UP Assembly Elections: दो चरणों में एक तिहाई सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों की टक्कर से हो सकती है बीजेपी की राह आसान
विधानसभा चुनाव में पहले और दूसरे चरण में मतदान वाली सीटों पर पर्चे भरे जा चुके हैं
यूसुफ़ अंसारी।
विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) में पहले और दूसरे चरण में मतदान वाली सीटों पर पर्चे भरे जा चुके हैं. पहले दो चरणों में सूबे के 20 जिलों की 113 विधानसभा सीटों पर चुनाव होना है. बीजेपी (BJP) को अपनी सत्ता बचाने के लिए यहां जीतना बेहद जरूरी है. पिछली बार बीजेपी ने इनमें से 91 सीटें जीती थीं. पश्चिम उत्तर प्रदेश (Western Uttar Pradesh) के इन जिलों में ज़्यादातर मुस्लिम आबादी है.
लिहाज़ा एसपी गठबंधन, बीएसपी और कांग्रेस के साथ ओवैसी ने भरपूर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं. 37 सीटों पर इन पार्टियों के मुस्लिम उम्मीदवार आमने सामने हैं. ये स्थिति एसपी गठबंधन की मुश्किलें बढ़ाने वाली, तो बीजेपी को राहत देने वाली है.
किसके कितने मुस्लिम उम्मीदवार?
पहले और दूसरे चरण में 20 ज़िलों की कुल 113 सीटों पर चुनाव होना है. इन सीटों पर एसपी गठबंधन, बीएसपी, कंग्रेस और ओवैसी की पार्टी के कुल 127 मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. पहले चरण वाली 11 ज़िलों की 58 सीटों पर इन पार्टियों के 50 तो दूसरे चरण वाली 55 सीटों पर 77 मुस्लिम उम्मीदवार हैं. पहले चरण में एसपी गठबंधन के 13, बीएसपी के 17, कांग्रेस के 11 और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमीन के 9 मुस्लिम उम्मीदवार क़िस्मत आज़मा रहे हैं. वहीं दूसरे चरण वाली 55 सीटों पर एसपी गठबंधन के 18, बीएसपी के 23, कांग्रेस के 21 और ओवैसी की पार्टी के 15 मुस्लिम उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. पिछले चुनाव में पहले चरण वाली 58 में से 53 और दूसरे चरण वाली 55 में से 38 सीटें बीजेपी ने जीती थीं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चार मुख्य पार्टियों के मुस्लिम उम्मीदावरों के आपस में टकराने से बीजेपी पिछले चुनाव वाला आंकड़ा फिर से हासिल कर सकती है.
मुस्लिम उम्मीदवारों की कैसी टक्कर?
पहले और दूसरे चरण में 113 सीटों में 37 यानि एक तिहाई सीटों पर चार मुख्य पार्टियों के मुस्लिम उम्मीदवार आमने सामने हैं. दोनों चरणों में कुल 19 सीटों पर एसपी गठबंधन और बीएसपी के मुस्लिम उम्मीदवार आमने-सामने हैं. पहले चरण में 8 सीटों पर और दूसरे चरण में 11 सीटों पर इनकी आपसी टक्कर है.
पिछले चुनाव में पहले चरण वाली 58 में से 7 सीटों पर इन दोनों पार्टियों के मुस्लिम उम्मीदवार आपस में टकराए थे. ये सभी सीटें बीजेपी जीती थी. इसी तरह दूसरे चरण वाली 55 में से 12 सीटों पर ऐसी ही टक्कर थी. ये सभी सीटें भी बीजेपी जीत गई थी.
इस बार भी ऐसा ही होने की आशंका है. कई सीटों पर कांग्रेस और ओवैसी की पार्टी के मुस्लिम उम्मीदवार एसपी गठबंधन और बीएसपी के उम्मीदवारों के सामने आकर त्रिकोणीय तो कई पर चौकोर मुकाबले के आसार बन रहे हैं.
चार सीटों पर चार-चार मुस्लिम उम्मीदवार
दूसरे चरण में चार सीटों पर एसपी गठबंधन, बीएसपी, कांग्रेस और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमीन के मुस्लिम उम्मीदवार आमने सामने हैं. ये चारों सीटें मुरादाबाद ज़िले की हैं. मुरादाबाद शहर, मुरादाबाद ग्रामीण, कुदंरकी और कांठ सीट पर इन चारों मुख्य पार्टियों के मुस्लिम उम्मीदवार ताल ठोक रहे हैं. पिछली बार कांठ और मुरादाबाद नगर बीजेपी जीती थी और ज़िले की बाक़ी चारों सीटें एसपी जीती थी. इस बार चार मुस्लिम उम्मीदवारों के आपसी टकराव के चलते ये चारों सीटें बीजेपी के खाते में जाती दिख रही हैं. बाक़ी बची दो सीटों में से ठाकुरद्वारा पर एसपी गठबंधन और बीएसपी के साथ कांग्रेस का मुस्लिम उम्मीदवार त्रिकोणीय मुक़ाबला बना रहा है तो बिलारी सीट पर एसपी गठबंधन के मुस्लिम उम्मीदवार की राह ओवैसी की पार्टी का मुस्लिम उम्मीदवार मुश्किल बना सकता है. पिछली बार एसपी की लाज बचाने वाले मुरादाबाद ज़िले की सभी छह सीटों पर भगवा लहरा सकता है.
कितनी सीटों पर तीन मुस्लिम उम्मीदवार?
पहले दो चरणों की 113 से 15 सीटों पर तीन-तीन मुस्लिम उम्मीदवार हैं. पहले चरण में अलीगढ़ और मेरठ दक्षिण सीट पर एसपी गठबंधन और बीएसपी और कांग्रेस के मुस्लिम उम्मीदवारों के बीच त्रिकोणीय टकराव है. मेरठ शहर और धौलाना सीट पर एसपी गठबंधन और बीएसपी के मुस्लिम उम्मीदवारों के साथ ओवैसी की पार्टी का मुस्लिम उम्मीदवार ताल ठोक रहा है.
गाजियाबाद की लोनी और मुजफ्फरनगर की चरथावल पर बीएसपी, कांग्रेस और मजलिस तीनों के मुस्लिम उम्मीदवार आपस में टकरा रहे हैं. दूसरे चरण में 6 सीटों पर एसपी गठबंधन, बीएसपी और कांग्रेस के मुस्लिम उम्मीदवारों के बीच टक्कर है. ये सीटें है, बिजनौर जिले की नजीबाबाद, ज्योतिबा फुले नगर ज़िले की अमरोहा, संभल, मुरादाबद की ठाकुरद्वारा और रामपुर ज़िले की रामपुर और चमरुआ.
सहारानपुर की बेहट पर एसपी, बीएसपी के साथ तो बिजनौर की बढ़ापुर पर एसपी, कांग्रेस और संभल की असमोली सीट पर बीएसपी व कांग्रेस के साथ ओवैसी का उम्मीदवार मुस्लिम उम्मीदवारों के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है.
दो मुस्लिम उम्मीदवार आमने सामने
पहले दो चरणों में कुल 18 सीटों पर अलग-अलग पार्टियों के दो मुस्लिम उम्मीदवार आमने सामने हैं. इनमें 4 सीटों पर एसपी गठबंधन और बीएसपी के मुस्लिम उम्मीदवार सीधे आपस में टकरा रहें हैं. चारों सीटें पहले चरण की हैं. इनमें मुजफ्फर नगर की थाना भवन, मेरठ की सिवालखास, बुलंदशहर और अलीगढ़ की कोल शामिल है. दूसरे चरण में बिजनौर कि धामुर सीट पर दोनों पार्टियों के मुस्लिम उम्मीदवार आपस में टकरा रहे थे, लेकिन बीएसपी ने अपना मुस्लिम उम्मीदवार हटाकर एसपी से आए ठाकुर को टिकट दे दिया. दूसरे चरण में दो सीटों पर एसपी गठबंधन के मुस्लिम उम्मीदवारों के सामने कांग्रेस के तो दो पर औवैसी के मुस्लिम उम्मीदवारों ने ताल ठोक रखी है. दो सीटों पर कांग्रेस और ओवैसी के मुस्लिम उम्मीदवार आमने सामने हैं तो एक सीट पर बीएसपी और कांग्रेस के मुस्लिम उम्मीदवारों की टक्कर है.
बीजेपी ने झोंकी पूरी ताक़त
पहले दो चरणों के चुनाव बीजेपी और उसे सत्ता से बेदखल करने का ख्वाब देख रही एसपी दोनों के लिए बेहद अहम है. बीजेपी ने पिछले चुनाव में जीती सीटें जीतने के लिए पूरी ताक़त झोंक रखी है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभारी गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ घर-घर जाकर वोट मांग रहे हैं.
बीजेपी लगातार कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना, अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और जनकल्याण की योजनाओं जैसे मुद्दे उठा कर अपने वोटबैंक को एकजुट करने की कोशिशो में जुटी है. गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में जाट महासभा करके अखिलेश और जयंत की जोड़ी में फूट डालने की कोशिश की है.
बीजेपी की कोशिश जहां एक तरफ जाट मुस्लिम एकता को तोड़कर फिर से पहले चरण की लगभग सभी सीटें जीतने की है, वहीं मुस्लिम वोटों में भी बिखराव के सहार दूसरे चरण में भी अपना दबदबा कायम करने की रखने की है.
अखिलेश के सामने बड़ी चुनौती
अखिलेश यादव के सामने बीजेपी के आक्रामक प्रचार और सघन जनसंपर्क अभियान के सामने अपने गठबंधन को जिताना बड़ी चुनौती है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इन मुस्लिम बहुल ज़िलों में अखिलेश ने आरएलडी और महान दल के साथ गठबंधन करके जाटों के साथ पिछड़ी जातियों के वोटों में बिखराव की रणनीति बनाई है. इनके साथ मुसलमानों के मिलने पर ये बेहद मज़बूत और जिताऊ गठबंधन बनता है. लेकिन मुस्लिम वोटों के बिखराव से सारे जीत के सारे समीकरण गड़बड़ा सकते हैं.
मुस्लिम वोटों का बिखराव रोकने की अखिलेश के पास कोई ठोस रणनीति नहीं है. अखिलेश के लिए बीजेपी की योगी सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए पहले दो चरणों में बीजेपी के विजयरथ को रोकना बेहद ज़रूरी है. लेकिन पहले दो चरणों की एक तिहाई सीटों पर एसपी, बीएसपी, कांग्रेस और ओवैसी की पार्टी के मुस्लिम उम्मीदवारों की आपसी टक्कर अखिलेश की धड़कने बढ़ा रहीं हैं.
पहले दो चरणों का चुनाव तय करेगा कि उत्तर प्रदेश में में सत्ता की चाबी किसते पास होगी. अगर बीजेपी अपने आक्रामक प्रचार और लगातार सघन जनसंपर्क अभियान के ज़रिए हिंदुत्व, राष्ट्रवाद और जनकल्याण की योजनाओं के साथ नए भारत और नए उत्तर प्रदेश के निर्माण का सपना दिखा कर अपने छिटकते वोटबैंक को दोबार अपने साथ जोड़ पाने में कामयाब हो जाती है, तो उसका सत्ता पर क़ब्जा बरक़रार रह सकता है. लेकिन अगर अखिलेश का मंडल कार्ड चल गया और मुसलमानों ने भी उन पर भरोसा जताया तो बीजेपी के विजय रथ का पहिया यहीं अटक सकता है.