इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेशों से उठा सवाल : यूपी में कानून का राज?
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फिर उत्तर प्रदेश सरकार को सवालों के कठघरे में खड़ा किया है।
NI एडिटोरियल: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फिर उत्तर प्रदेश सरकार को सवालों के कठघरे में खड़ा किया है। इस बार सवाल राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के इस्तेमाल पर हैं। ये कानून सरकार को बिना औपचारिक आरोप या सुनवाई के गिरफ्तारी का अधिकार देता है। लेकिन पुलिस और अदालत के दस्तावेजों से सामने आया कि ऐसे मामलों में एक ढर्रे का पालन किया जा रहा था, जिसमें पुलिस अलग-अलग एफआईआर में महत्वपूर्ण जानकारियां कट-पेस्ट कर देती थी। साथ ही आरोप है कि मजिस्ट्रेट के दिए डिटेंशन ऑर्डर में विवेक का इस्तेमाल नहीं किया गया, आरोपी को निर्धारित प्रक्रिया मुहैया कराने से इनकार किया गया, और जमानत रोकने के लिए कानून का लगातार गलत इस्तेमाल किया गया। इस आधार पर 120 बंदी प्रत्यक्षीकरण (हैबियस कॉर्पस) याचिकाएं दायर की गई थीं, जिन पर इस हफ्ते हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया। ये मामले जनवरी 2018 और दिसंबर 2020 के बीच के हैं।