रस्साकशी: सत्ता संघर्ष में उलझा पाकिस्तान

वह भी उस मामले में, जहां सेना अपना वर्चस्व मानती है।'

Update: 2021-10-23 01:49 GMT

पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद इस क्षेत्र की सबसे खूबसूरत राजधानी है। पहाड़ी के नीचे बसा, फूलों से लदे पेड़ों से घिरा और पैदल रास्तों वाला यह शहर पाकिस्तान के किसी भी अन्य शहर से अलग है। इसका मुख्य कारण यह है कि यह एक प्राकृतिक शहर नहीं है, जो समय के साथ विकसित हुआ है, बल्कि गांवों और एक नदी के साथ सुंदर खाली जगह है, जिसे चुनकर राजधानी बनाई गई थी।

यहां आपको न केवल प्रसिद्ध लाल मस्जिद मिलेगी, जिसमें सशस्त्र कट्टरपंथी मौलवी राज्य को खुलेआम चुनौती देते हैं, बल्कि यह एक ऐसा शहर भी है, जहां संगीत और नृत्य साथ-साथ चलते हैं। इस्लामाबाद की सबसे सम्मानित और प्रसिद्ध शख्सियतों में से एक, 90 वर्षीय भरतनाट्यम नृत्य शिक्षिका इंदु मीठा हैं, जहां उनके शिष्यों ने संगीत में स्नातक किया है। मूलतः भारत की रहने वाली इंदु मीठा ने एक पाकिस्तानी सेनाधिकारी से शादी की, जो बाद में जनरल बने।
लेकिन दुनिया की निगाह अब यहां के सबसे एकांत घरों में से एक पर है, जो पेड़ों और घनी हरियाली से घिरी एक पहाड़ी के ऊपर एक एकड़ जमीन पर है। इस चर्चित पते पर दिन-रात सुरक्षाकर्मियों की गहमागहमी रहती है। यह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का घर है। यह जमीन उन्हें उनकी पहली पत्नी जेमिमा खान ने उपहार में दी थी। उन्होंने यह घर बनाया और कुछ समय यहां रहीं, जब तक कि उनका तलाक नहीं हो गया, और फिर वह कभी न लौटने के लिए लंदन चली गईं। उनके बेटे अक्सर छुट्टियों में आते हैं, तब उनके अपने पिता के साथ क्रिकेट खेलते और कुत्तों को सैर पर ले जाने की तस्वीरें मीडिया को उपलब्ध कराई जाती हैं।
लेकिन इन दिनों वहां प्रधानमंत्री की तीसरी पत्नी रहती हैं, जिनका सरकारी फैसलों पर काफी असर रहता है। बुशरा बेगम या भारी घूंघट वाली पिंकी पीरनी से इमरान खान की मुलाकात तब हुई, जब वह आध्यात्मिक मार्गदर्शन लेने के लिए शादी से पहले कई बार उनसे मिलने गए। वह शादीशुदा थीं और तब तक दादी बन चुकी थीं। इमरान खान का दावा है कि उन्होंने शादी से पहले कभी उनका चेहरा नहीं देखा था।
खबरों के मुताबिक, उन्होंने इमरान खान को यह कहा कि 'मैंने सपना देखा है कि अगर आप मुझसे शादी करते हैं, तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनेंगे।' पिंकी पीरनी ने अपने नौकरशाह पति से तलाक लेकर इमरान खान से शादी कर ली। हालांकि इमरान इस शादी से तब तक इन्कार करते रहे, जब तक कि मीडिया ने उनके निकाह समारोह की तस्वीरें जारी नहीं कर दीं।
प्रिंट और सोशल मीडिया पर पिंकी पीरनी की पहुंच और ताकत से संबंधित खबरें भरी-पड़ी हैं, कि वह प्रधानमंत्री को प्रभावित करती हैं और आईएसआई के नए महानिदेशक की नियुक्ति में प्रमुख भूमिका निभा रही हैं। हालांकि कैबिनेट मंत्रियों ने इन रिपोर्टों का खंडन किया है और इन अफवाहों को फैलाने के लिए विपक्षी दलों को जिम्मेदार ठहराया है। पिछले हफ्ते संसद के पास पेड़ों के नीचे एक विशाल पुतला मिला, जिसने वहां से गुजरने वालों को हैरान कर दिया। उन्होंने वीडियो बनाकर उसे सोशल मीडिया पर प्रसारित कर दिया। इस पुतले पर कील चुभे हुए थे।
इस तरह के टोटके, जिसे काला जादू भी कहते हैं, दुनिया भर में कई जगह किए जाते हैं। ऐसे लोग हैं, जो मानते हैं कि यदि आप किसी के खिलाफ हैं और उसका पुतला बनाकर उसमें कील चुभोते हैं, तो उस व्यक्ति पर उसका वाकई खतरनाक असर पड़ता है। दरअसल पाकिस्तान में आज वास्तविक मुद्दा सत्ता संघर्ष का है। पाकिस्तान में ऐसा अतीत में हो चुका है। बहुत कम ऐसे अवसर आए हैं, जब पाकिस्तान में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव हुए हैं।
वर्ष 1977 में एक चुनाव में कथित तौर पर जुल्फिकार अली भुट्टो द्वारा धांधली की गई थी। उसके बाद पाकिस्तान में सुरक्षा प्रतिष्ठान ने अधिकांश चुनावों में धांधली की है, केवल 2008 को छोड़कर, जिसमें पीपीपी ने जीत हासिल की। बेनजीर की हत्या के कारण पीपीपी के पक्ष में सहानुभूति की लहर थी और जनरल परवेज मुशर्रफ के नेतृत्व में सुरक्षा प्रतिष्ठान दबाव में था। लेकिन आम तौर पर यहां निर्वाचित प्रधानमंत्री भी अपने पसंदीदा आईएसआई डीजी की नियुक्ति में विफल रहे हैं। बेनजीर और नवाज शरीफ, दोनों ने अपने-अपने पसंदीदा लोगों को नामांकित किया, पर सेना के हस्तक्षेप के चलते उन्हें पीछे हटना पड़ा।
अब प्रधानमंत्री इमरान खान और मौजूदा आईएसआई महानिदेशक जनरल फैज हमीद की बारी है, जिन्होंने इमरान को सत्ता में लाने में मदद की और पिछले दो वर्षों से ज्यादा समय से उनकी मदद कर रहे हैं। सेना प्रमुख जनरल बाजवा ने उन्हें पेशावर के कोर कमांडर का पद संभालने का आदेश दिया है। एक वरिष्ठ जनरल के लिए एक कोर की कमान संभालना अनिवार्य है, यदि वह चाहता है कि उसे सेना प्रमुख चुने जाने का मौका दिया जाए। यह संघर्ष अभी जारी है।
सेना प्रमुख ने एक नए आईएसआई डीजी के रूप में जनरल नदीम अंजुम को नामित किया है, जो फिलहाल कराची के कोर कमांडर हैं और एक स्वच्छ व पेशेवर सैनिक की प्रतिष्ठा रखते हैं और अपने पूरे पेशेवर जीवन में राजनीति से दूर रहे हैं। हालांकि इमरान खान का कहना है कि इस्लामी देशों में जनरलों को नामित करने का विकल्प भी बदलना चाहिए, क्योंकि यह इस्लाम के उदय के समय किया गया था। इस कारण उनका कहना है कि प्रधानमंत्री को महत्वपूर्ण पदों के लिए शीर्ष जनरलों का इंटरव्यू लेना चाहिए।
अब सुनने में आया है कि परंपरा के अनुसार जनरल बाजवा ने तीन जनरलों के नाम रक्षा मंत्रालय को भेजे हैं, जिनके बारे में उन्हें लगता है कि वे आईएसआई के नए डीजी बनने में सक्षम हैं। वैधानिक रूप से प्रधानमंत्री को उनमें से एक नाम को चुनना और अधिसूचना पर हस्ताक्षर करना है। बुधवार रात ऐसी खबरें आईं कि प्रधानमंत्री ने तीनों जनरलों का इंटरव्यू लिया है और अब वह एक अधिसूचना जारी करेंगे। उम्मीद है कि वह जनरल अंजुम को चुनेंगे।
अंग्रेजी दैनिक डॉन अपने संपादकीय में लिखता है, 'साथ ही, तथ्य यह है कि प्रधानमंत्री ने लगातार एक ऐसी संस्था को अपना अधिकार सौंपा है, जिसे वह अपनी सरकार के लिए महत्वपूर्ण सहायक स्तंभ के रूप में देखते हैं। यह उन्हें अपने अधिकार क्षेत्र में कमजोर बनाती है, वह भी उस मामले में, जहां सेना अपना वर्चस्व मानती है।'

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