ठीक विपरीत आज याकि अब अमेरिकी थिंकटैंक, प्रशासन की निगाह में भारत क्या है? 'लोकतंत्र' नहीं, बल्कि 'आंशिक लोकतंत्र'! नरेंद्र मोदी वाशिंगटन, लंदन, पेरिस, कैनबरा, टोक्यो, बर्लिन के अखबारों, मीडिया, टीवी चैनलों की राय में, निगाहों में क्या हैं? एक तानाशाह! ऐसे ही आरएसएस क्या है? एक सांप्रदायिक, हिटलर के नात्सीवाद, फासीवाद को फॉलो करने वाला हिंदू संगठन!
कोई भक्त हिंदू कह सकता है कि पश्चिम की 'द इकोनॉमिस्ट'या'टाइम' पत्रिका या अखबारया 'फ्रीडम हाउस जैसे दुनिया की रैंकिंग करने वाले संस्थान, थिंक टैंक क्या लिखते हैं, क्या सोचते हैं इसकी हम हिंदुओं को परवाह नहीं करनी चाहिए। पर ऐसे ही तो पाकिस्तानी, चाइनीज, वहां की सरकारे सोचती हैं! पाकिस्तान को, इस्लामी संगठनों को परवाह नहीं है कि दुनिया उन्हें किस निगाह से जांचती और देखती है तो मोदी सरकार और आरएसएस भी क्या वैसी ही लापरवाही में अपना लंदन, वाशिंगटन में मूल्यांकन चाहते हैं?
दिक्कत यह है कि नरेंद्र मोदी, भाजपा और आरएसएस के साथ तमाम राष्ट्रवादी हिंदू लगातार चुनाव जीतने, सत्ता के उत्तरोत्तर भोग में ऐसे फंसे हैं कि दुनिया का महत्व, उसका नजरिया दो कौड़ी का माने हुए हैं। हिंदू वोट को बावला, बहकाने के लिए देश को दो पालों में बांट चुनाव जीतते जाना सर्वोपरी है तो दुनिया भारत के लोकतंत्र को 'आंशिक लोकतंत्र' माने, कहे या उसकी यमन, इथियोपिया से तुलना करे तो करे हमें क्या फर्क पड़ता है! हमें भी पाकिस्तान, चीन जैसा मानने लगे तो क्यों चिंता हो! उस नाते मौजूदा वक्त इतिहास के उसी अनुभव की पुनरावृत्ति है कि हम हिंदुओंको अपनी खोल, अपने कुएं में जीना है। समुद्र पार जाना, सोचना सब वर्जित! हम तो मानें रहेंगे भारत दुनिया का नंबर एक सच्चा लोकतंत्र और नरेंद्र मोदी विश्व के नंबर एक नेता!
Hari Shankar Vyas
भारत की हिंदी पत्रकारिता में मौलिक चिंतन, बेबाक-बेधड़क लेखन का इकलौता सशक्त नाम। मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक-बहुप्रयोगी पत्रकार और संपादक। सन् 1977 से अब तक के पत्रकारीय सफर के सर्वाधिक अनुभवी और लगातार लिखने वाले संपादक। 'जनसत्ता' में लेखन के साथ राजनीति की अंतरकथा, खुलासे वाले 'गपशप' कॉलम को 1983 में लिखना शुरू किया तो 'जनसत्ता', 'पंजाब केसरी', 'द पॉयनियर' आदि से 'नया इंडिया' में लगातार कोई चालीस साल से चला आ रहा कॉलम लेखन। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर 'सेंट्रल हॉल' प्रोग्राम शुरू किया तो सप्ताह में पांच दिन के सिलसिले में कोई नौ साल चला! प्रोग्राम की लोकप्रियता-तटस्थ प्रतिष्ठा थी जो 2014 में चुनाव प्रचार के प्रारंभ में नरेंद्र मोदी का सर्वप्रथम इंटरव्यू सेंट्रल हॉल प्रोग्राम में था।
आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों को बारीकी-बेबाकी से कवर करते हुए हर सरकार के सच्चाई से खुलासे में हरिशंकर व्यास ने नियंताओं-सत्तावानों के इंटरव्यू, विश्लेषण और विचार लेखन के अलावा राष्ट्र, समाज, धर्म, आर्थिकी, यात्रा संस्मरण, कला, फिल्म, संगीत आदि पर जो लिखा है उनके संकलन में कई पुस्तकें जल्द प्रकाश्य।
संवाद परिक्रमा फीचर एजेंसी, 'जनसत्ता', 'कंप्यूटर संचार सूचना', 'राजनीति संवाद परिक्रमा', 'नया इंडिया' समाचार पत्र-पत्रिकाओं में नींव से निर्माण में अहम भूमिका व लेखन-संपादन का चालीस साला कर्मयोग। इलेक्ट्रोनिक मीडिया में नब्बे के दशक की एटीएन, दूरदर्शन चैनलों पर 'कारोबारनामा', ढेरों डॉक्यूमेंटरी के बाद इंटरनेट पर हिंदी को स्थापित करने के लिए नब्बे के दशक में भारतीय भाषाओं के बहुभाषी 'नेटजॉल.काम' पोर्टल की परिकल्पना और लांच।