साल 2022 बिजनेस में इनोवेशन के नाम रहेगा; कामकाज के हाइब्रिड मॉडल समेत कई नए प्लेटफाॅर्म लेंगे आकार

पिछले दो सालों में पूरी मानवता एक दर्द, नुकसान और कष्ट भरे दौर से गुजरी है

Update: 2022-01-04 18:31 GMT

हर्ष गोयनका । पिछले दो सालों में पूरी मानवता एक दर्द, नुकसान और कष्ट भरे दौर से गुजरी है। आधुनिक दुनिया में इस तरह की तकलीफें युद्ध की वजहों से रही हैं, पर पहली बार एक नए दुश्मन ने हमला किया है। और इस दुश्मन से दुनिया में मौजूद हर शख्स किसी न किसी रूप में प्रभावित हुआ है। जब मैं यह लेख लिख रहा हूं, तब भी वैज्ञानिक समुदाय और स्वास्थ्यकर्मी बहादुरी से वापसी के लिए लड़ रहे हैं, पर खतरा दूर होना अभी दूर की कौड़ी ही लगता है।

भारत में, खासतौर पर सरकार व्यापक टीकाकरण करने में सफल रही, इससे आगे आने वाली संभावित लहरें रोकने में मदद मिलेगी। इस पृष्ठभूमि में 2022 व्यापार के लिए क्या मायने रखता है? जब महामारी शुरू हुई तब बहुत अनिश्चितता और चिंता के साथ ही एक अनजाना डर था। लॉकडाउन ने अर्थव्यवस्था को पंगु बना दिया था। दूसरी लहर का स्वरूप देखकर घबराहट बढ़ गई। इससे कारोबारी धारणाएं कमजोर हुईं और इन्हें सुधारना अभी भी मुश्किल जान पड़ता है।
दूसरा, वैश्विक सप्लाई चेन में अवरोधाें की वजह से सामान की कमी हो गई और कच्चे माल की कीमतें तीन गुना से अधिक हो गईं। पर सौभाग्य से हम जल्दी ही फिर उठ खड़े हुए। 2021-22 की दूसरी तिमाही में धीरे-धीरे मांग बढ़ने से जीडीपी 8.4 फीसदी हो गई और निवेश बढ़ने लगा। मौजूदा हालात के बावजूद साल 2022 कई नई व्यापारिक गतिविधियों का संकेत हो सकता है। उथल-पुथल सभी जगह है।
कामकाज के हाइब्रिड मॉडल आकार ले रहे हैं और हम लोग कार्यस्थल को लेकर इस साल अनेक नवाचार देखेंगे, जिसमें दूर बैठकर काम करने के आधार पर कर्मचारियों का वर्गीकरण, इंफ्रास्ट्रक्चर का आधुनिकीकरण और वैक्सीन नीतियां शामिल हैं। डिजिटल की भी लहर के साथ नई तकनीकें उभर रही हैं, जो संपत्ति निर्माण को देखने के हमारे तरीके बदल रही है। हम व्यापार में आमूलचूल परिवर्तन और डिजिटल टूल पर आधारित प्रक्रियाओं की कगार पर हैं।
इनवॉयरमेंट, सोशल और गवर्नेंस (ईएसजी) निवेशकों के विश्वास और मूल्यांकन के एक प्रमुख निर्धारक के रूप में गति पकड़ रहा है। मैं उम्मीद करता हूं कि अधिकतर कंपनियां ईएसजी पर अपने प्रयास तेज करेंगी और उनकी वजह से पर्यावरण पर होने वाले असर पर करीब से नजर रखेंगी। बीते साल हमने आईपीओ की बाढ़ देखी। अब भी घाटे में चल रहे जोमैटो ने जब 64 हजार करोड़ रुपए का आईपीओ लॉन्च किया, तो लोग चौंक गए कि क्या बाजार अतार्किक हो गया है।
लेकिन, लिस्टिंग के बाद वैल्यूएशन एक लाख करोड़ हो गया। नायका का 53 हजार करोड़ रु. का आईपीओ आया, जो एक लाख करोड़ पार कर गया, जिससे उसकी वैल्यूएशन बाजार में स्थापित ब्रिटेनिया, मैरिको और गोदरेज से भी ज्यादा हो गई। यह नए कारोबार में निवेशकों के विश्वास और उभरते सेक्टरों पर दांव लगाने की उनकी चाहत को दिखाता है। ये इस बात का भी प्रतीक है कि निवेश के अवसर काफी कम हो गए हैं। जोखिमों के बावजूद डेट मार्केट बहुत कम रिटर्न देते हैं, जबकि इक्विटी बाजार में ज्यादा मुनाफा है।
इस बीच, इलेक्ट्रिक वाहन जगह बना रहे हैं। ईवी मौजूदा इंटरनल कम्बशन इंजन वाले वाहनों के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं। हम इस क्रम में हाइड्रोजन सेल वाहनों को एक नई आमद के तौर पर देख सकते हैं। अलग-अलग तकनीकों के सह-अस्तित्व के लिए पर्याप्त जगह है और परिवर्तन पहले से ही सेगमेंट के आधार पर हो रहा है। सबसे पहले बड़ी मात्रा में ईवी तिपहिया और दुपहिया सेगमेंट में होंगी और जैसे ही तकनीक व दक्षता के मानदंड आकर्षक होंगे, सार्वजनिक यातायात की बसें भी इसे अपना लेंगी।
इसके बाद कारों का नंबर आएगा। कुल मिलाकर आने वाले पांच से सात सालों में भारत में प्रमुख रूप से इलेक्ट्रिक वाहनों का यातायात दिखने लगेगा। अनेक उद्योगों को प्रभावित करने वाला एक अन्य फैक्टर सेमीकंडक्टर की कमी है। मोदी सरकार द्वारा 76 हजार करोड़ रु. के प्रोत्साहन पैकेज की वजह से मुझे उम्मीद है कि भारत इसे अवसर के रूप में देखेगा। भारत की उत्पादन क्षमता देखते हुए चिप आपूर्ति में आत्मनिर्भर होना गेमचंेजिंग हो सकता है। मौजूदा साल में देश की जीडीपी 8.5-9% तक रहने की उम्मीद है।
स्टील और सीमेंट जैसी कमोडिटी कंपनियां क्षमता बढ़ाने के लिए निवेश कर रही हैं। एक माह के भीतर आने वाला केंद्रीय बजट इस बात का संकेतक होगा कि ढांचागत खर्च और कर नीतियां किस तरह से निवेश बढ़ाने को दिशा दिखाती हैं। सरकार के आत्मनिर्भर उपायों की वजह से मांग काफी अच्छी है। ये उपाय भविष्य में भी जारी रहेंगे, इस पर संशय है, यह कुछ सेक्टरों में अप्रिय स्थिति पैदा कर सकता है। टेक सेक्टर पर बहुत ज्यादा ध्यान है और यह अच्छे से बढ़ रहा है।
भारत सरकार ने ढांचागत सेक्टर में निवेश करके उत्साह पैदा किया है और विभिन्न योजनाओं के जरिए मांग को बढ़ावा दिया है। सिविल निर्माण के क्षेत्र में दो महीने पहले तक कोई पूछपरख नहीं थी, लेकिन अब हमसे ऑटो, सीमेंट और मेटल सेक्टर पूछताछ कर रहे हैं। संकेत है कि इंडस्ट्री ने निवेश के बारे में सोचना शुरू कर दिया है। इस सबके बीच डिजिटल, मशीन और आर्टीफीशियल इंटेलीजेंस (एआई) की वजह से होने वाले प्रमुख बदलावों को समझना महत्वपूर्ण है।
पहला, डिजिटल तकनीक के समावेश से अनेक उत्पाद स्मार्ट हो रहे हैं और वे उत्पाद से सेवा में बदल रहे हैं। इसलिए कई सारे 'बिजनेस टू बिजनेस', उत्पाद के तौर पर 'बिजनेस टू कस्टमर' में परिवर्तित हो जाएंगे। इस्तेमाल का पैटर्न देखकर आधुनिक सेवाओं की जरूरत को आंकना और उन्हें ठीक करना रुटीन हो जाएगा। वार्षिक रखरखाव अनुबंध पे-पर-यूज मॉडल को रास्ता देगा। दूसरे, उत्पादन के क्षेत्र में त्रुटि रहित उत्पाद व इनकी गुणवत्ता और क्षमता में सुधार को सुनिश्चित करने के लिए रोबोटिक्स से सज्जित 'फ्यूचर फैक्टरियां' दिखेंगी।
पहले ही अनेक स्मार्ट फैक्टरियां काम कर रही हैं, जिन्होंने उत्पाद की मानव हैंडलिंग को कंप्यूटर से बदल दिया है। तीसरे, हम कार्यबल की क्षमता और श्रमिकों की कम उपलब्धता के क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन देखेंगे। गहरी माइनिंग जैसे खतरनाक कामों में मशीनों का इस्तेमाल होगा और इंसानों को कम खतरनाक कामों में लगाया जाएगा। अंतत:, 'ऑगमेंटेड रिएलिटी' और वर्चुअल रिएलिटी के इस्तेमाल से हम उत्पाद और सेवा प्रदाता की उपभोक्ता से करीबी देखेंगे।
जहां पुराने मॉडल में इंस्टालेशन और सेवा के लिए एक डिस्ट्रीब्यूटर और डीलर की जरूरत होती थी, डिजिटल प्लेटफार्म पर वर्चुअल टूर के जरिए यह मिलेगा और चेन की जरूरत खत्म हो जाएगी। जब महामारी मंद पड़ जाएगी, यात्रा-पर्यटन की मांग उभरेगी। इससे हॉस्पिटेलिटी-एयरलाइन इंडस्ट्री को जरूरी प्रोत्साहन मिलेगा।
टाटा के स्वामित्व वाली एअर इंडिया, जेट के नए रूप और आकासा एयर के रूप में एक नए प्रवेशी के साथ निजी एयरलाइंस के क्षेत्र में कई गतिविधियां नजर आ रही हैं। हवाई यात्रा के लिए भारत का बाजार बहुत बड़ा है और इन खिलाड़ियों के प्रवेश से यह अधिक आकर्षक बनेगा। नए साल में, मैं आशान्वित होकर उम्मीद कर रहा हूं कि औद्योगिक क्षेत्र का पहिया गति पकड़ेगा और एक बार फिर से विकास के मुक्त पथ पर आगे बढ़ेगा।
पे पर यूज़ मॉडल होगा
डिजिटल तकनीक के समावेश से अनेक उत्पाद स्मार्ट हो रहे हैं और वे उत्पाद से सेवा में बदल रहे हैं। इसलिए कई सारे 'बिजनेस टू बिजनेस', उत्पाद के तौर पर 'बिजनेस टू कस्टमर' में परिवर्तित हो जाएंगे। इस्तेमाल का पैटर्न देखकर आधुनिक सेवाओं की जरूरत को आंकना और उन्हें ठीक करना रुटीन हो जाएगा। वार्षिक रखरखाव अनुबंध पे-पर-यूज मॉडल को रास्ता देगा। दूसरे, उत्पादन के क्षेत्र में त्रुटि रहित उत्पाद व इनकी गुणवत्ता और क्षमता में सुधार को सुनिश्चित करने के लिए रोबोटिक्स से सज्जित 'फ्यूचर फैक्टरियां' दिखेंगी।
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