रूस -यूक्रेन के बीच बातचीत में अमेरिका एवं यूरोपीय देशों ने प्रत्यक्ष रूप से भागीदारी करने की जरूरत नहीं समझी?

रूस की ओर से यूक्रेन के खिलाफ छेड़ी गई जंग का नतीजा कुछ भी हो, दुनिया भर में हथियारों की होड़ बढ़ना तय दिख रहा है।

Update: 2022-03-01 06:10 GMT

संजय पोखरियाली: रूस की ओर से यूक्रेन के खिलाफ छेड़ी गई जंग का नतीजा कुछ भी हो, दुनिया भर में हथियारों की होड़ बढ़ना तय दिख रहा है। इससे जहां विकासशील और गरीब देशों की समस्याएं बढ़ेंगी, वहीं विकसित देशों की हथियार निर्माता कंपनियां मालामाल होंगी। जर्मनी ने जिस तरह अपने सैन्य बजट में बढ़ोतरी करने का फैसला किया, वह दुनिया में हथियारों की होड़ तेज होने का ही प्रमाण है। इसी तरह रूस के सहयोगी देश बेलारूस ने जिस तरह खुद को परमाणु हथियार संपन्न करने के लिए जनमत संग्रह कराने का फैसला किया, उससे यह भी साफ है कि अब दुनिया के अन्य अनेक देश भी परमाणु हथियारों से लैस होने की कोशिश करेंगे। यह ध्यान रहे कि पश्चिमी देश उत्तर कोरिया को परमाणु हथियार बनाने से नहीं रोक पाए।

उत्तर कोरिया की राह पर ईरान भी है। अभी तक अमेरिका और यूरोपीय देश परमाणु हथियार हासिल करना चाह रहे अपने मित्र देशों की सुरक्षा की गारंटी लिया करते थे और इसी क्रम में सैन्य संगठन नाटो का विस्तार करने में लगे हुए थे, लेकिन दुनिया देख रही है कि उन्होंने यूक्रेन को किस तरह उसके हाल पर छोड़ दिया। इतना ही नहीं, वे रूस की उन धमकियों के सामने भी बेबस से दिख रहे, जिसके तहत वह परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने के संकेत दे रहा है। यह दुनिया को डराने वाली बेहद गैर जिम्मेदाराना हरकत है। यदि रूस को अपनी छवि की तनिक भी परवाह है तो उसे परमाणु हथियार इस्तेमाल करने की धमकियां देने से बाज आना चाहिए।

यदि यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद हथियारों की होड़ बढ़ने के साथ परमाणु हथियारों से लैस होने की प्रवृत्ति बढ़ी तो इससे विश्व और अधिक असुरक्षित तो होगा ही, जलवायु परिवर्तन से बचने एवं गरीबी से लड़ने के एजेंडे भी हाशिये पर जाएंगे। इससे दुर्भाग्यपूर्ण और कुछ नहीं कि जब विश्व के प्रमुख देशों को शांति एवं सद्भाव के लिए

अपनी प्रतिबद्धता दिखानी चाहिए, तब वे अपने-अपने हितों के बचाव को प्राथमिकता देते नजर आ रहे।

क्या यह विचित्र नहीं कि रूस और यूक्रेन के बीच बातचीत में अमेरिका एवं यूरोपीय देशों ने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से भागीदारी करने की जरूरत नहीं समझी? इससे संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता कि अमेरिका और यूरोपीय देश रूस पर प्रतिबंध लगाते जा रहे हैं, क्योंकि वे समय रहते यूक्रेन को रूस के हमले से बचाने अथवा युद्ध विराम के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए आगे नहीं आ पाए।


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