तीसरा प्रोत्साहन

कोरोना के समय में यह आर्थिक राहत की तीसरी खेप है।

Update: 2020-11-13 01:04 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सरकार ने जरूरतमंद देशवासियों व उद्योगों को आर्थिक राहत पहुंचाने के लिए जिस नए पैकेज की घोषणा की है, वह न केवल सुखद, बल्कि स्वागतयोग्य भी है। कोरोना के समय में यह आर्थिक राहत की तीसरी खेप है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राहत की घोषणा करते हुए विशेष रूप से आत्मनिर्भर भारत 3.0 के तहत नई आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना का एलान किया है। रोजगार के प्रति सरकार की चिंता बढ़ी है, तो यह स्वाभाविक भी है। आज बड़ी तादाद में युवाओं और लोगों को रोजगार की जरूरत है। कोरोना काल में जिन लोगों की नौकरी गई है, उनके लिए सरकार पहली बार प्रत्यक्ष पहल करती दिख रही है। सरकार अपने स्तर पर सीधे रोजगार देने के बजाय निजी क्षेत्र और उन नए निवेशों को बढ़ावा देना चाहती है, जो नए रोजगार के अवसर पैदा कर सकते हैं। सरकार नया रोजगार देने वाले उद्यमों को सब्सिडी देगी।

जब आर्थिक पैकेज की घोषणा हुई है, तब एक और बात बहुत ध्यान खींच रही है। भारतीय रिजर्व बैंक के हवाले से ऐसे संकेत मिलने लगे हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था पहली बार आधिकारिक रूप से मंदी में है। लगातार दो तिमाही में विकास दर नकारात्मक रही है। कोरोना ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर गहरा वार किया है, अब सरकार से लोगों की उम्मीदें और बढ़ गई हैं। ऐसे में, कोई आश्चर्य नहीं, वित्त मंत्री ने अनेक आंकड़ों के माध्यम से यह बताने की कोशिश की है कि देश सुधार की दिशा में बढ़ चला है। अनेक क्षेत्रों में खपत भी बढ़ी है और उत्पादन भी पटरी पर लौट रहा है। इसके साथ ही, कोरोना के सक्रिय मामले भी पांच लाख से कम हो गए हैं। इसके बावजूद वित्त मंत्री यह मान रही हैं कि अर्थव्यवस्था को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहन की जरूरत है और बुधवार की घोषणा इसका प्रमाण है। सरकार ताजा आर्थिक प्रोत्साहन के जरिए घरेलू विनिर्माण क्षेत्र की भी मदद करना चाहती है। बुधवार को ही दो लाख करोड़ रुपये मूल्य की उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजनाओं को मंजूरी दी गई है। वह इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के साथ ही औषधि, इस्पात, वाहन, दूरसंचार, कपड़ा, खाद्य उत्पाद जैसे उद्योगों में निवेशकों को उचित ही लाभ देना चाहती है। आपातकालीन ऋण गारंटी योजना को 31 मार्च, 2021 तक बढ़ा दिया गया है। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के लिए 18,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि दी जाएगी। कोरोना वैक्सीन के लिए 900 करोड़ रुपये और इन दिनों कुछ नाराज चल रहे किसानों के लिए 65,000 करोड़ रुपये की उर्वरक सब्सिडी की घोषणा की है।

भारत दुनिया के उन देशों में शामिल है, जिन्होंने कोरोना की मार से उबरने के लिए एकाधिक आर्थिक प्रोत्साहनों की घोषणा की है। मगर देखने की बात यह है कि क्या नए आर्थिक पैकेज से चालू तिमाही में अर्थव्यवस्था की विकास दर सकारात्मक हो जाएगी? क्या अब तक दिए गए प्रोत्साहन का पूरा लाभ जरूरतमंदों तक पहुंचा है? बेशक, लोगों को पहले की तुलना में कुछ राहत का एहसास हुआ है, पर अभी भी बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जो मदद के लिए भटक रहे हैं। राहत की घोषणाओं की जमीनी हकीकत को भी बार-बार परखने की जरूरत है। सरकार मुश्किल से किसी पैकेज की घोषणा करती है, पर क्या लोगों तक लाभ पहुंचाने वाला तंत्र भी मेहनत कर रहा है? कहना न होगा, इन प्रोत्साहनों के क्रियान्वयन की समीक्षा स्वयं सरकार को करनी पड़ेगी।

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