कृष्ण जन्म भूमि के बहाने केशव प्रसाद मौर्य किसका एजेंडा सेट कर रहे हैं?
कृष्ण जन्म भूमि के बहाने केशव प्रसाद मौर्य
संयम श्रीवास्तव। दिल्ली से 200 किलोमीटर दूर मथुरा (Mathura) में माहौल गरम है. कृष्ण जन्म भूमि (Krishna Janmabhoomi) के आसपास धारा 144 लगा दी गई है. चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई है. मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि का विवाद फिर से गरम हो गया है. लखनऊ से एक हिंदूवादी संगठन के कुछ लोगों को गिऱफ्तार भी किया गया जो 6 दिसंबर को श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर के साथ स्थित शाही ईदगाह में भगवान कृष्ण की मूर्ति स्थापित करने का ऐलान किए थे. इस बीच बुधवार को साढ़े ग्यारह बजे के करीब उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के ट्वीट ने आग में घी डालने का काम किया.
केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) ने अपने ट्वीट में कहा, 'अयोध्या और काशी में भव्य मंदिर निर्माण जारी है, मथुरा की तैयारी है,' इस ट्वीट के बाद यूपी का राजनीतिक माहौल गर्मा गया है. यूपी में आने वाले महीनों में विधानसभा चुनाव हैं, बीजेपी और आरएसएस के एजेंडे को सभी लोग जानते हैं. हालांकि जिस तरह अपने ट्वीट के 24 घंटे के अंदर ही उन्होंने यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव को चैलेंज देते हुए कहा कि वो बताएं कि भव्य कृष्ण जन्मभूमि बनना चाहिए या नहीं. इससे यही लगता है कि उन्होंने पूरी प्लानिंग के साथ यह ट्वीट किया था.
लेकिन अभी तक बीजेपी (BJP) के किसी बड़े नेता या पार्टी के लेवल पर इस तरह का कोई बयान सामने नहीं आया है. यह देखकर ऐसा भी लगता है कि हो सकता है कि केशव मौर्य का यह पर्सनल एजेंडा हो. क्योंकि पार्टी के अंदर की लड़ाई अलग ही लड़ी जाती है. केशव मौर्य जानते हैं कि आज उनकी पार्टी और जनता के बीच वही सबसे लोकप्रिय है जो हार्डलाइनर है. उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ उनके शीतयुद्ध के बातें उत्तर प्रदेश की राजनीति में कोई ढंकी छुपी बात नहीं रह गई है. हो सकता है कि ये पार्टी की रेस में आगे निकलने की एक लड़ाई भी हो.
पूरा मामला क्या है?
मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि से सटी है शाही मस्जिद. जिसका निर्माण 17वीं सदी में हुआ था. इसी मस्जिद में मूर्ति स्थापित किए जाने की घोषणा एक संगठन की तरफ से की गई. दरअसल, अखिल भारत हिंदू महासभा ने 6 दिसंबर को शाही मस्जिद में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति स्थापित करने का ऐलान किया था. संगठन ने 6 दिसंबर को शाही मस्जिद ईदगाह में भगवान कृष्ण के जलाभिषेक और पूजा की भी घोषणा की थी. हालांकि प्रशासन ने इसकी इजाजत नहीं दी. 29 नवंबर को नारायणी सेना ने भी मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान प्रकरण को लेकर शाही ईदगाह पर संकल्प यात्रा की घोषणा की थी. ये संकल्प यात्रा यमुना के विश्राम घाट से श्रीकृष्ण जन्मस्थान तक जानी थी.
पुलिस ने इस संकल्प यात्रा को गंभीरता से लेते हुए 28 नवंबर को एक होटल से लखनऊ से नारायणी सेना के कोषाध्यक्ष, प्रदेश सचिव समेत तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया. इसके अलावा श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति दल ने भी 6 दिसंबर को काशी, मथुरा संकल्प यात्रा का आव्हान किया है. हालांकि इस संगठन ने मस्जिद में मूर्ति स्थापित करने की योजना से किनारा किया है.
क्या पार्टी के इशारे पर केशव प्रसाद मौर्य ने छेड़ी है ये राग
ये सभी जानते हैं कि 2017 में उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव केशव प्रसाद मौर्य की अगुवाई में लड़ा गया था. तब केशव प्रसाद उत्तर प्रदेश बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष होते थे. चुनावी पोस्टरों पर पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह के साथ केशव प्रसाद ही दिखते थे. यूपी में विजय श्री मिलने के बाद फ्रंट पर योगी आदित्यनाथ को आगे कर दिया गया. केशव प्रसाद मौर्य को डिप्टी सीएम के लिए मना लिया गया. 5 साल दुखी मन से केशव प्रसाद मौर्य काम करते रहे. कई बार उनके और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच मतभेद खुलकर उजागर हुए, पर फिर से सुलटा भी लिए गए. अभी हाल ही में जेवर में जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनको मंच पर भाव दिया है, उससे केशव मौर्य और उनके समर्थकों में उत्साह भर गया है.
हालांकि पीएम मोदी की सीएम योगी के कंधे पर रखी तस्वीर भी वायरल हो रही है पर जेवर की सभा के बाद केशव प्रसाद मौर्य और उनके समर्थकों का उत्साह से लबरेज होना स्वभाविक ही है. समाजवादी पार्टी के नेताओं के बयान और ट्वीट तो इस ओर ही इशारा कर रहे हैं कि ये बीजेपी के अंदर भी लड़ाई है. हालांकि समाजवादी पार्टी का ऐसा कहने के पीछे अपनी मजबूरियां हैं. समाजवादी पार्टी का कोर वोटर यदूवंशी हैं जो श्रीकृष्ण को अपना वंशज मानते हैं. समाजवादी पार्टी कभी भी मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि को लेकर खुलकर विरोध में नहीं आ सकती. पर बीजेपी के अन्य नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की मानें तो पार्टी मंदिर-मस्जिद के नाम नहीं विकास के नाम पर चुनाव लड़ रही है. हालांकि केशव प्रसाद मौर्य का साथ देने के लिए एक और मंत्री रघुराज प्रताप सिंह ने खुलकर कहा है कि अयोध्या-काशी के बाद मथुरा की बारी है. स्वामी प्रसाद जैसे नेताओं के बयान और बड़े नेताओं की चुप्पी यही कहानी कह रही है कि ये केशव प्रसाद मौर्य का पर्सनल एजेंडा है.
मथुरा, क्या प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के दायरे में नहीं आता श्री कृष्ण जन्म भूमि विवाद
केशव प्रसाद मौर्य प्रदेश सरकार में हैं. इस तरह की बातें आम तौर पर संगठन के नेताओं के द्वारा की जाती हैं. सरकार में रहते हुए इस तरह की बातें जो कानूनन या संवैधानिक रूप से ठीक न हों, नहीं की जाती हैं. पार्टियों के घोषणापत्र में ऐसी बातें रहते हुए भी सरकार में रहते हुए नेता ऐसी बातों से बचते रहे हैं. वैसे भी कृष्ण जन्मभूमि का मामला कोर्ट में है. इसके साथ ही राम जन्मभूमि के मामले में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट भी प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट का उदाहरण देते हुए कह चुका है, कि देश में अन्य जगहों के बारे में अब इस तरह की डिमांड नहीं होनी चाहिए.
ऐसा नहीं है कि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट या सुप्रीम कोर्ट की कही बातें पता न हों. ये सब जानते हुए भी अगर केशव प्रसाद मौर्य कृष्ण जन्म भूमि की बात कर रहे हैं तो यही लगता है कि हो सकता है पार्टी की सहमति से उन्होंने ये बातें कहीं हों. बीजेपी की रणनीति शुरू से ही ये रही है. कुछ नेता हार्डलाइनर बनकर ऐसे मुद्दे उठाते रहे हैं, बाद में उन मुद्दों पर आम सहमति बन जाती है.
क्या अखिलेश की सभाओं में उमड़ी भारी भीड़ के चलते बीजेपी ने अचानक ये स्टैंड लिया है
दरअसल बीजेपी को उम्मीद थी कि आगामी विधानसभा चुनावों में प्रदेश में त्रिकोणीय मुकाबले होंगे. पर इधर हाल के दिनों में जिस तरह बहुजन समाज पार्टी कमजोर नजर आने लगी और वहां भगदड़ का माहौल है, उससे बीजेपी में चिंता की लकीरें बढ़ गई हैं. प्रदेश में ऐसा लग रहा है कि बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच सीधा मुकाबला होगा. अगर ऐसा होता है तो बीजेपी का चिंतित होना स्वभाविक है.
दूसरी बात ये भी है कि लगातार पिछड़ी जातियों के संगठनों से समाजवादी पार्टी का गठजोड़ बढ़ता जा रहा है. ये सभी जानते हैं कि प्रदेश में 2017 का विधानसभा चुनाव हो या 2019 का लोकसभा चुनाव दोनों में बीजेपी की भारी सफलता केवल इन छोटी पार्टियों के गठबंधन के जरिए ही संभव हो सकी थी. पार्टी को कृषि कानूनों की वापसी के बाद पश्चिम यूपी में जनता के जिस समर्थन की उम्मीद थी वैसा होता दिख नहीं रहा है. यह संभव है कि पार्टी स्तर पर समाजवादी पार्टी के उभार से निपटने के लिए केशव प्रसाद मौर्य को इस काम के लिए लगाया गया हो.