आर्थिक मोर्चे पर तेजी से बिगड़ती स्थिति शहबाज शरीफ की नई नवेली सरकार को झटका दे सकती है
विदेशी मुद्रा की भारी कमी ने राजपक्षे सरकार को ईंधन सहित तमाम आवश्यक वस्तुओं के आयात के लिए भुगतान करने में असमर्थ बना दिया है
प्रशांत सक्सेना |
गुरुवार को जब अमेरिकी डॉलर पाकिस्तानी रुपए (Pakistani Rupee) के मुकाबले 192 के ऊपर पहुंच गया तो देश में पहले से ही महंगी आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में और बढ़ोतरी का डर सताने लगा. फाइनेंसियल एक्सपर्ट्स और समाचार पत्रों में छपे संपादकीय लेखों ने पाकिस्तान (Pakistan) की विकट स्थिति की तुलना श्रीलंका (Sri Lanka Crisis) से करनी शुरू कर दी. जहां फिलहाल एक प्रचंड सामाजिक अशांति फैली हुई है, जिसने सरकार से राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे और उनके मंत्रिमंडल को बाहर कर दिया है.
विदेशी मुद्रा की भारी कमी ने राजपक्षे सरकार को ईंधन सहित तमाम आवश्यक वस्तुओं के आयात के लिए भुगतान करने में असमर्थ बना दिया है. जिससे देश में लगभग 13 घंटे तक की बिजली की कटौती हो रही है. हालांकि कर्ज के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ बातचीत से पहले श्रीलंका ने पिछले महीने ही अपनी मुद्रा का तेजी से अवमूल्यन करने की बात भी की है. इस वक्त श्रीलंकाई नागरिक भी आवश्यक वस्तुओं की कमी और बढ़ती मुद्रास्फिति से निपट रहे हैं. 2019 के एशियन डेवलपमेंट बैंक वर्किंग पेपर में कहा गया, "श्रीलंका एक ट्विन डेफिसिट वाली अर्थव्यवस्था है." ट्विन डेफिसिट का मतलब है कि देश का राष्ट्रीय व्यव उसकी राष्ट्रीय आय से अधिक है और यहां व्यापार योग्य वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन का अपर्याप्त है.
2021 में विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तान उन शीर्ष 10 देशों में शामिल है जिनके पास सबसे बड़े विदेशी कर्ज का स्टॉक है. जून 2021 तक पाकिस्तान का सार्वजनिक विदेशी ऋण 10.8% की वार्षिक वृद्धि दर्ज करते हुए 86.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया था. विदेशी कर्ज के मामले में इस वृद्धि को अन्य अंतरराष्ट्रीय मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर के डिप्रेशिएशन के कारण नुकसान के पुनर्मूल्यांकन द्वारा समझा गया है, जिसने डॉलर के संदर्भ में बाहरी कर्ज के मूल्य को बढ़ा दिया है. पुनर्मूल्यांकन के आधे से अधिक नुकसान अमेरिकी डॉलर के मुकाबले स्पेशल डार्विन राइट्स (एसडीआर) की सराहना के कारण थे.
अर्थव्यवस्था चरमरा गई है
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपए में लगातार गिरावट ने विदेशी कर्ज को और ज्यादा बढ़ाने में योगदान दिया है. अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी द्वारा कम रैंकिंग और फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स में पाकिस्तान की ग्रे लिस्टिंग के साथ गिरते आत्मविश्वास ने विदेशी निवेशकों को पाकिस्तान से दूर कर दिया है. बुधवार को पाकिस्तानी न्यूज़पेपर द डॉन की एक रिपोर्ट में कहा गया कि बढ़ते एक्सचेंज रेट ने देश की अर्थव्यवस्था को झकझोर कर रख दिया है. मुख्य रूप से इंपोर्ट में अनियंत्रित वृद्धि और एक्सपोर्ट में बढ़ोतरी की अपेक्षाकृत धीमी गति के कारण भी पाकिस्तानी रुपया तेजी से गिर रहा है.
फिलहाल देश की स्थिति व्यापारिक घाटे में दिखाई दे रही है, क्योंकि जुलाई से अप्रैल में यह 39 अरब डालर तक पहुंच गया था. बढ़ती मुद्रास्फीति और लोकल करंसी के अवमूल्यन का मतलब उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति में गिरावट है, जिसकी वजह से व्यापारी अपने निवेश को बचाने के लिए ज्यादा लाभ की मांग करते हैं. पाकिस्तानी सांख्यिकी ब्यूरो के अनुसार सनसिटी प्राइस इंडेक्स ने पिछले सप्ताह 15.1 फ़ीसदी रेकॉर्ड को टच किया था. जिसमें आवश्यक खाद्य पदार्थों की कीमतें भी शामिल हैं.
पैकेज के साथ और भी बहुत कुछ
स्थानीय मीडिया ने बताया कि इस महीने की शुरुआत में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की यात्रा के दौरान पाकिस्तान ने सऊदी अरब से लगभग 8 अरब डॉलर का बड़ा पैकेज हासिल किया है. द न्यूज इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, 8 बिलियन डॉलर के पैकेज में तेल की फाइनेंसिंग की सुविधा को दोगुना करना, जमा या सुकुक्स के माध्यम से अतिरिक्त धन और मौजूदा 4.2 बिलियन डॉलर की सुविधाओं को शामिल करना शामिल है. मीडिया अखिलेश ने विकास से जुड़े शीर्ष आधिकारिक सूत्रों के हवाले से कहा, "हालांकि तकनीकी विवरणों पर काम किया जा रहा है और सभी दस्तावेजों को तैयार और साइन होने में अभी कुछ हफ्ते और लगेंगे."
इससे पहले दिसंबर 2021 में सऊदी अरब ने स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान को 3 बिलीयन डॉलर की जमा राशि प्रदान की थी और मार्च 2022 में सऊदी ऑयल फैसिलिटी के चालू होने के बाद पाकिस्तान को तेल खरीदने के लिए 100 मिलियन डॉलर भी दिए थे. वित्त सचिव हामिद याकूब शेख ने द एक्सप्रेस ट्रिब्यून को बताया कि पाकिस्तान के दूसरे दोस्त संयुक्त अरब अमीरात ने एक और साल के लिए 2 अरब डॉलर से अधिक के कर्ज को रोल ओवर दिया है. वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि यूएई ने अभी तक 450 मिलियन डॉलर के एक और कर्ज के रोलओवर पर निर्णय नहीं लिया है जो कुछ सप्ताह पहले मैच्योर हुआ था. पाकिस्तान ने 45 करोण डॉलर का कर्ज नहीं चुकाया था, जबकि दुबई ने अपने पैसे वापस मांगे थे.
पाकिस्तान भारत के साथ अपने व्यापार संबंधों को बहाल करने के बारे में कितना गंभीर है यह उस देश के कॉमर्स मिनिस्ट्री द्वारा बुधवार को जारी एक स्पष्टीकरण से साफ है- 1 दिन बाद जब पाकिस्तान कैबिनेट ने नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग में व्यापार और निवेश मंत्री की नियुक्ति को मंजूरी दी तो अपने बयान में पाकिस्तान ने कहा, 'भारत के साथ व्यापार पर पाकिस्तान की नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है.' निवेश मंत्री की नियुक्ति से अटकलों का बाजार गर्म था कि शायद नई सरकार ने भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार को बहाल करने का फैसला किया है जो नई दिल्ली द्वारा जम्मू और कश्मीर क्षेत्र की विशेष स्थिति को रद्द करने के बाद निलंबित कर दिया गया था.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, आर्टिकल में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं.)