खेल रत्न ध्यान चंद को भारत रत्न कब
भारत के लिए गौरव का विषय है कि हाल ही में जापान की राजधानी टोक्यो में संपन्न हुए 2020 ओलंपिक खेलों में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने 41 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद कांस्य पदक जीत कर अपना अतीत का रुतबा पुन: हासिल किया है
भारत के लिए गौरव का विषय है कि हाल ही में जापान की राजधानी टोक्यो में संपन्न हुए 2020 ओलंपिक खेलों में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने 41 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद कांस्य पदक जीत कर अपना अतीत का रुतबा पुन: हासिल किया है। इस पदक ने देश के करोड़ों हॉकी प्रेमियों को सुकून के लम्हें प्रदान किए हैं। इसलिए एक मुद्दत गुजर जाने के बाद जीते गए इस कांस्य पदक की अहमियत स्वर्ण पदक से कम नहीं है। इससे पूर्व 1964 में इसी टोक्यो में आयोजित हुए ओलंपिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम ने अपना सातवां स्वर्ण जीतकर इतिहास रचा था। हिमाचल प्रदेश के लिए गर्व की बात है कि 1964 की उस स्वर्णिम हॉकी टीम का शानदार नेतृत्व हिमाचली दिग्गज चरणजीत सिंह (पद्मश्री) ने किया था तथा इस टोक्यो 2020 ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय टीम में हिमाचल के हॉकी खिलाड़ी वरुण शर्मा ने अपनी भूमिका निभाई है। यह बात स्पष्ट है कि पर्वतीय राज्य हिमाचल में दशकों पहले भी अंतरराष्ट्रीय या ओलंपिक स्तरीय खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं थी और न ही अब है। दशकों से राज्य के कई खिलाड़ी विश्व खेल पटल पर देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं जो हमारे खिलाडिय़ों की कड़ी मेहनत व लगन को दर्शाता है।