लक्षद्वीप का असल खतरा
लक्षद्वीप इन दिनों दूसरी वजहों से चर्चा में है, लेकिन उस पर मंडरा रहा असल खतरा कुछ अलग है।
लक्षद्वीप इन दिनों दूसरी वजहों से चर्चा में है, लेकिन उस पर मंडरा रहा असल खतरा कुछ अलग है। असल खतरा उसके अस्तित्व के लिए है। जलवायु परिवर्तन की वजह से ये द्वीप हो सकता है कि अगले दो दशक के अंदर दुनिया के नक्शे से मिट जाए। ये बात समुद्र वैज्ञानिकों के एक दल ने अपने अध्ययन के आधार पर कही है। अध्ययन अंतरराष्ट्रीय पत्रिका ऐलसेवियर में छपी है। अध्ययनकर्ता इतने अधिक चिंतित हैं कि उन्होंने द्वीप के लोगों को सबसे सुरक्षित जगहों पर ले जाकर बसाने की सिफारिश की है। आईआईटी खड़गपुर के समुद्र विज्ञान संस्थान और केंद्र सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों की टीम ने अपने अध्ययन में पाया है कि जलवायु परिवर्तन से लक्षद्वीप में हर साल समुद्र का स्तर 0.4 मिमी से 0.9 मिमी तक बढ़ेगा। इसकी वजह से द्वीप के कई हिस्से समुद्र में समा जाएंगे। रिपोर्ट में 2035 तक 70 से 80 फीसदी जमीन समुद्र के गर्भ में समाने का अंदेशा जताया गया है। कहा गया है कि लक्षद्वीप में कई ऐसे छोटे द्वीप हैं, जो जमीन की पतली पट्टी के तौर पर ही बच जाएंगे।