पाकिस्तान की सरकार भयानक बाढ़ पर अपने लोगों से भयानक झूठ बोल रही है
जिससे मानसून पैटर्न बदल रहा है.
एक ओर पाकिस्तान पहले से ही अपने राजनीतिक तूफान का सामना कर रहा है वहीं दूसरी ओर आधिकारिक सरकारी आंकड़ों के अनुसार पाकिस्तान में हाल ही में आई बड़ी बाढ़ में 1300 से अधिक लोग मारे गए हैं. बारिश और बाढ़ से 10 बिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ है. पाकिस्तानी बाढ़ बुनियादी ढांचे की विफलता और खराब शासन का एक आदर्श परिणाम है.
अप्रैल, मई और जून में मासिक तापमान सामान्य से काफी ज्यादा रहने की वजह से शुष्क हवाएं ऊपर की ओर उठीं, जिसके कारण हिंद महासागर से नमी से भरी हवा से एक विशाल वैक्यूम निकल गया, जिसके परिणामस्वरूप देश में बारिश का एक झरना गिर गया. जलवायु में होने वाली उथल-पुथल पूरी दुनिया पर कहर बरपा रही है, आज जो धरातल पर दिखाई दे रहा है, वह ग्लेशियरों के पिघलने से हुई मूसलाधार बारिश का प्रत्यक्ष परिणाम है.
चीन एक असाधारण गर्मी का सामना कर रहा है जिसकी वजह से नदियां और झीलें सूख गई हैं, वहीं यूरोप 500 वर्षों में अपने सबसे खराब सूखे से जूझ रहा है. मिसिसिपी के जैक्सन शहर के मेयर ने वहां के निवासियों से शहर को खाली करने का आग्रह किया है, क्योंकि बाढ़ का खतरा है. जेट धाराओं में बदलाव, अफ्रीका से गर्म हवाओं, अटलांटिक महासागर के गर्म होने से समुद्र की सतह के तापमान में वृद्धि और आर्कटिक क्षेत्र में बढ़ते तापमान के कारण वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन होता है. जल संसाधनों में कमी, जंगल की आग और हीट वेव सीधे तौर पर जलवायु परिवर्तन के कारण होती हैं, हमें इस पर काफी नजदीक से ध्यान देने की जरूरत है.
सबसे जल्दी चपेट में आने वाले टॉप 10 देशों में पाकिस्तान
पाकिस्तान उन टॉप 10 देशों में से एक है जो जलवायु परिवर्तन के लिए अतिसंवेदनशील है. यह जल्द ही जलवायु परिवर्तन से होने वाली आपदाओं के चपेट में आ जाता है. इसके बावजूद भी इस मुल्क ने प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए खुद को तैयार करने के लिए बहुत कम काम किया है. महज 12 साल पहले ही पाकिस्तानियों ने इस त्रासदी को देखा है. इंडस (सिंधु) सिस्टम पर बाढ़ नियमित तौर पर आती रहती है लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार ने 2010 की रिकॉर्ड बाढ़ के बाद बहुत कम तैयारी की है. उस बाढ़ में हजारों लोग मारे गए थे और लाखों लोग विस्थापित हुए थे.
पाकिस्तान के जलवायु परिवर्तन मंत्री शेरी रहमान ने हालिया बाढ़ को "जल प्रलय और अभूतपूर्व" बताया है. इसमें कोई संदेह नहीं कि ये बाढ़ बड़े पैमाने पर थी, लेकिन ये न तो अति भयंकर थी न ही अभूतपूर्व. पाकिस्तान में आई हालिया विनाशकारी बाढ़ और सरकार तथा सिविल सोसायटी द्वारा अल्प राहत प्रतिक्रिया ने आपदा प्रबंधन के प्रति देश की संवेदनहीनता को उजागर कर दिया है.
पाकिस्तान को जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय गिरावट के प्रतिकूल प्रभावों के कारण 24 बिलियन यूएस डालर का सालाना नुकसान होता है. ये बात जाहिर है कि पाकिस्तान सैन्य बजट पर काफी खर्च करता है लेकिन जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए स्थानीय रणनीति तैयार करने पर उस राशि का एक अंश खर्च करने से पाकिस्तान जैसे विकासशील देश को बहुत बड़ा लाभ प्राप्त हो सकता है. हम देख ही रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण पाकिस्तान को कई तरह के पर्यावरणीय खतरों का सामना करना पड़ रहा है.
21वीं सदी में दुनिया जिस होलोसीन या अभिनव जलवायु परिवर्तन का अनुभव कर रही है, उसकी कई अभिव्यक्तियों में से एक हीटवेव भी है; पिछले 15 में से 14 वर्ष इतिहास में सबसे गर्म रिकॉर्ड किए गए हैं. हिंद महासागर की समुद्री सतह का तापमान दुनिया के बाकी महासागरों की तुलना में कहीं अधिक तेज गति से बढ़ रहा है, जिससे मानसून पैटर्न बदल रहा है.
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