क्या कैप्टन अमरिंदर सिंह की नई पार्टी और बीजेपी के साथ उनका गठबंधन बदल पाएगा पंजाब का सियासी गणित

आखिरकार पंजाब (Punjab) में वही हुआ जिसका अनुमान तमाम लोग पहले ही लगा रहे थे

Update: 2021-10-20 14:49 GMT

संयम श्रीवास्तव  आखिरकार पंजाब (Punjab) में वही हुआ जिसका अनुमान तमाम लोग पहले ही लगा रहे थे. यानि कि कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) नई पार्टी बनाने वाले हैं. पार्टी बनाने के साथ-साथ कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने आगे की रणनीति का इशारा भी दे दिया है कि वह आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ गठबंधन करेंगे. इसके साथ ही वह अकाली दल से अलग हो चुके सुखदेव सिंह ढींडसा और रणजीत ब्रह्मपुरा के गुट को भी अपने साथ लेंगे. हालांकि अमरिंदर सिंह ने बीजेपी से गठबंधन करने को लेकर एक शर्त भी रखी है. अगर बीजेपी किसानों का हित देखते हुए किसान आंदोलन का समाधान कर देती है तो वह 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ गठबंधन कर लेंगे.

हालांकि राजनीतिक लिहाज से यह खबर उतनी चौंकाने वाली नहीं है. क्योंकि जब पंजाब के मुख्यमंत्री के तौर पर कैप्टन अमरिंदर सिंह थे और उनका नवजोत सिंह सिद्धू जो पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष थे, से विवाद चल रहा था तब कांग्रेस आलाकमान ने पूरी तरह से सिद्धू का साथ दिया था. जिसके बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया और उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा कि कांग्रेस ने उनका अपमान किया है. जाहिर सी बात है जिस नेता ने पंजाब में कांग्रेस को खड़ा किया हो, अगर पार्टी उसका अपमान करती है तो वह अपने अपमान का प्रतिशोध जरूर लेना चाहेगा. 2022 के पंजाब विधानसभा का चुनाव कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए उसी प्रतिशोध की जमीन बनेगा, जिसमें वह कांग्रेस आलाकमान समेत नवजोत सिंह सिद्धू को भी करारा जवाब देने की पूरी तैयारी कर रहे हैं.
बीजेपी के साथ गठबंधन
अकाली दल से जब से भारतीय जनता पार्टी अलग हुई है तब से उसे किसी एक ऐसे चेहरे की तलाश थी जिसके साथ वह पंजाब में विधानसभा का चुनाव लड़ सके. कैप्टन अमरिंदर सिंह भी जानते हैं कि भारतीय जनता पार्टी की पकड़ शहरी हिंदू वोटरों में अच्छी खासी है. इसलिए उन्होंने हाल ही में दिए अपने इंटरव्यू में खुलासा किया कि वह बीजेपी के साथ गठबंधन करने को लेकर तैयार हैं. बशर्ते भारतीय जनता पार्टी किसान आंदोलन का मसला हल कर ले. यहां तक कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने यह भी कहा कि बीजेपी सांप्रदायिक पार्टी नहीं है और ना ही वह एंटी मुस्लिम पार्टी है.
हालांकि इधर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बीजेपी से गठबंधन की बात कही और पंजाब कांग्रेस की तरफ से उन पर हमला भी शुरू हो गया. पंजाब सरकार में मंत्री परगट सिंह ने कहा कि अमरिंदर सिंह पहले से ही बीजेपी से मिले हुए थे और बीते ढाई साल से पंजाब में बीजेपी का ही एजेंडा लागू कर रहे थे. जबकि अकाली दल कि नेता और केंद्र सरकार में रही पूर्व मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह बीते 5 साल से बीजेपी की बोली बोल रहे थे.
दलित वोट बैंक पर कैप्टन अमरिंदर सिंह की नजर
सिंघु बॉर्डर पर तरनतारन के दलित युवक लखबीर सिंह की हत्या पर जिस तरह से राजनीतिक दलों के नेता बोलने से बचते रहे, वहीं कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस मुद्दे पर खुलकर अपनी राय रखी है. दैनिक भास्कर में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि लखबीर सिंह ने गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की होगी. जिस व्यक्ति ने लखबीर की हत्या की, हो सकता है वह नशे में रहा हो. क्योंकि निहंग सुखा नाम का एक तरह का नशा लेते हैं. उन्होंने लखबीर सिंह की हत्या को बेहद खौफनाक बताया. जाहिर सी बात है कांग्रेस पार्टी ने चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाकर लगभग 32 फ़ीसदी दलित आबादी को अपनी ओर करने की कोशिश की है. लेकिन हो सकता है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह लखबीर की हत्या या फिर अन्य मुद्दों को उठाकर दलितों का वोट बैंक साधने की पूरी कोशिश करें. दरअसल पंजाब में दलितों की आबादी 32 फीसदी है और जाट सिखों की आबादी 25 फीसदी जिससे कैप्टन अमरिंदर सिंह आते हैं. अगर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इन दोनो समुदायों को साध लिया तो पंजाब विधानसभा चुनाव में कैप्टन की स्थिति मजबूत हो सकती है क्योंकि जाट सिखों में जितनी ज्यादा कैप्टन अमरिंदर सिंह की चलती है नवजोत सिंह सिद्धू उनके सामने ठहरते भी नहीं हैं.
इस बार पंजाब सुरक्षा का मुद्दा भी गूंजेगा
कैप्टन अमरिंदर सिंह शुरू से ही पंजाब सुरक्षा की बात करते रहे हैं और नवजोत सिंह सिद्धू पर आरोप लगाते रहे हैं कि उनका लगाव भारत से ज्यादा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ है. बीजेपी के साथ उनकी नजदीकी का भी कारण यही रहा है, क्योंकि राष्ट्रवाद के मुद्दे पर बीजेपी और कैप्टन अमरिंदर सिंह की सोच एक जैसी है. अमरिंदर सिंह का कहना है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई खालिस्तानी आतंकी स्लीपर सेल के जरिए पंजाब का माहौल खराब करना चाहती है. और वह बीते 3 सालों से यह मुद्दा केंद्र सरकार के सामने उठाते रहे हैं. जब कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब के मुख्यमंत्री थे उस वक्त भी पाकिस्तान की तरफ से ड्रोन के जरिए हथियार ड्रग्स और पैसे आने की बातें सामने आती रही हैं. दरअसल पंजाब का 600 किलोमीटर लंबा इलाका इंटरनेशनल बॉर्डर से सटा है, जो सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से पंजाब के लिए बेहद अहम है.
क्या खत्म हो जाएगा किसान आंदोलन
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने साफ कह दिया है कि जब तक किसान आंदोलन के मसले पर कोई हल नहीं निकलता तब तक वह बीजेपी गठबंधन नहीं करेंगे. और भारतीय जनता पार्टी को पता है कि अगर पंजाब में अपनी स्थिति को मजबूत करना है तो कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ गठबंधन करना पड़ेगा. ऐसे में इसकी उम्मीद 100 फ़ीसदी है कि आने वाले समय में जल्द ही कोई ऐसा रास्ता निकलेगा जिससे किसान आंदोलन खत्म हो जाएगा. आपको बताते चलें कि शुरुआत में किसान आंदोलन इतना बड़ा था नहीं, उसे बड़ा करने में कैप्टन अमरिंदर सिंह का बहुत बड़ा हाथ है. पंजाब में बतौर मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने किसान आंदोलन को सींच कर आज इस मुकाम तक पहुंचाया है. जाहिर सी बात है कि अगर कैप्टन अमरिंदर सिंह बीच का रास्ता निकालते हैं तो आने वाले समय में किसान आंदोलन का हल निकल सकता है.
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