Uttarakhand Election Result : क्या उत्तराखंड में मुख्यमंत्री के चुनाव हारने का इतिहास बरकरार रहेगा?

हरीश रावत नैनीताल की लालकुआं सीट से पीछे चल रहे हैं

Update: 2022-03-10 08:14 GMT
हरीश तिवारी।
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Chunav 2022) की मतगणना जारी है और राज्य में अभी तक रूझानों में राज्य की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) 44 सीटों पर आगे चल रही है. जबकि कांग्रेस (Congress) 22 सीटों पर आगे है. वहीं अभी तक सबसे चौंकाने वाली बात ये ये कि राज्य के मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खटीमा सीट से अपने प्रतिद्वंद्वी भुवन चंद्र कापड़ी से पीछे चल रहे हैं. वहीं कांग्रेस के नेता और पूर्व सीएम हरीश रावत भी लालकुंआ सीट में पीछे चल रहे हैं और उनके और बीजेपी के प्रत्याशी के बीच मतों का अंतर दस हजार के करीब पहुंच गया है. जो हरीश रावत के लिए चिंता का विषय हो सकता है.
वहीं धामी के चुनाव में पिछड़ जाने से इस बात की आशंका को बल मिल रहा है कि राज्य में मुख्यमंत्री का चुनाव हारने का इतिहास फिर बन सकता है. क्योंकि 2017 के विधानसभा चुनाव में धामी ने काफी मतों के अंतर से कापड़ी को हराया था. राज्य में पिछले चुनाव में हरीश रावत कांग्रेस के तत्कालीन सीएम थे और वह हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा सीट से हार गए थे. जबकि उससे पहले 2012 के विधानसभा चुनाव बीजेपी के तत्कालीन सीएम भुवन चंद्र खंडूरी भी चुनाव हार गए थे और इस चुनाव के बाद राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी थी.
हरीश रावत नैनीताल की लालकुआं सीट से पीछे चल रहे हैं
राज्य में काफी कम अंतर से हार जीत तय होती है और राज्य में जारी मतगणना में अभी तक उधमसिंह नगर की खटीमा सीट से अपने प्रतिद्वंद्वी भुवन चंद्र कापड़ी से 954 वोटों से पीछे चल रहे हैं. वहीं अगर बात 2017 के विधानसभा चुवान की करें तो धामी ने कापड़ी को महज 2709 वोटों से हराया था. कुछ ऐसा ही हाल कांग्रेस में सीएम के दावेदार माने जा रहे हरीश रावत का भी है. हरीश रावत नैनीताल की लालकुआं सीट से बीजेपी के प्रत्याशी डा. मोहन सिंह बिष्ट से 9966 वोटों से पीछे चल रहे हैं. ये राज्य में दोनों नेताओं के लिए अच्छे संकेत अच्छे नहीं है. असल में राज्य में 2017 के विधानसभा चुनाव में हरीश रावत राज्य में सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट किए गए थे और वह राज्य में जो विधानसभा सीट, हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा सीट पर चुनाव लड़ थे. लेकिन जनता ने उन्हें नकार दिया और दोनों ही सीटों पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. वहीं राज्य में कांग्रे सत्ता से बाहर हो गई थी.
भुवन चंद्र खंडूरी भी हार चुके हैं विधानसभा चुनाव
राज्य में 2012 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बीसी खंडूरी को सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट किया था और वह कोटद्वार सीट से चुनाव लड़ थे. लेकिन उन्हें कांग्रेस के सुरेन्द्र सिंह नेगी ने मात दी थी. जबकि राज्य में उस वक्त बीजेपी की सरकार थी.
2017 में बड़े अंतर से नहीं जीते धामी
अगर बात खटीमा विधानसभा पर 2017 के नतीजे को करें तो 2017 में बीजेपी के पुष्कर सिंह धामी ने खटीमा से जीत दर्ज की थी. वहीं राज्य में दो सीएम बदले जाने के बाद धामी को पिछले साल, राज्य में होने वाले चुनाव से ठीक छह महीने पहले राज्य का सीएम नियुक्त किया गया था. 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के भूवन चंद कापड़ी दूसरे नंबर पर रहे और उन्हें 26830 वोट मिले थे जबकि खटीमा सीट पर जीतने वाले पुष्कर सिंह धामी को 29,539 वोट मिले थे.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, आर्टिकल में व्यक्त किए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं.)
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