युद्ध और शांति
जब से रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू हुआ है, तब से भारत के लिए सबसे बड़ी चिंता का मसला यह है कि युद्धक्षेत्र में फंसे भारतीय विद्यार्थियों और अन्य लोगों को कैसे वहां से सुरक्षित निकाला जाए।
Written by जनसत्ता: जब से रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू हुआ है, तब से भारत के लिए सबसे बड़ी चिंता का मसला यह है कि युद्धक्षेत्र में फंसे भारतीय विद्यार्थियों और अन्य लोगों को कैसे वहां से सुरक्षित निकाला जाए। इस दिशा में यूक्रेन स्थित भारतीय दूतावास ने अपनी ओर से भरसक कोशिश की है, लेकिन युद्ध शुरू हो जाने के बाद के हालात में कई तरह की मुश्किलें खड़ी हो जाती हैं।
ऐसे में युद्ध में शामिल पक्षों के मुकाबले अन्य निरपेक्ष देशों के लिए अपने नागरिकों को वहां से निकालने के लिए कई स्तर पर कूटनीतिक पहल करना वक्त की जरूरत होती है। यही वजह है कि भारत ने युद्ध शुरू होने से पहले से ही अपने विद्यार्थियों और नागरिकों को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी सुझाव देना शुरू कर दिया था। इसके बावजूद युद्धक्षेत्र में बड़ी तादाद में भारतीय विद्यार्थी और अन्य नागरिक फंस गए और उनकी निकासी को लेकर सरकार चिंतित है। इसके अलावा, भारत की चिंता में यह पक्ष भी शामिल है कि युद्ध किसी भी स्थिति में मानवता के हित में नहीं होता है, इसलिए इसका समाधान बातचीत के जरिए निकाला जाना चाहिए।
इस लिहाज से देखें तो भारत ने पहले भी अपनी ओर से युद्ध में शामिल दोनों देशों से यह अपील की थी कि युद्ध के बजाय आपसी वार्ता से विवादित मुद्दों का हल निकाला जाना चाहिए। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात करके इस मामले में जरूरी कदम उठाने को लेकर अपना सरोकार सामने रखा। इस बातचीत को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, पुतिन ने जहां भारत को यूक्रेन के संबंध में ताजा घटनाक्रम से अवगत कराया, वहीं भारत की ओर से एक बार फिर रूस और नाटो समूह के बीच मतभेदों को ईमानदार वार्ता के जरिए सुलझाए जाने पर जोर दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने तत्काल हिंसा रोकने की अपील करते हुए सभी पक्षों से कूटनीतिक संवाद के रास्ते पर लौटने के लिए ठोस प्रयास करने का आह्वान किया। लेकिन इस मामले में जो सबसे संवेदनशील स्थिति पैदा हो गई है, उसके मद्देनजर प्रधानमंत्री ने यूक्रेन में भारतीय नागरिकों और खासतौर पर विद्यार्थियों की सुरक्षा को लेकर रूस से अपनी चिंता साझा की। साथ ही यूक्रेन में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में रूस से सहायता भी मांगी। यों भी समूचे युद्ध क्षेत्र में जो हालात बन गए हैं, उसमें उस इलाके में मौजूद लगभग सभी लोग खतरे में हैं। इसलिए अपने नागरिकों की सुरक्षित देश वापसी भारत के लिए भी प्राथमिकता है।
अच्छा यह है कि भारत और रूस के शीर्ष नेता के बीच इस बात पर सहमति बनी है कि उनके अधिकारी और राजनयिक दल मुद्दों पर नियमित संपर्क बनाए रखेंगे। बीते कुछ दिनों के दौरान युद्ध की आग भड़कने और विपरीत हालात के बावजूद भारत ने यूक्रेन में फंसे अपने नागरिकों और विद्यार्थियों को वहां से निकलने के लिए जरूरी दिशानिर्देश जारी किए और इसकी कोशिश जारी रखी कि ज्यादा से ज्यादा लोग अधिक जोखिम वाले क्षेत्रों से बाहर निकल सकें।
इसके अलावा, कूटनीतिक स्तर पर बातचीत के समांतर ही हवाई जहाज भेज कर और यूक्रेन की सीमा से लगे देशों की मदद से काफी तादाद में विद्यार्थियों को संकटग्रस्त क्षेत्र से निकालने में कामयाबी मिली। भारत की मुख्य कोशिश यह भी है कि किसी तरह युद्ध और हिंसा के हालात से रूस और यूक्रेन दोनों बाहर आएं। उम्मीद की जानी चाहिए कि यूक्रेन से सभी भारतीयों को सुरक्षित निकालने के साथ-साथ भारत मौजूदा अंतरराष्ट्रीय संकट का हल वार्ता से निकालने में अहम भूमिका निभाएगा।