उत्तर प्रदेश चुनाव परिणाम से यह भी पता चलता है कि कैसे योगी के हठयोग ने बनाया राजयोग
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के नतीजों में जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी ने प्रदर्शन किया है, उससे इस प्रदेश से जुड़े तमाम मिथक टूट गए
रमा निवास तिवारी ।
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के नतीजों में जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी ने प्रदर्शन किया है, उससे इस प्रदेश से जुड़े तमाम मिथक टूट गए। पहली बार इन चुनावों में उत्तर प्रदेश जातीय बंधनों को तोड़ता दिखाई दिया। देखा जाए तो वर्ष 2017 के चुनावों में मोदी मैजिक था, राम मंदिर का मुद्दा था और योगी आदित्यनाथ का कोई चेहरा नही था, लेकिन 2022 के चुनाव में न तो राम मंदिर का मुद्दा था और न ही 2017 जैसी मोदी लहर। कुछ नया था तो योगी का चेहरा और उनकी कार्यसंस्कृति। दरअसल योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री के लिए लोगों ने चुना तो जाहिर सी बात है प्रदेश की जनता ने योगी के सत्ता संचालन के तौर तरीकों को सराहा है।
अखिलेश ने छोटे छोटे क्षत्रपों को जोड़कर जातिवाद की गोलबंदी की, लेकिन नतीजों ने साबित कर दिया कि जनता को अब जातियों के ठेकेदारों की परंपरा रास नहीं आ रही है। स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे जाति विशेष की ठेकेदारी का दंभ भरने वाले नेताओं को जनता ने इस चुनाव में आइना दिखा दिया है। नतीजे बता गए कि इन नेताओं की बिरादरी में इनकी एक नहीं चली। समाजवादी पार्टी को जिताने की इनकी अपील को इन्हीं की जाति के मतदाताओं ने खारिज करके भाजपा को वोट दिया। परिणामों ने स्पष्ट कर दिया है कि यूपी में जाति आधारित वोट बैंक की राजनीति अब अंतिम सांसें ले रही है। लोगों ने इस बार जातिवाद से ऊपर उठकर विकास और भाजपा की जनकल्याणकारी योजनाओं को ध्यान में रखकर वोट किया है
यह चुनाव योगी आदित्यनाथ की सरकार का रिपोर्ट कार्ड भी है जिसमें जनता ने परीक्षक के तौर पर उन्हें अच्छे नंबरों से उत्तीर्ण किया है। योगी ने कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा के मोर्चे पर किए गए सुधारा कार्यों का जो ब्योरा पूरे चुनाव कार्यक्रम के दौरान लोगों के बीच प्रस्तुत किया, प्रदेश की जनता ने उसमें वोटों के जरिये अपनी हां में हां मिला दी है। कोविड महामारी के दौरान केंद्र और प्रदेश के साझा समन्वय से स्थिति को नियंत्रित करने में भाजपा सरकार की भूमिका को भी जनता ने सराहा है। जनता यह सोच रही थी कि चुनाव के दौरान जो विपक्ष के नेता वोट मांगने हमारे दरवाजे पर खड़े हैं, वे कोविड संकट के दौरान कहां थे। महामारी के दौर में मुफ्त राशन वितरण और आगे भी उसका जारी रखना लोगों के दिलों को छू गया।
योगी का हठयोग भी खूब कारगर रहा जिसने एक बार फिर उनके लिए राजयोग बना दिया। माफियाओं के दमन की नीति पर, गुंडों पर सख्ती की कार्रवाई, कानून व्यवस्था के मसलों पर योगी की तटस्थता जनता को भा गई। योगी सरकार में माफिया राज और गुंडागर्दी का खात्मा हो गया है, महिलाएं सुरक्षा का एहसास करती हैं। विपक्ष इन मुद्दों पर योगी सरकार को अक्सर घेरता रहता था, लेकिन योगी जी का बुलडोजर माफियाओं पर चलता गया। चुनावी सभा में वे बेबाकी से इस बात को उठाते भी रहे कि आगे भी माफियाओं को बख्शा नहीं जाएगा। शायद जनता को यह बात पसंद आ गई और योगी का हठयोग राजयोग बना गया। इतना ही नहीं, उसने भाजपा को जिताकर लोकलुभावन वादों के जरिये सत्ता तक पहुंचने वाले लोगों को ठेंगा दिखा दिया है।
राष्ट्रवाद को किसी भी सूरत में प्राथमिकता देने वाली भारतीय जनता पार्टी को लोगों ने बहुमत से जिताकर यह भी संदेश दिया है कि देश में रहकर देशहित की बातें करने वाले को आगे आने का मौका मिलेगा। तालिबान और पाकिस्तान मसले पर पूर्व में कुछ विपक्षी नेताओं की राष्ट्र विरोधी टिप्पणियों का भी उचित समय पर जनता ने उचित जवाब दे दिया है। कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश चुनाव के नतीजों ने यह साबित कर दिया है कि प्रदेश की राजनीति अब परंपरागत ट्रैक से हटकर बदलाव की पटरी पर दौड़ती दिखाई दे रही है।