नवजोत सिंह सिद्धू को ज्यादा तवज्जो देने के मूड में क्यों नहीं है कांग्रेस आलाकमान?

नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) के इस्तीफे को कांग्रेस (Congress) हाईकमान ज्यादा तवज्जो देने के मूड में नहीं है

Update: 2021-09-29 12:13 GMT

पंकज कुमार नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) के इस्तीफे को कांग्रेस (Congress) हाईकमान ज्यादा तवज्जो देने के मूड में नहीं है. देहरादून से सीधा चंडीगढ़ जाने वाले पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत (Harish Rawat) चंडीगढ़ जाने की योजना त्याग चुके हैं. कांग्रेस हाईकमान नाराज सिद्धू को मनाने को लेकर झुकने को तैयार नहीं है और सिद्धू से डील करने की जिम्मेदारी पूरी तरह से सूबे के नवनियुक्त सीएम चन्नी के हवाले छोड़ दिया गया है. नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे के बाद कांग्रेस की किरकिरी जितनी भी हुई हो लेकिन हाईकमान इसे ज्यादा तवज्जो देने की फिराक में नहीं है. पंजाब प्रदेश के नवनियुक्त सीएम चरणजीत सिंह चन्नी को पार्टी हाईकमान ने सिद्धू से डील करने का आदेश दे दिया है.

पंजाब कांग्रेस (Punjab Congress) के दो दिग्गज नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री अश्वनी कुमार और मनीष तिवारी ने पंजाब घटना को लेकर नए प्रदेश अध्यक्ष को चुनने की सलाह दे डाली है. ज़ाहिर है सिद्धू भले ही इस्तीफे के जरिए दबाव बनाने की फिराक में हों लेकिन सिद्धू की चाल उल्टी पड़ती दिखाई पड़ रही है. चन्नी और सिद्धू के बीच होने वाली बातचीत में इक्के दुक्के नियुक्तियों को लेकर असहमति दूर की जा सकती है लेकिन सिद्धू सुपर सीएम की तरह काम करने की चाहत को अंजाम दे सकेंगे ऐसा संभव नहीं दिखाई पड़ रहा है.
कांग्रेस हाईकमान सिद्धू को ज्यादा तवज्जो देने के मूड में क्यों नहीं है?
कांग्रेस हाईकमान ने पंजाब के तत्कालीन सीएम अमरिन्दर सिंह को सत्ता से बेदखल करने की मुहिम में सिद्धू का सहारा लिया था. कैप्टन अमरिन्दर सिंह बगावत का रास्ता न अख्तियार कर लें इस लिए कांग्रेस हाईकमान ने दलित नेता चरणजीत सिंह को सीएम बनाना जरूरी समझा. ज़ाहिर है कांग्रेस, दलित को सीएम बनाकर पंजाब कांग्रेस के गतिरोध को दूर करने में कामयाब रही. वहीं दलित कार्ड खेलकर सूबे में दलितों को अपने साथ जोड़ने का दांव भी खेला गया. कांग्रेस ने दूसरी तरफ विपक्ष की धार को भी कुंद करने का प्रयास किया है क्योंकि शिरोमणी अकाली दल और बीएसपी पंजाब में गठबंधन कर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सामने चुनौती पेश करने वाले हैं.
ऐसे में नवजोत सिंह सिद्धू की सीएम बनने की चाहत धरी की धरी रह गई. चरणजीत सिंह चन्नी की आड़ में सिद्धू पंजाब की सरकार में अपना दबदबा चाहते थे लेकिन उनके मंसूबे पर पानी फिर गया. सिद्धू नए कार्यकारी डीजीपी इकबाल प्रीत सिंह सहोता और एडवोकेट जनरल एपीएस देओल के बहाने नवनियुक्त चन्नी सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं जिसे कांग्रेस हाईकमान ज्यादा तवज्जो देने के मूड में नहीं है. बेअदबी केस में संलिप्त अफसरों को सरकार में जिम्मेदार पद देने का आरोप लगाने का सिद्धू का दांव उल्टा पड़ता दिखाई पड़ने लगा है. कांग्रेस हाईकमान अब चन्नी को सामने रख सिद्धू को डील कर रहा है. मतलब साफ है कि सरकार चरणजीत सिंह चन्नी ही चलाएंगे और सिद्धू पार्टी का संगठन.
सिद्धू पर लगाम कसना चाह रही है कांग्रेस?
नवजोत सिंह सिद्धू अस्थिर हैं ऐसा उनके क्रियाकलाप में दिखाई पड़ता है. उनके धुर विरोधी कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने भी उनपर टीम मैन नहीं होने का आरोप लगाकर अस्थिर इंसान बताया है. ज़ाहिर है पार्टी को डर है कि सिद्धू पार्टी में टिकट बंटवारे से लेकर कई अन्य चीजों में सीधा दबाव बनाएंगे. इसलिए कांग्रेस हाईकमान उन्हें पाठ पढ़ाने की फिराक में है. कांग्रेस जानती है कि दलित सीएम चन्नी को हटाने का कांग्रेस के पास कोई विकल्प नहीं है क्योंकि दलित कार्ड खेलकर कांग्रेस पूरे देश में दलित विरोधी नहीं दिखना चाहती है. ऐसे में कांग्रेस ने सिद्धू को सीधा संदेश देकर साफ कर दिया है कि पार्टी लाइन पर चलें तो बेहतर है वर्ना पार्टी उन्हें पार्टी लाइन से हटकर अपनी शर्तों पर चलने की आजादी देने वाली नहीं है.
कांग्रेस हाईकमान समझ चुकी है कि सिद्धू अगर पार्टी छोड़ते भी हैं तो इसका नुकसान ज्यादा नहीं होने वाला है क्योंकि अमरिंदर सिंह की नाराजगी बहुत हद तक दूर हो गई है. वहीं सिद्धू के बार-बार बागी रुख अख्तियार करने का खामियाजा सिद्धू को भुगतना पड़ेगा और इससे पार्टी का नुकसान नहीं के बराबर होने वाला है. सिद्धू अपने लगातार बगावती तेवर की वजह से अलग थलग पड़ चुके हैं. उनके साथ एक मंत्री और तीन नेता के अलावा कोई खड़ा नहीं हैं. ज़ाहिर है ज्यादातर कांग्रेसी विधायक और नेता पार्टी के साथ दिखाई पड़ रहे हैं. इसलिए नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर कांग्रेस हाईकमान के तेवर तल्ख नजर आ रहे हैं.


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