बात क्यों नहीं बनी?

सम्पादकीय न्यूज

Update: 2022-07-20 04:52 GMT
By NI Editorial
भारत-चीन की 16वें दौर की वार्ता में बात जहां की तहां रही। तो क्या अब यह मान लेना चाहिए कि लद्दाख में दोनों देशों के बीच सामान्य असहमतियों के अलावा कोई और मसला नहीं है?
भारत और चीन के सैनिक कमांडरों के बीच 16वें दौर की वार्ता में बात कहीं आगे नहीं बढ़ी। वार्ता के बाद जारी औपचारिक बयान में दोनों देशों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति और सुरक्षा बनाए रखने पर सहमति जताई और यह कहा कि विवाद के बाकी मुद्दों को आगे हल किया जाएगा। मार्च में हुई 15वें दौर की वार्ता के बाद भी ऐसा ही बयान सामने आया था। तो भारतीय विश्लेषकों ने 16वें दौर की वार्ता को निष्फल करार दिया है। लेकिन चीनी विश्लेषकों ने कहा है कि दोनों देश 2020 में पैदा हुए मसले से आगे निकल गए हैं। इन विश्लेषकों की बात पर गौर करें, तो समझ में यह आता है कि उनके हिसाब से अब सुलझाने के लिए कोई मुद्दा नहीं बचा है। इसके विपरीत वे यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भारत और चीन के बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर उभरी एक जैसी राय का उल्लेख करते हैँ। निष्कर्ष यह है कि चीन ने मान लिया है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अब कोई गंभीर मतभेद नहीं बचे हैँ। प्रश्न है कि भारत सरकार इस धारणा को तोड़ने के लिए क्या कर रही है? सैन्य कमांडरों की बातचीत के साथ-साथ हाल में दोनों के बीच राजनीतिक संपर्क भी सामान्य हो गया है। मार्च में चीन के विदेश मंत्री वांग यी नई दिल्ली आए थे।
हाल में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान जकार्ता में वांग से बातचीत की। व्यापार तो हमेशा ही सामान्य रहा। असल में बीते दो साल में इसमें काफी बढ़ोतरी हुई है। तो क्या यह मान लेना चाहिए कि अब लद्दाख में दोनों देशों के बीच सामान्य असहमतियों के अलावा कोई और मसला नहीं है? आखिर भारत सरकार का भी यही रुख रहा है कि वहां भारतीय इलाके में 'ना कोई घुसा है, ना कोई आकर बैठा हुआ है।' ये दीगर बात है कि कई अंतरराष्ट्रीय और देशी रिपोर्टें इससे कुछ अलग कहानी बताती हैं। लेकिन जब भारत सरकार इन कहानियों को स्वीकार ही नहीं करती है, तो फिर ये प्रश्न उठता ही है कि आखिर वार्ता में बात क्या आगे बढ़नी है? चूंकि यही स्पष्ट नहीं है, इसलिए बात आगे नहीं बढ़ रही है।
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