हम लाए हैं तूफान से कश्ती निकाल कर...
15 अगस्त को हम आजादी के 75 वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं,
किरण चोपड़ा| यह वंदन की धरती है, अभिनंदन की धरती है
ये अर्पण की भूमि है, यह तर्पण की भूमि है
इसकी नदी-नदी हमारे लिए गंगा है
इसका कंकर-कंकर हमारे लिए शंकर है
हम जियेंगे इस भारत के लिए
भारत माता की जय
15 अगस्त को हम आजादी के 75 वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, इसलिए हमारे प्रधानमंत्री जी ने अमृत महोत्सव मनाने की घोषणा की है। हम सभी जानते हैं हमारा इतिहास बड़ा गौरवशाली है। बहुत से लोगों की कड़ी मेहनत, शहादत, बलिदान, त्याग से भरपूर है। बहुत से लोगों के नाम हमारे सामने आते हैं और कई नाम अनसुने हैं, जिनका उतना ही योगदान है जितना हमारे सुने और जाने-पहचाने नामों का है।
इसलिए 'आजादी का अमृत महोत्सव' हम सब भारतवासियों के लिए एक बहुत ही महान और पवित्र अवसर है। यह हमारे लिए अवसर है कि हम उन पुण्य आत्माओं का वंदन करें, जिन्होंने देश की आजादी के िलए प्राणों की आहूति दी। जिनके कारण हम आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमृत महोत्सव के पांच स्तम्भों पर िवशेष जोर िदया है। ये स्तम्भ हैं आजादी की लड़ाई के साथ-साथ आजाद भारत के सपनों और कर्त्तव्यों को देश के सामने रखकर आगे बढ़ने की प्रेरणा देंगे। किसी राष्ट्र का गौरव तभी जागृत रहता है जब वो अपने स्वाभिमान और बलिदान की परम्पराओं को अगली पीढ़ी को भी िसखाता है आैर उन्हें संस्कारित करता है। िकसी भी राष्ट्र का भविष्य उनकी आने वाली पीढ़ी पर निर्भर करता है, इसिलए यह बहुत ही जरूरंी है कि उन्हें आजादी प्राप्त करने के संघर्ष के अतीत से आजादी प्राप्त करने के अनुभवों से और अपनी विरासत से जोड़ा जाए। जैसे कि हमारा पंजाब केसरी अखबार का इतिहास भी आजादी से जुड़ा हुआ है। यह एक मात्र अखबार नहीं मिशन भी है। इसके संस्थापक अमर शहीद लाला जगत नारायण जी ने आजादी के लिए बहुत कड़ा संघर्ष किया। 16 साल जेल में काटे और उनके बेटे अमर शहीद रोमेश चन्द्र जी ने आजादी के मतवालों को एक-दूसरे का संदेश पर्चों द्वारा पहुंचाया वो ही पर्चे आगे चलकर पंजाब केसरी अखबार के रूप में आया आैर हमेशा कलम देश के लिए चली। कभी डरी नहीं, झुकी नहीं। यही नहीं जब इमरजैंसी में िबजली काट दी गई तो लाला जी ने एक किसान की मदद से ट्रैक्टर से अखबार को चलाया पर सरकार के आगे झुके नहीं और उस दौरान भी जेल में गए। यही रास्ता उनके पौत्र अश्विनी कुमार ने अपनाया। हमेशा सत्य की राह पर उनकी लेखनी चली। चाहे वो अपने अंतिम समय में बीजेपी के एमपी बने परन्तु जब उनकी कलम चलती थी तो सिर्फ देश के लिए चलती थी, किसी भी पार्टी के लिए नहीं। यही मार्ग उनके तीनों बेटों आदित्य, अर्जुन, आकाश ने सीखा।
कहने का भाव है जैसे मेरे परिवार के बच्चे अपने परिवार का इतिहास जानते हैं और उसी नक्शे कदमों पर चलते हैं, ऐसे ही हमारे देश के बच्चे-बच्चे को आने वाली पीढ़ियों को हमारे देश की आजादी और आजादी के मूल्य का पता होना चाहिए ताकि वो भविष्य में सम्भाल कर रख सकें। मुझे मशहूर गीत याद आ रहा है-''हम लाए हैं तूफान से कश्ती निकाल कर, इस देश को रखना मेरे बच्चो सम्भाल कर, तुम्हीं भविष्य हो भारत के...''
तो इसलिए अमृत महोत्सव बहुत जरूरी है आैर हमारे लिए एक अवसर है, अपने आने वाली पीढ़ियों को इतिहास बताने का। हमारा वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब भी इस अवसर पर बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहा है। आज सड़क पर निकलो तो सभी तरफ तिरंगे दिखाई दे रहे हैं। अगर किसी ने गुब्बारे लगाए हैं तो तीन रंगों के हैं, यानी सब तरफ देश प्रेम का माहौल है।
आजादी का अमृत महोत्सव बहुत ही महत्वपूर्ण यानी आजादी की ऊर्जा का अमृत, स्वाधीनता सेनानियों की प्रेरणाओं का अमृत, नए-नए विचारों का अमृत, नए संकल्पों का अमृत, आत्मनिर्भरता का अमृत है, इसलिए यह महोत्सव देश की प्रगति, जागृति और शांति के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। आओ सब मिलकर इसे खूब जोश, देशभक्ति, देश प्रेम को दर्शाते हुए मनाएं। जय भारत, वंदे मातरम, जय हिन्द।