इन इलाकों में अपनी पहुंच न बना सके। अरुणाचल के लोग पहले ही चीन के दावों से भावनात्मक रूप से घायल हैं और चीन के षड्यंत्रपूर्वक कारनामों से वे और भी ज्यादा परेशान हैं। चीन के मंसूबे ठीक नहीं लगते और वह भौगोलिक रूप से भारत को तोड़ने की कोशिश कर रहा है।

अब सवाल यह है कि दोनों देशों में वार्ता ऐसी ही चलती रहेगी और चीन अपने षड्यंत्रों को अंजाम देता रहेगा। कूटनीति मर्मज्ञ मानते हैं कि यह स्थिति अंततः युद्ध तक पहुंच सकती है। अगर भविष्य में भारत औरचीन में युद्ध की सम्भावना बढ़ती है तो वैश्विक समीकरण अब पुराने जैसे नहीं हैं। अगर अमेरिका और अन्य शक्तियां इस युद्ध में कूदती हैं तो इसकी आंच में चीन बचा रहेगा, इसकी तो कल्पना भी नहीं की जा सकती। चीन की अन्तर्राष्ट्रीय छवि पूरी तरह मानवता विरोधी बन चुकी है। वह आक्रामक जरूर है लेकिन वह भारत से कई क्षेत्रों में पिछड़ रहा है। भारत को चीन के खिलाफ अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कूटनीतिक मोर्चेबंदी करनी ही होगी। ऐसा भी नहीं है कि चीन युद्ध की भयावह को नहीं जानता। युद्ध में उसे बहुत नुक्सान झेलना पड़ सकता है। बेहतर यही होगा कि वह भारत के साथ अपने संबंधों को शांतिपूर्ण बनाए।


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