इमरान खान की चीन यात्रा की इकलौती कामयाबी: शी जिनपिंग के साथ खिंचवाई तस्वीर
शी जिनपिंग के साथ खिंचवाई तस्वीर
के वी रमेश।
बीजिंग (Beijing) पहुंचने के चार दिनों बाद तक पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री अपने पांच मंत्रियों के साथ राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) से एक बैठक के लिए पूरे सब्र से इंतजार करते रहे. पाकिस्तानी प्रतिनीधिमंडल चीन द्वारा आयोजित शीतकालीन ओलंपिक के मेहमानों में से एक था. मेजबान चीन के सख्त कोविड प्रोटोकॉल के तहत उन्हें होटल में रहने की सलाह दी गई थी. बहरहाल इमरान खान के बीजिंग पहुंचने के एक दिन बाद, वे VVIP मेहमान – व्लादीमीर पुतिन – वहां पहुंचे जिनका चीन बेसब्री से इंतजार कर रहा था. निस्संदेह ये पाकिस्तानी नेताओं के लिए लज्जित होने वाली बात रही होगी कि रूसी राष्ट्रपति ने अपने आगमन के तुरंत बाद शी के साथ एक बहुप्रचारित और बहुप्रतीक्षित शिखर वार्ता की.
रूस और चीन ने अपनी नजदीकियों का इजहार किया. बैठक के दौरान दोनों ही नेताओं ने मास्क नहीं पहने. इतना ही नहीं, रूसी राष्ट्रपति के लिए सख्त COVID प्रोटोकॉल के पालन की भी जरूरत नहीं थी जो चीनी अधिकारियों ने शीतकालीन खेलों के प्रतिनिधिमंडलों के लिए निर्धारित किया था. जब इमरान खान और उनका दल होटल में आराम फरमा रहे थे तो और भी महत्वपूर्ण मेहमान चीन पहुंचने लगे. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस, कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी, संयुक्त अरब अमीरात के क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान, सर्बियाई राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वूसिक और मंगोलियाई प्रधान मंत्री एल ओयुन-एर्डिन.
इमरान खान ने दोनो मुल्कों की दोस्ती को 'हिमालय से भी ऊंचा' बताया
इमरान खान की निराशा को कम करने के लिए चीनी अधिकारियों ने औद्योगिक निगमों के प्रमुखों के साथ उनकी एक वर्चुअल मीटिंग करवा दी. हालांकि इस कार्यक्रम था जिसका पाकिस्तान में काफी मज़ाक उड़ाया गया. कई लोगों ने हैरानी जताई कि प्रधानमंत्री चीनी कॉरपोरेट दिग्गजों के साथ एक वर्चुअल मीटिंग करने के लिए बीजिंग क्यों गए, जबकि वे इसे इस्लामाबाद से कर सकते थे. खान की बेचैनी उनके असंवेदनशील मेजबानों को भी नज़र आ रही थी इसलिए उन्होंने ग्लोबल टाइम्स के दो पत्रकारों के साथ उनकी एक वर्चुअल इंटरव्यू का इंतजाम भी करवा दिया.
बहरहाल , इमरान के लिए इतनी ही राहत की बात थी कि उन्होंने चीन और उसके नेतृत्व की तारीफ करते हुए दिल खोल कर क़सीदे पढ़े. हमेशा की तरह दोनो मुल्कों की दोस्ती को 'हिमालय से भी ऊंचा' बताया. इमरान ने चीन के "मूल हितों" के लिए लगातार समर्थन देते रहने की शपथ ली. पाकिस्तान ने ताइवान, हांगकांग, दक्षिण चीन सागर जैसे मुद्दों पर बीजिंग के रुख का बिना शर्त समर्थन देने का वादा भी किया. और हैरत की बात नहीं कि भारत के खिलाफ लद्दाख में चीनी नीति का भी समर्थन किया.
शीतकालीन ओलंपिक के उद्घाटन समारोह में पुतिन चीनी नेताओं के साथ थे, तो इमरान खान और उनकी टीम बर्ड्स नेस्ट स्टेडियम के एक कोने में अलग-थलग औऱ उदास बैठे थे. उद्घाटन समारोह के एक दिन बाद भी शिखर सम्मेलन बुलाने का कोई संकेत नहीं था. आखिरकार रविवार को, जब इमरान और उनके मंत्री वापस पाकिस्तान जाने की तैयारी कर रहे थे तभी शिखर सम्मेलन के लिए बुलावा आ गया. निश्चित ही इमरान को राहत मिली और उन्होंने चीनी नेताओं से मुलाकात की. चीन के लिए परंपरागत तारीफ के शब्द दोहराए गएृ और फिर एक तस्वीर खिंचवाई जिसे फ्रेम कर वे शायद अपने कार्यालय में लटकाएंगे.
पाकिस्तान अपनी वफादारी से चीन को प्रभावित करना चाहता है
इमरान की बीजिंग यात्रा का प्राथमिक उद्देश्य केवल चीनी नेता के प्रति सामंती निष्ठा की प्रतिज्ञा लेना ही नहीं था जो वे वैसे भी हमेशा करते रहे हैं. इमरान अपने दिल में उम्मीद और होठों पर एक प्रार्थना के साथ बीजिंग गए थे. इनमें पहला था चीन से 3 बिलियन डॉलर ऋण की मांग और दूसरा था चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के दूसरे चरण में उद्योग के लिए कम से कम 10 बिलियन डॉलर के निवेश की मांग. इमरान की यात्रा का एक और उद्देश्य था: चीनी नेतृत्व को अपनी गुलाम वाली वफादारी से प्रभावित करना. वे बीजिंग नेतृत्व को बताना चाहते थे कि वे शीतकालीन खेलों में चीन के साथ अपनी एकजुटता दिखाने के लिए वहां आए थे.
गौरतलब है कि शीतकालीन ओलंपिक अमेरिका और उसके अधिकांश सहयोगियों द्वारा राजनयिक बहिष्कार से प्रभावित था. इतना ही नहीं, वे चीनी सत्ता को शायद ये भी याद दिलाना चाह रहे थे कि दिसंबर में उन्होंने लोकतंत्र शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए अमेरिकी निमंत्रण को भी ठुकरा दिया था. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बेहद खतरनाक दौर से गुजर रही है. इसका टैक्स रेवेन्यू काफी बदतर हालात में है और निर्यात में खतरनाक रूप से गिरावट आई है. महंगाई चरम पर है. सरकार एक-एक दिन गिन कर जी रही है. इमरान की सरकार को विश्व बैंक से सिर्फ 1 अरब डॉलर की किश्त मिली है और वो भी काफी अपमानजनक शर्तों के साथ.
इससे भी अधिक बेईज्जती वाले शर्तों के तहत पाकिस्तान के खाते में एक वर्ष के लिए 3 बिलियन डॉलर की जमा राशि प्राप्त हुई, ताकि पाकिस्तान को विश्व बैंक के साथ अपने वित्त को बेहतर बनाए रखने में मदद मिल सके और कम से कम अक्टूबर तक आईएमएफ कार्यक्रम के पूरा होने तक जमा राशि को चालू रखा जा सके. इस्लामाबाद के साथ अपने संबंधों के बारे में सउदी बहुत कम ही बोलते हैं. बहरहाल वो भी कुछ हद तक पिघल गए और इस्लामाबाद को प्रति वर्ष 1.5 बिलियन डॉलर तक के विलम्बित भुगतान पर कच्चा तेल देने के लिए सहमत हो गए.
पाकिस्तान को चीन का एक अरब डॉलर का कर्ज चुकाना है
लेकिन चीन उसे 3 अरब डॉलर देने के लिए उतना प्रतिबद्ध नहीं था जिनती पाकिस्तान को इसकी जरूरत थी. ग्लोबल टाइम्स में चीन के लिए जयगान गाने और शी के साथ मुलाकात के दौरान इसे दोहराए जाने के बावजूद चीनी पक्ष का रवैया ठंडा ही रहा. खान के लिए यह भारी बेईज्जती वाली बात रही होगी कि शी के साथ बैठक में उन्हें मास्क लगाना पड़ा. इमरान के साथ बैठक के दौरान शी ने मास्क तो लगा रखा था लेकिन वही पुतिन के साथ मीटिंग में उन्होंने मास्क नहीं लगाया.
साफ था कि इमरान दो अनचाहे विकल्पों के बीच फंसे हुए थे. विश्व बैंक ने जोर देकर कहा है कि पाकिस्तान जिस अतिरिक्त 5 अरब डॉलर की उम्मीद कर रहा है वह उसे तभी मिलेगा जब CPEC की शर्तों का खुलासा करे. लेकिन चीन इस शर्त के खिलाफ है. विश्व बैंक इस बात पर भी जोर दे रहा है कि उसे चीन के साथ किसी और सीपीईसी समझौते की जानकारी भी उसे देनी होगी. इतना ही नहीं, इस तरह के समझौतों को अंतिम रूप देने से पहले इसके इनपुट की जानकारी भी वर्ल्ड बैंक को मिलनी चाहिए. विश्व बैंक ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि उसके कर्जों का इस्तेमाल चीन के बकाया भुगतान के लिए नहीं किया जाना चाहिए. इस साल जुलाई में पाकिस्तान को चीन का एक अरब डॉलर कर्ज भी चुकाना है जो उसे 2020 में एक साल के लिए मिला था.
पिछले जून में जब पाकिस्तान को ये कर्ज चुकाना था तो उसने बीजिंग को एक साल का एक्सटेंशन देने के लिए जैसे-तैसे मना लिया था. विश्व बैंक ने गारंटी मांगी है कि वह जिस 1 बिलियन डॉलर की किश्त बढ़ाने के लिए सहमत हुआ है, उसका उपयोग उस लाइन ऑफ क्रेडिट को चुकता करने में इस्तेमाल नहीं होना चाहिए. सीपीईसी की शर्तों के तहत पाकिस्तान को इस साल कर्ज की अदायगी करनी है. लेकिन इमरान खान को उम्मीद है कि चीन न सिर्फ ब्याज माफ करेगा बल्कि अपने कर्ज को भी रिस्ट्रक्चर करेगा.
बलूचिस्तान में चीनी लोगों के खिलाफ जबरदस्त असंतोष है
बहरहाल, चीन के रूख से यह सब होने की संभावना नहीं दिख रही है. पाकिस्तान सरकार द्वारा दिए गए बयान में चीन द्वारा किसी भी नए ऋण या सीपीईसी के तहत कर्जों के भुगतान के रिस्ट्रक्चर करने की बात नहीं की गई है. वास्तव में, पाकिस्तान की फरियादी दलीलों और उसकी बार-बार निष्ठा के दावों के बावजूद चीन का रूख़ सख्त होता जा रहा है. दरअसल सीपीईसी परियोजनाओं और चीनी कर्मियों की सुरक्षा के मुद्दे पर पाकिस्तानी सेना की विफलता से चीन काफी नाराज है. खास तौर पर पिछले साल जुलाई में ऊपरी कोहिस्तान के दसू में आतंकवादी हमले में 13 चीनी कामगार मारे गए थे. नाराज चीन ने मांग की कि पाकिस्तान मजदूरों के परिवारों को 3.8 करोड़ डॉलर का मुआवजा दे. ये एक ऐसी मांग थी जिससे पाकिस्तानी सरकार डर गई. अंत में, इस्लामाबाद बीजिंग को 11.6 मिलियन डॉलर का भुगतान स्वीकार करने के लिए राजी करने में कामयाब रहा.
बलूचिस्तान में होने वाली घटनाओं पर भी चीन चिंतित होगा. बलूचिस्तान में चीनी लोगों के खिलाफ जबरदस्त असंतोष है, बलोच महसूस करते हैं कि सीपीईसी सिर्फ स्थानीय संसाधनों का दोहन कर रहा है और उन्हें इस परियोजना से कुछ भी मिलने वाला नहीं है. यहां तक कि मछली पकड़ने वाले चीनी जहाज स्थानीय मछुआरों को उनके हक से वंचित कर रहे हैं. पिछले दो हफ्तों में, बलूचिस्तान के पंजगुर और नुश्की में पाकिस्तानी सेना की चौकियों पर बार-बार हमले हुए हैं. बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के विद्रोहियों ने दावा किया है कि उन्होंने सौ या उससे अधिक सैनिकों को मौत के घाट उतारा है और पाकिस्तानी सेना के दो हेलीकॉप्टरों को भी मार गिराया है.
इन्हीं चिंताजनक पृष्ठभूमि के मद्देनज़र चीन निश्चित रूप से सीपीईसी के दूसरे चरण में शामिल होने से पहले बेहद सख्त शर्तें रखेगा. निस्संदेह इसमें कर्मियों और परियोजनाओं के लिए पूर्ण सुरक्षा भी शामिल है. कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि खान के चीन प्रवास के दौरान इस्लामाबाद प्रेस विज्ञप्ति में "अधिक" चीनी निवेश और चीन से पाकिस्तान में उद्योगों के स्थानांतरण की बात की गई थी. इस विज्ञप्ति में एक डॉलर का भी जिक्र नहीं था, तीन अरब डॉलर की बात तो छोड़ ही दें. उधर पाकिस्तान में उनके आलोचक और राजनीतिक प्रतिद्वंदी इस पूरे प्रकरण की निंदा कर रहे हैं. बेशक, आने वाले दिनों में वे अपने "हैंडसम" प्रधान मंत्री के खिलाफ हमला तेज करेंगे.