जनता से रिश्ता वेबडेस्क। किसानों और सरकार के बीच पहले से ही तनातनी चल रही है और अब अदालत केप्रयासों के प्रति किसानों का अविश्वास सकारात्मक संकेत नहीं है। बुधवार को प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे ने सुनवाई के दौरान साफ कहा कि हमने समिति में विशेषज्ञों को नियुक्त किया है, क्योंकि हम विशेषज्ञ नहीं हैं। वाकई, ऐसी समितियों का गठन करना अदालत के लिए कोई नई बात नहीं है। यह अदालत के काम करने के यथोचित तरीके का हिस्सा है कि वह स्वयं शब्द-दर-शब्द सुनवाई न करते हुए विशेषज्ञों के जरिए अपनी राय बनाने की कोशिश करती है और उसके बाद ही अपना फैसला सुनाती है। प्रधान न्यायाधीश की टिप्पणी से ऐसा लगता है कि किसी समिति के सदस्य पर आपत्ति करना अदालत को अच्छा नहीं लगा है। अदालत ने यह भी साफ करने की कोशिश की है कि समिति को फैसला सुनाने का आधिकार नहीं है, तो इसमें पक्षपात कहां से आ गया? अदालत का सवाल उचित है कि जो कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञ समिति में शामिल हैं, वे अपने क्षेत्र के प्रतिभाशाली लोग हैं, उनके नाम को खराब कैसे किया जा सकता है?