आप चाहे बच्चे हों, किशोर या वयस्क, विपरीत हालातों से लड़कर निकले हैं, तो अच्छी नौकरी के लिए इंटरव्यू में उन कहानियों को भुनाएं
अब ये दोनों पृष्ठभूमि वाले किसी विख्यात कंपनी जैसे डेलॉयट, बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप या मॉर्गन स्टेनले में एक-सी नौकरी के लिए आवेदन करते हैं
एन. रघुरामन का कॉलम:
कल्पना कीजिए। अमीर लोग भारी फीस चुकाते हुए बच्चों को अमेरिका के सबसे प्रतिष्ठित स्कूलों में से एक में भेजते हैं। वहां उन बच्चों को तीन 'बी' ग्रेड मिलते हैं, क्योंकि वे गलत संगत में पड़ जाते हैं। इस बीच एक गरीब, अकेला, नाबालिग बच्चा सीरिया या यूक्रेन से आई किसी नाव से उतरता है और फिर किसी सरकारी मदद के सहारे पब्ल्कि स्कूल में जाता है। ग्रेजुएशन होने तक पैसों के लिए काम करता है और उसे भी तीन 'बी' ग्रेड मिलते हैं।
अब ये दोनों पृष्ठभूमि वाले किसी विख्यात कंपनी जैसे डेलॉयट, बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप या मॉर्गन स्टेनले में एक-सी नौकरी के लिए आवेदन करते हैं। नए सॉफ्टवेयर के साथ इन कंपनियों के कम्प्यूटर दूसरे बच्चे को इंटरव्यू के लिए बुलाते हैं क्योंकि उसकी रिपोर्ट अमीर बच्चे से ज्यादा प्रभावी है। सैकड़ों वैश्विक कंपनियों ने पूरी तरह बदलाव लाने वाली रिक्रूटमेंट एल्गोरिद्म का धीरे-धीरे इस्तेमाल शुरू कर दिया है, जो कि कामकाजी वर्ग के लिए औसत पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार चुन रही हैं!
कानून, वित्त या प्रबंधन सलाहकार के क्षेत्र की नौकरियों को सबसे प्रतिष्ठित मानने वाले नियोक्ता मान रहे हैं कि अनजान-सी यूनिवर्सिटी की तुलना में प्रतिष्ठित स्कूल में 'ए ग्रेड' लेना आसान है। रिसर्च में ये भी सामने आया कि प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने वाले लोग औसतन अच्छा प्रदर्शन करते हैं, जैसा वकील कॅरिअर के छह सालों में कर पाते हैं। हो सकता है ऐसे लोग जमीनी हालात बेहतर याद रखते हैं क्योंकि वे इससे गुजरे हैं। रिक्रूटमेंट में आमतौर पर सभी तरह के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल होता है, खासकर अमेरिका में।
एक अध्ययन बताता है कि फॉर्चून-500 कंपनियों में 99 फीसदी, प्रतिभाओं को छांटने वाले सॉफ्टवेयर पर भरोसा कर रहे हैं और अमेरिका में 55% एचआर मैनेजर्स रिक्रूटमेंट के लिए अनुमान लगाने वाली 'प्रीडिक्टिव एल्गोरिद्म' इस्तेमाल करते हैं।
इसलिए यह मायने नहीं रखता कि आप परिवार में पहले हैं, जो नजदीक की किसी कम जानी-पहचानी यूनिवर्सिटी में पढ़ने जा रहे हैं, या एनजीओ की देखरेख में पले-बढ़े रिफ्यूजी हैं या माता-पिता कभी स्कूल गए या नहीं या सरकारी खाद्य प्रोग्राम के लाभार्थी हैं या आपकी गली का पिन कोड शहर की किसी कुख्यात गली के पास का है और हां, इससे भी फर्क नहीं पड़ता कि आप कार या कपड़ों के ब्रांड जानते हैं या नहीं। उपरोक्त कारण हैं भी, तो आप वंचित नहीं रहेंगे।
आपको कौन-सी चीज बेहतर प्रतिभागी बनाती है? वो है प्रतिकूलताओं से सामना और बुद्धिमान इंसान बनना। कम विख्यात पब्लिक स्कूल या यूनि. में आपका 'ए ग्रेड' प्रदर्शन मायने रखता है। पर याद रखें विपरीत हालातों वाली वो कहानियां या घटनाएं सच्ची होनी चाहिए, क्योंकि आप अपनी डिजिटल छाप कभी नहीं मिटा सकते हैं और यह एल्गोरिद्म आसानी से झूठ पकड़ सकती है।
एल्गोरिद्म नियोक्ताओं को इसका पता लगाने के तरीके बता रही है कि कैसे कैंडिडेट्स ने स्कूल के औसत से बेहतर प्रदर्शन किया और पृष्ठभूमि के लिहाज से वे कितने वंचित थे या अब हैं। ऐसी ही एक रेर (Rare) नाम की कंपनी है, जिसमें 'प्रासंगिक भर्ती प्रणाली' है। इस कंपनी ने अबतक उनके पास आए 20 लाख ग्रेजुएट्स के आवेदनों को देखा है।
इस प्रणाली में हर पृष्ठभूमि से अच्छी उपलब्धि हासिल करने वाले लोग देखने मिलते हैं। ऐसे में अगर कोई पहुंच वाला व्यक्ति यह कहकर किसी की अनुशंसा करे कि वह बहुत परिश्रमी है, तो सिस्टम काम नहीं करेगा। अब बिना किसी अनुशंसा के कम्प्यूटर्स स्कोर देंगे।
फंडा यह है कि कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। आप चाहे बच्चे हों, किशोर या वयस्क, अगर विपरीत हालातों से लड़कर निकले हैं, तो अच्छी नौकरी के लिए इंटरव्यू में उन कहानियों को भुनाएं।