UP में प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर क्यों आउट हो जाते हैं?

सरकार और सिस्टम की खामियों का पूरा हर्जाना छात्रों को भरना पड़ता है

Update: 2021-11-30 15:11 GMT

संयम श्रीवास्तव  सरकार और सिस्टम की खामियों का पूरा हर्जाना छात्रों को भरना पड़ता है. वो प्रतियोगी छात्र जो पहले तो साल भर मेहनत करते हैं और बाद में जब ट्रेनों-बसों में धक्के खा कर परीक्षा सेंटर पर पहुंचते हैं तो उन्हें पता चलता है कि उनका पेपर ही लीक हो गया है और उसकी वजह से उनकी परीक्षा को रद्द कर दिया गया है. उत्तर प्रदेश में ऐसी कई कहानियां हैं, जब पेपर लीक होने की वजह से परीक्षा को रद्द कर दिया गया, या यूं कह लें कि उत्तर प्रदेश का सिस्टम ही ऐसा हो गया है कोई भी परीक्षा बिना किसी मुसीबत के नियुक्तियों तक पहुंचती ही नहीं है. किसी में पेपर लीक हो जाता है, कहीं सवालों के जवाब गलत होते हैं तो कभी नकल की धांधली होती है. यानि कि पहले पेपर दीजिए उसके बाद रिजल्ट का इंतजार कीजिए और जो रिजल्ट आ जाए तो फिर नियुक्तियों के लिए हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाइए.

रविवार को उत्तर प्रदेश में यूपीटीईटी 2021 की परीक्षा होनी थी, जिसमें लगभग 21,65,000 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था. लेकिन परीक्षा होने से पहले ही व्हाट्सएप पर पेपर लीक हो गए और इस वजह से परीक्षा रद्द कर दी गई. अब सवाल उठता है कि सिस्टम और सरकारों की खामी की वजह से अगर पेपर लीक हो जाता है और परीक्षार्थियों को सेंटर से बिना परीक्षा दिए वापस जाना पड़ता है. तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? क्या उन परीक्षार्थियों के साथ जो प्रदेश भर के दूरदराज इलाकों से परीक्षा देने कड़कड़ाती ठंड में परीक्षा सेंटरों पर पहुंचे थे गलत नहीं हुआ.
पुलिस आरोपियों की गिरफ्तारी कर रही है
यूपीटीईटी के पेपर लीक होने की खबर जैसे ही सोशल मीडिया पर फैली, हर तरफ हंगामा हो गया. छात्र सोशल मीडिया पर ट्रेंड चलाने लगे. पुलिस ने आनन-फानन में जांच शुरू की और अब तक 29 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया. जबकि 20 से ज्यादा संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ किया गया. पता चला कि पेपर शनीवार रात ही नकल माफियाओं को मिल चुका था. शनिवार रात से रविवार सुबह तक सभी प्रश्नों के उत्तर व्हाट्सएप और टेलीग्राम ग्रुप्स पर फॉरवर्ड होने लगे थे. हालांकि इन सबके बीच सवाल उठता है कि जब मजिस्ट्रेट की निगरानी में पेपर परीक्षा से 2 घंटे पहले ही परीक्षा केंद्रों तक पहुंचाया जाता है तो ऐसे में नकल माफियाओं को पेपर मिला कहां से. आखिर नकल माफियाओं की पहुंच कितनी ऊपर तक है कि इन्हें परीक्षा से पहले ही पेपर मिल जाता है.
सरकारी प्रेस में क्यों नहीं छपते पेपर
सवाल यह भी है कि जब उत्तर प्रदेश में पेपर लीक की घटनाएं इतनी ज्यादा होती हैं, तो आखिरकार सरकारें प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर सरकारी प्रेस में क्यों नहीं छपवाते हैं. जब यूपी बोर्ड की परीक्षा के लिए करोड़ों उत्तर पुस्तिका राजकीय मुद्रणालय में छपाई जा सकती हैं, तो आखिरकार इन प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर क्यों नहीं छपवाए जाते. इन्हें क्यों निजी लोगों के हाथों में दे दिया जाता है, जो कुछ रुपयों के लालच में इसे लीक करके लाखों अभ्यर्थियों के भविष्य से खेलते हैं.
कहां से लीक हुआ पेपर
पेपर कहां से लीक हुआ फिलहाल इसका जवाब तो नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि दो जगहों से पेपर लीक हो सकता है. या तो ट्रेजरी से या फिर एजेंसी से. दरअसल यूपीटीईटी के पेपर शनिवार शाम को ही ट्रेजरी में जमा हो गए थे और सुबह 7 बजे रविवार को परीक्षा केंद्रों पर पेपर पहुंचाने के लिए ट्रेजरी खोली गई थी. अब सवाल उठता है कि आखिर रविवार रात 12 बजकर पांच मिनट पर ही नकल माफियाओं के पास पेपर कहीं ट्रेजरी से ही तो नहीं पहुंचा था
.हालांकि ट्रेजरी से ज्यादा एजेंसी से पेपर लीक होने की गुंजाइश है. क्योंकि ट्रेजरी में पेपर जमा करते वक्त और निकालते वक्त जिले के डीएम और एसपी मौजूद रहते हैं. जबकि एजेंसी जिसे परीक्षा कराने की जिम्मेदारी दी जाती है, वहां से पेपर लीक होने की संभावनाएं ज्यादा होती हैं. इस बार यूपी टीईटी का पेपर कराने की जिम्मेदारी मुंबई की एक एजेंसी को दिया गया था. इस एजेंसी ने दिल्ली के एक प्रेस से पेपर छपवाए थे और फिर यहां से प्राइवेट गाड़ियों में पेपर को सड़क के रास्ते अलग-अलग जिलों तक पहुंचाया गया था. वहीं अब पता चला है कि यूपीटीईटी के प्रश्न पत्र लीक मामले में यूपी एसटीएफ की नोएडा यूनिट ने प्रश्न पत्र छापने वाली कम्पनी के डायरेक्टर राय अनूप प्रसाद को गिरफ्तार किया है. दिल्ली के बदरपुर स्थित कम्पनी को प्रश्न पत्र छापने का ठेका दिया गया था. जांच में संलिप्तता पाए जाने पर अरेस्ट किया गया.
1 महीने के अंदर फिर से कराई जाएगी परीक्षा
यूपीटीईटी के पेपर लीक मामले को लेकर उत्तर प्रदेश के एडीजी लॉ एंड आर्डर प्रशांत कुमार ने आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा कि यूपीटीईटी 2021 की परीक्षा पेपर लीक होने के कारण रद्द हो गई है. इस मामले में एसटीएफ ने दर्जन भर से ज्यादा संदिग्धों को हिरासत में लिया है और जांच अभी जारी है. उत्तर प्रदेश सरकार 1 महीने के भीतर परीक्षा को दोबारा आयोजित कराएगी. इस मामले में उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने कौशांबी से लैब टेक्नीशियन रोशन पटेल को गिरफ्तार किया है, जिसके पास से पहला पेपर मिला था.
रोशन पटेल को रविवार रात 12 बजे के आस-पास मोबाइल पर पेपर मिला था. उसे यह पेपर संतोष नाम के एक व्यक्ति ने प्रभात नाम के एक शख्स के जरिए भेजा था. इसके लिए रोशन पटेल से नकल माफियाओं ने 5 लाख रुपए लिए था. इस मामले में मेरठ से भी तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जिनके पास से दूसरी पाली का पेपर मिला था. यह तीनों आरोपी रविवार सुबह परीक्षार्थियों को यूपीटीईटी 2021 का पेपर 50-50 हजार रुपए में बेच रहे थे. जबकि प्रयागराज से सॉल्वर गैंग के सरगना और सप्लायर को गिरफ्तार कर उनसे पूछताछ जारी है.
यूपी में पेपर लीक और परीक्षा रद्द होने का रिकॉर्ड पुराना है
उत्तर प्रदेश में प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक होने और परीक्षाओं के रद्द होने का ट्रैक रिकॉर्ड बहुत बढ़िया नहीं है. आपको याद होगा 2016 में उत्तर प्रदेश सरकार ने दरोगा, पीएसी प्लाटून कमांडर और फायर फाइटिंग अधिकारियों के लिए 3307 पदों पर भर्ती निकाली थी. जिसकी परीक्षा जुलाई 2017 में होनी थी लेकिन परीक्षा से पहले ही पेपर लीक हो गया और राज्य सरकार को यह परीक्षा रद्द करनी पड़ी थी. इसके बाद साल 2018 में यूपीएससी की एलटी ग्रेड की परीक्षा भी रद्द की गई थी. क्योंकि इस परीक्षा का हिंदी और सामाजिक विज्ञान का पेपर एग्जाम के 1 दिन पहले ही लीक हो गया था. इसी साल यूपीपीसीएल का भी पेपर लीक हो गया था. जिसके बाद परीक्षा को रद्द कर दिया गया. इस मामले में यूपी एसटीएफ ने 12 लोगों को गिरफ्तार किया था. साल 2018 में उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के ही नलकूप चालक चयन परीक्षा का पेपर लीक हो गया था, जिसके बाद आयोग ने परीक्षा रद्द कर दी थी. ऐसे ही 2019 में उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की लोअर सबोर्डिनेट परीक्षा को लेकर भी विवाद हुआ था, इस प्रतियोगी परीक्षा के भी पेपर लीक होने के साक्ष्य मिले थे, जिसके बाद इसे रद्द कर दिया गया था.
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