दिल्ली का ‘दरिंदा’

Update: 2023-06-01 18:15 GMT
By: divyahimachal 
यह बर्बर और घिनौना सच राजधानी दिल्ली का ही नहीं, मुंबई, हैदराबाद, रायपुर, सहारनपुर और केरल के किसी भी शहर का हो सकता है। युवा पीढ़ी भटक चुकी है। उसकी कई स्टोरी हैं। अब उसकी प्राथमिकता ‘रिलेशनशिप’ की है। खाने को दाने न हों, पढ़ाई अभी अधूरी हो, करियर की शुरुआत भी न हुई हो, लेकिन किशोर बच्चे भी ‘संबंध’ में रहना चाहते हैं। ऐसे संबंधों की नियति सिर्फ ‘हत्या’ होती है। हम कई मामले ऐसे देख-पढ़ चुके हैं। सबसे ज्यादा झकझोरने वाला प्रसंग श्रद्धा-आफताब का रहा है। हत्यारे ने अपनी लिव-इन पार्टनर की ही हत्या कर दी और फिर लाश के 35 टुकड़े कर इधर-उधर बिखेर दिए। हत्यारा आज भी जिंदा है और जेल में है। अदालत में अभी केस चलना है। न जाने सजा कब तक होगी? यदि हमारी न्याय-प्रणाली के तहत आफताब को फांसी पर लटका दिया गया होता, तो शायद राजधानी दिल्ली का हत्याकांड न होता! कातिल मुहम्मद साहिल खान अपनी ही ‘दोस्त’ की दरिंदगी से, राक्षसी व्यवहार से, हत्या करने से पहले चार बार सोचता! राजधानी में बीते रविवार को मात्र 20 साल के एक सिरफिरे युवा ने, दिन-दहाड़े, गुजरते लोगों के बीच, अपनी ही 16 वर्षीया नाबालिग ‘दोस्त’ की बर्बर हत्या कर दी। खंजरनुमा चाकू से 21 वार किए।
लडक़ी को बार-बार गोदने के बाद, उस पर पत्थर से प्रहार कर, उसकी हत्या कर दी। इनसान है या दानव की कोई नस्ल है! राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो दिल्ली को ‘अपराध की राजधानी’ करार देता रहे अथवा पुलिस की निष्क्रियता, नालायकी के मद्देनजर उसे जमकर कोसा जाए, लेकिन जघन्य अपराध के साथ-साथ यह सामाजिक नैतिकता, मानवीय संस्कार और उदासीनता का भी मामला है। साहिल लडक़ी पर कातिलाना वार कर रहा था। लडक़ी मदद के लिए चीख रही थी। गली भरी-पूरी थी और 17 लोग उस दौरान वहां से गुजरे थे। यह सीसीटीवी का प्रमाण है और पुलिस का भी खुलासा है। लोग ‘जिंदा मुर्दों’ की तरह वहां से निकल गए। यदि उन्होंने सामूहिक तौर पर हस्तक्षेप करने की हिम्मत दिखाई होती, तो शायद नाबालिग बेटी आज जिंदा होती! देश की राजधानी दिल्ली इतनी संवेदनहीन और पत्थर-दिल भी हो सकती है! यहां की गली-गली, मुहल्ला-दर-मुहल्ला ‘अपराध’ आम बात है। दिल्ली बेटियों-बच्चियों के लिए ही नहीं, महिलाओं के लिए भी ‘घोर असुरक्षित’ है। क्या नए भारत का यह एक कुरूप चेहरा भी है, जिसमें 20 साल के नवयुवक के भीतर इतना गुस्सा, असहिष्णुता और हत्या की हद तक आक्रामकता है!
बेशक आम आदमी पार्टी और मुख्यमंत्री केजरीवाल दिल्ली के उपराज्यपाल को कोसते रहें, क्योंकि पुलिस उनके ही अधीन है, बेशक भाजपा इसे ‘लव जेहाद’ या ‘लव टै्रप’ करार देती रहे, लेकिन यह अपराध का इकलौता मामला नहीं है। आश्चर्यजनक यह है कि पुलिस ने हत्यारे साहिल की गिरफ्तारी के बाद खुलासा किया कि लडक़ा-लडक़ी बीते 3-4 साल से ‘रिलेशनशिप’ में थे। तब दोनों ही किशोर थे। लडक़ी तो अब भी नाबालिग थी और 10वीं की परीक्षा पास की थी। यह कौन-सी मनोवृत्ति और मनोविकार है कि आज की पीढ़ी किशोर उम्र में ही ‘रिलेशनशिप’ में जाना चाहती है? सिर्फ यही नहीं, लडक़ी के घरवालों ने ही खुलासा किया है कि बीते कुछ समय से वह घर में नहीं, बल्कि अपनी कथित सहेली के साथ रहती थी। सहेली का पति किसी अपराध में जेल में है। यानी पूरी पृष्ठभूमि आपराधिक लगती है। श्रद्धा ने भी आफताब के लिए मां-बाप का घर छोड़ दिया था। सवाल है कि आज की नाबालिग या बालिग लड़कियां ऐसे गुस्सैल, हिंसक और आक्रामक युवाओं के प्रति आकर्षित क्यों होती हैं? दिल्ली का यह बर्बर हत्याकांड ‘दुर्लभ से दुर्लभतम’ श्रेणी का मामला है।

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