रुपए की कीमत
यह अंतर दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। भारतीय रुपए का मूल्य आज आजादी के बाद से सबसे कम हो चुका है। भारत में सबको यह चिंता सता रही है कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार और गिरेगा।
Written by जनसत्ता; यह अंतर दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। भारतीय रुपए का मूल्य आज आजादी के बाद से सबसे कम हो चुका है। भारत में सबको यह चिंता सता रही है कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार और गिरेगा। इसका दुष्परिणाम यह होगा कि विदेश से आयात महंगा होता जाएगा, जिसके कारण आम लोगों का रहना और खाना-पीना बहुत मुश्किल हो जाएगा।
भारतीय रुपए की गिरावट का प्रमुख कारण भारत की कमजोर अर्थव्यवस्था है। रुपए में बढ़ती गिरावट का सीधा असर उन विद्यार्थियों पर भी पड़ेगा जो पढाई के लिए विदेश जाने की इच्छा रखते हैं। उनके माता-पिता को उनकी कालेज की फीस भरने में काफी बोझ महसूस होगा। इसका दुष्परिणाम भारत सरकार को तब महसूस होगा, जब भारी मात्रा में कुशल श्रमिक अमेरिका जैसे देशों में चले जाएंगे।
कोविड महामारी के दो वर्षों में अमेरिका की अर्थव्यवस्था अब भी विश्व-बाजार में टिकी हुई है। जबकि दूसरी ओर भारत की अर्थव्यवस्था में 2019 से कोई विशेष सुधार नहीं आया है। बल्कि बिगड़ी जरूर है। रुपए की गिरावट कम करने के लिए भारत सरकार को देश की अर्थव्यवस्था पर विशेष ध्यान देना होगा।
आम लोगों को चाहिए कि वे आगामी त्योहारों में अपने शहर की स्थानीय दुकानों से ही खरीदारी करे और इस तरह स्थानीय व्यापार को बढ़ाने में अपना योगदान दें। व्यापार सिर्फ वस्तुओं और सेवाओं का क्रय-विक्रय ही नहीं है, वह प्रेम विश्वास और आत्मीयता का आदान-प्रदान भी है। वह एक दूसरे को बचाने का जरिया भी है।
अपने शहर की हर दुकान आपकी अपनी दुकान है, जहां पर आपको मिलता है एक भरोसा, अपनत्व, एक विश्वास। आज हम व्यापार, पेशे या नौकरी से जो भी कमा रहे हैं, वह इस शहर की देन है। स्थानीयता ने हमारे और आपके परिवार को बहुत कुछ दिया है। तो क्या हमें भी यह प्रतिदान नहीं करना चाहिए? इससे स्थानीय व्यापारी एवं उनके सैकड़ों कर्मचारियों और हजारों मजदूरों के परिवारों को भी लाभ होगा। वे भी सपरिवार त्योहार का आनंद उठा सकेंगे। आनलाइन खरीदारी कर हम अपनों का ही नुकसान करते हैं।