तीसरी लहर की पहेली

केरल कोरोना वायरस की पहेली बनकर रह गया है

Update: 2021-08-04 16:19 GMT

केरल कोरोना वायरस की पहेली बनकर रह गया है। वह भारत में तीसरी लहर की भी पहेली साबित हो सकता है। केरल में हररोज़ 20,000 से ज्यादा संक्रमित मामले दर्ज किए जाते रहे हैं। आज करीब 14,000 केस सामने आए हैं, लिहाजा देश भर में कोरोना के आंकड़े भी लुढ़क कर पहली बार 30,500 तक आए हैं। इस समीकरण को सामान्य नहीं समझा जा सकता, क्योंकि अभी तय नहीं है कि केरल के नए आंकड़े कब तक जारी रहते हैं। माना जा सकता है कि पूरे देश का औसतन 50 फीसदी संक्रमण केरल में ही है। भारत सरकार और महामारी विशेषज्ञों का चिंतित होना स्वाभाविक है। दरअसल केरल में जन-स्वास्थ्य का बुनियादी ढांचा, दूसरे राज्यों की तुलना में, काफी बेहतर है। कोरोना टीकाकरण, टेस्टिंग प्रति 10 लाख आबादी, मृत्यु-दर, अन्य वायरस की पहचान करने में और मास्क का इस्तेमाल करने आदि में केरल या तो अव्वल रहा है अथवा अन्य की अपेक्षा बेहतर रहा है। वहां औसतन 1.6 लाख टेस्ट हररोज़ किए जा रहे हैं और इस तालिका में वह प्रथम स्थान पर है। बंगाल, बिहार, उप्र में हररोज़ जितने टेस्ट किए जाने चाहिए थे, उससे काफी कम किए जा रहे हैं, जबकि उन राज्यों की आबादी केरल से कई गुणा ज्यादा है। इस वर्ग में मप्र, गुजरात और हरियाणा भी केरल से नीचे हैं। राजस्थान तो सबसे निचले पायदान पर है। क्या ज्यादा जांच के कारण ही कोरोना के मरीजों की बढ़ी संख्या सामने आ रही है? चिंता के कुछ और पहलू भी गौरतलब हैं, क्योंकि विशेषज्ञों के आकलन हैं कि केरल कोरोना की तीसरी लहर की आधार-भूमि साबित हो सकता है। जन-स्वास्थ्य का मजबूत ढांचा और आम जागरूकता व्यापक होने के बावजूद केरल के अधिकतर हिस्सों में संक्रमण दर 10 फीसदी या उससे अधिक रही है। यही केरल को पहेली बनाए हुए है। राज्य की करीब 48 फीसदी आबादी को कोरोना टीके की कमोबेश एक खुराक दी जा चुकी है और करीब 21 फीसदी आबादी में संपूर्ण टीकाकरण, यानी दोनों खुराक, दिया जा चुका है। सीरो सर्वे के मुताबिक, केरल में करीब 55 फीसदी आबादी ऐसी है, जिसे संक्रमण की संभावनाएं प्रबल हैं।


दिलचस्प सच्चाई तो यह है कि कोरोना के 'चरम' से केरल लगभग अछूता रहा है। अभी तक के कोरोना-काल में संक्रमण खौफनाक बिंदु तक नहीं फैला है। केरल में अस्पतालों के बाहर मरीजों के दर्दनाक और लावारिस दृश्य और एंबुलेंस की कतारें दिखाई नहीं दी हैं। वहां ऑक्सीजन की कमी महसूस नहीं की गई, रेमडेसिविर जैसी दवा के लिए मारामारी और कालाबाज़ारी के भरपूर केस दर्ज नहीं किए गए। लेकिन जब देश भर में कोरोना संक्रमण के मामले शांत या बेहद कम हो चुके हैं, तब केरल सबसे ज्यादा संक्रमित राज्य बना है। बेशक सोमवार की रात्रि तक देश में 30,000 से अधिक मामले 24 घंटे में दर्ज किए गए हैं। उनमें से करीब 14,000 तो केरल में ही हैं। महाराष्ट्र करीब 5000 संक्रमण के साथ दूसरे स्थान पर है। केरल के संक्रमण का बुरा असर तमिलनाडु और कर्नाटक सरीखे आसपास के राज्यों पर पड़ रहा है। हालांकि पहले की अपेक्षा संक्रमण कम हुआ है, लेकिन फिर भी विशेषज्ञ और चिकित्सक मान रहे हैं कि यदि अगस्त माह के अंत में कोरोना की तीसरी लहर के लक्षण स्पष्ट होने लगे, तो उसमें केरल का बड़ा योगदान होगा। दरअसल केरल में कोरोना संक्रमण के लगातार फैलने की वजह रही है कि वहां मई से संपूर्ण लॉकडाउन लागू नहीं किया। मई में ही संक्रमण 'पीक' पर था। ईद के त्योहारी मौसम में ढील दी गई, नतीजतन भीड़ सड़कों और बाज़ारों में पसर गई। संक्रमण का बुनियादी कारण यही है। अब 12-23 अगस्त के दौरान ओणम का त्योहार मनाया जाएगा। ऐसे जमावड़े होंगे, तो कोरोना को कैसे रोका जा सकता है? सरकारें त्योहारों पर बंधन लगाना नहीं चाहतीं, क्योंकि वही उनका राजनीतिक वोट बैंक है। 
क्रेडिट बाय divyahimachal

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