भारतीय दंड संहिता में औरत का 'वर्जिनिटी टेस्‍ट' दंडनीय अपराध क्‍यों नहीं है?

वर्जिनिटी टेस्‍ट

Update: 2021-04-12 12:44 GMT

मनीषा पांडेय। इक्‍कीसवीं सदी के मुहाने पर खड़े होकर यकीन नहीं होता कि इस देश में वर्जिनिटी टेस्‍ट जैसी क्रूर और भयानक प्रथा अब भी चल रही है. न सिर्फ चल रही है, बल्कि जाने कितनी लड़कियों की जिंदगी अब भी इसकी भेंट चढ़ रही है.


महाराष्‍ट्र के कोल्‍हापुर में हाल ही में एक चौंकाने वाले घटना हुई. कंजरभाट समुदाय की दो सगी बहनों की शादी एक ही परिवार के दो लड़कों से हुई. परंपरा के अनुसार दोनों का वर्जिनिटी टेस्‍ट हुआ. एक बहन टेस्‍ट में फेल हो गई तो उसके पति ने उस पर विवाह से पहले अन्‍य पुरुषों से संबंध बनाने का आरोप लगाते हुए उसे तलाक देने का फैसला किया. दूसरे भाई ने भी वर्जिनिटी टेस्‍ट में पास होने के बाद अपनी पत्‍नी को भी तलाक देने का फैसला किया क्‍योंकि उसकी बहन वर्जिनिटी टेस्‍ट में फेल हो गई थी. जब इन दोनों बहनों ने इसके खिलाफ अपने समुदाय की पंचायत में गुहार लगाई तो पंचायत ने भी फैसला उन दोनों लड़कों के पक्ष में सुनाया. पहले तो पंचायत ने इस मामले की सुनवाई करने के लिए लड़की की मां से 40,000 रु. मांगे. मां ने उन्‍हें पैसे दे दिए.


उसके बाद जिस दिन इस मामले पर विचार करने पंचायत बैठी, उनके फैसले से दोनों लड़कियों और उनकी मां के पैरों के नीचे से मानो जमीन ही खिसक गई. पंचायत ने कहा कि इन दोनों बहनों को तलाक स्‍वीकार करना होगा. दोनों लड़के उन्‍हें तलाक देंगे. इतना ही नहीं, एक बहन के वर्जिनिटी टेस्‍ट में फेल होने के कारण पंचायत ने फैसला सुनाया कि पूरा समुदाय उस लड़की का सामाजिक बहिष्‍कार करेगा.

सुनने में ये किसी फिल्‍मी कहानी जैसी बात लगती है. 200 पहले के किसी समाज की कहानी, लेकिन ये इसी साल फरवरी, 2021 की घटना है. पंचायत से निराश होने के बाद लड़कियों की मां ने महाराष्‍ट्र में काम कर रहे एक एनजीओ महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति से मदद की गुहार लगाई और उनकी मदद से पुलिस के पास पहुंची.

फिलहाल अब मामला पुलिस के पास है और पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की कुछ धाराओं और महाराष्‍ट्र के कानून महाराष्ट्र प्रोहिबिशन ऑफ पीपल फ्रॉम सोशल बॉयकॉट एक्ट के तहत लड़कियों के ससुराल वालों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है. दोनों लड़कियों के पतियों और सास के खिलाफ केस दर्ज हुआ है. साथ ही पंचायत के कुछ सदस्‍यों को मिलाकर कुल आठ लोग इस मामले में नामजद हैं.

 
कंजरभाट समुदाय गुजरात और महाराष्‍ट्र के एक छोटे से हिस्‍से में पाया जाने वाला समुदाय है. इस समुदाय में वर्जिनिटी टेस्‍ट की प्रथा का पालन बहुत कट्टरता के साथ किया जाता है. अगर कोई प्रथा पर सवाल करे या उंगली उठाए तो पूरा समाज मिलकर उसका बहिष्‍कार कर देता है. उसे समाज से निष्‍कासित कर दिया जाता है. इस सामाजिक बहिष्‍कार के डर से बहुत सारे लोग मन ही मन इसे गलत मानते हुए भी इसके खिलाफ आवाज नहीं उठा पाते.

ऐश्‍वर्या तमाईचिकार वह पहली लड़की है, जिसने इस घटिया परंपरा के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने का साहस दिखाया. ऐश्‍वर्या की शादी मई, 2018 में विवेक नाम के लड़के से हुई. तीन साल पहले जब दोनों की शादी तय हुई थी, तब भी ऐश्‍वर्या के मन में ये सवाल तो था, लेकिन वह अपने होने वाले पति से पूछने की हिम्‍मत नहीं कर पा रही थी. फिर एक दिन विवेक ने खुद ही आगे बढ़कर पूछ लिया कि इस प्रथा के बारे में तुम्‍हारा क्‍या ख्‍याल है. बस फिर क्‍या था, ऐश्‍वर्या के सब्र का बांध मानो टूट पड़ा. उसके मन में इन क्रूरता के खिलाफ जितना अपमान, गुस्‍सा और गाली थी, सब दे डाली.

बस उसी दिन दोनों ने तय किया कि अपनी शादी में वो ये नहीं होने देंगे. शुरू में दोनों के परिवार वालों को अटपटा भी लगा और नागवार भी गुजरा. लड़के के घरवाले कहते कि लड़की चरित्रहीन हुई तो और लड़की के घरवाले कहते कि अगर लड़का खुद ही टेस्‍ट करने से इनकार कर रहा है तो इसका मतलब है कि उसमें भी कुछ खोट है. क्‍या पता, वो नपुंसक हो.

शादी के बाद जब बिना वर्जिनिटी टेस्‍ट के ऐश्‍वर्या विवेक के साथ जाने लगी तो रिश्‍तेदारों की भौंहें तन गईं. अन्‍य लड़कों ने आपत्ति जताई कि इससे समुदाय की बाकी लड़कियों पर बुरा असर पड़ेगा. उनमें बगावत जागेगी. जब इन बातों से विवेक के कान पर जूं नहीं रेंगी तो लोगों ने अपना आखिरी शस्‍त्र फेंका, अगर मेरी औरत ने पहले किसी और के साथ सेक्‍स किया होगा तो? विवेक ने सबके मुंह पर पलटकर जवाब दिया, "मेरी पत्‍नी है. मैं देख लूंगा. तुम लोग फिक्र न करो."

पहले मुझे लगता था कि अगर वर्जिनिटी टेस्‍ट जैसा कुछ होता भी है तो ये पति-पत्‍नी के आपस की बात होती होगी. इसका पूरे परिवार से क्‍या लेना-देना. लेकिन कंजरभाट समुदाय में जिस तरह ये प्रथा निभाई जाती है, उसकी ग्राफिक डीटेल्‍स काफी दहला देने वाली हैं. ये पति-पत्‍नी के बीच का निजी मामला बिल्‍कुल नहीं होता, बल्कि लड़की के माता-पिता के घर में और पूरे परिवार- रिश्‍तेदारों की मौजूदगी में ये काम होता है. टेस्‍ट से पहले इस बात की पूरी सावधानी बरती जाती है कि लड़की किसी भी प्रकार लड़के और अपने ससुराल वालों को धोखा न दे सके. कमरे के बाहर पूरा परिवार मौजूद रहता है.

 ऐश्‍वर्या तमाईचिकार और विवेक की शादी की फोटो

वर्जिनिटी टेस्‍ट पूरा होने और चादर पर खून का दाग आने के बाद उस चादर को धोया नहीं जाता, बल्कि लड़की उसे अपनी विजय पताका की तरह संभालकर रखती है. ससुराल जाने के बाद जब भी कोई घर में नई बहू को देखने के लिए आता है तो उसे वह सफेद चादर दिखाई जाती है. सब चादर को देखकर बहू की पवित्रता का गुणगान करते हैं. लड़कियां अपने परिवार में भी उस चादर को बहुत गर्व के साथ दिखाती हैं. वो लड़की को मिला उसके चरित्र और पवित्रता का अल्‍टीमेट प्रमाण पत्र होता है.

कंजरभाट समुदाय में जिस दिन लड़का-लड़की की शादी होती है तो उसके तुरंत बाद एक पंचायत बैठती है. पंचायत को इस बात की पूरी जानकारी दी जाती है कि लड़की स्‍वस्‍थ है, ठीक है, उसके शरीर पर कोई चोट या घाव नहीं है, जिससे खून निकलने की संभावना हो. इसके बाद पंचायत लड़का-लड़की को एक कमरे में भेज देती है. उनके कमरे में जाने से पहले उस जगह को ठीक से जांच कर ली जाती है कि वहां कोई ब्‍लेड, चाकू, छुरी या ऐसी नुकीली चीज न हाे, जिससे खून निकाला जा सके. लड़की के शरीर की भी कमरे में घुसने से पहले पूरी जांच होती है. इस तरह कि मानो कोई पुलिस इंस्‍पेक्‍टर थाने में जांच कर रहा हो.

उसके बाद जब लड़का-लड़की कमरे बाहर आते हैं तो पंचायत की मौजूदगी में पूरा परिवार ये चेक करता है कि चादर पर खून का दाग है या नहीं. खून हुआ तो सब खुश होते हैं और नहीं हुआ तो फिर ये लड़के और ससुराल वालों की मर्जी पर निर्भर करता है कि वो अब भी लड़की को अपने साथ लेकर जाना चाहते हैं या नहीं.

जो भी इस वाहियात और क्रूरतापूर्ण परंपरा के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्‍मत करता है, उसका सोशल बायकॉट हो जाता है.

इस पूरे परंपरा के साथ हमारे देश और कानून का एक दुखद पहलू ये भी है कि फीमेल जेनाइटल म्‍यूटिलेशन की तरह वर्जिनिटी टेस्‍ट को लेकर भी इस देश में अलग से कोई कानून नहीं है. आईपीसी की कोई ऐसी धारा नहीं है तो इसे पूरी तरह गैरकानूनी और दंडनीय अपराध घोषित कर दे. ऐसा कोई केस अगर पुलिस के पास जाता भी है तो पुलिस सामाजिक बहिष्‍कार और प्रताड़ना की धाराओं का इस्‍तेमाल करती है.

सब मनुष्‍यों के लिए न्‍याय, बराबरी और सम्‍मान का दावा करने वाले हमारे देश को एफजीएम समेत वर्जिनिटी टेस्‍ट के लिए एक ठोस कानून की जरूरत है. एक ऐसा कानून, जिसके तहत यह न सिर्फ अपराध, बल्कि दंडनीय अपराध हो. जबर्दस्‍ती शादी के बिस्‍तर पर लड़की का वर्जिनिटी टेस्‍ट करवाने वाले लोगों के लिए कठोर सजा का प्रावधान हो.
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