नए युग की शुरुआत 'शी जिनपिंग थॉट' : क्या चीनी राष्ट्रपति आदर्श नेता बन पाएंगे?
क्या चीनी राष्ट्रपति आदर्श नेता बन पाएंगे?
ज्योतिर्मय रॉय.
अन्ततोगत्वा, चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने संविधान में 'शी जिनपिंग थॉट' को शामिल कर लिया है. पहले कम्युनिस्ट नेता और संस्थापक माओत्से तुंग के बाद राष्ट्रपति शी जिनपिंग अब चीन के 'सबसे शक्तिशाली' नेता बन गए हैं.
कम्युनिस्ट पार्टी की कांग्रेस के समक्ष शी जिनपिंग के 3 घंटे के लंबे भाषण के बाद, कांग्रेस ने सर्वसम्मति से चीन के संविधान में 'शी जिनपिंग थॉट' लिखने के पक्ष में निर्णय लिया. बीजिंग की इस कांग्रेस में दो हजार से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया हैं. यह चीन की सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक बैठक है जिसमें यह तय किया जाता है कि आने वाले पांच सालों में देश की कमान किसके हाथ होगी.
शी जिनपिंग थॉट : चीनी विशेषताओं के साथ समाजवाद
18 अक्टूबर को शुरू हुई कम्युनिस्ट पार्टी कांग्रेस में शी जिनपिंग के तीन घंटे के भाषण में, शी ने सबसे पहले 'नए युग में चीनी विशेषताओं के साथ समाजवाद' का दर्शन पेश किया, जिसे मीडिया में 'शी जिनपिंग थॉट' के रूप में संदर्भित किया गया है.
चीन के शीर्ष नेता, शी जिनपिंग, 2012 में चीन के राष्ट्रपति बनने के बाद से, सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए अपनी राजनीतिक प्रोफ़ाइल को सुधारने के लिए वर्षों से अथक प्रयास कर रहे थे.
चीन में 'शी जिनपिंग थॉट' को स्वीकृत मिलने के साथ ही चीनी में नए समाजवादी युग का शुरुआत हो गया है, जिसे पार्टी ने 'आधुनिक चीन का तीसरा चैप्टर' करार दिया है. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) की शक्तिशाली केंद्रीय समिति के लगभग 400 सदस्यों द्वारा प्रस्ताव पारित किया गया है. पार्टी के 100 साल के इतिहास में यह तीसरा राष्ट्रीय प्रस्ताव है. पिछले दो राष्ट्रीय प्रस्तावों को 1945 में पूर्व माओत्से तुंग और 1981 में देंग शियाओपिंग के तहत अपनाया गया था.
'शी जिनपिंग थॉट' प्रतिष्ठापित करने का अर्थ है कि अब एक प्रतिद्वंद्वी के लिए शी जिनपिंग को चुनौती देना अधिक कठिन हो गया है. अब कोई भी जिनपिंग को तब तक चुनौती नहीं दे पाएगा जब तक कि कम्युनिस्ट पार्टी के नियम खतरे में नहीं पड़ जाते. अब स्कूली बच्चे, कॉलेज के छात्र, सरकारी कर्मचारी समेत कम्युनिस्ट पार्टी के नौ करोड़ सदस्य शी जिनपिंग थॉट को पढ़ेंगे और लागू करेंगे.
चीन के साम्यवादी उदय के पहले चरण में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक माओत्से तुंग ने गृहयुद्ध में लगे चीन के लोगों को एकजुट करने और चीन को एक नई राजनीतिक दिशा देने में सफल रहे. दूसरे चरण में चीन के आर्थिक उत्थान के वास्तुकार शियाओपिंग ने अपने कार्यकाल में चीन को आर्थिक स्थिति मजबूत करने के साथ-साथ चीन को अनुशासित किया और विदेशों में चीन की छवि मजबूत की. अब तीसरे चरण में शी जिनपिंग का नाम पार्टी संविधान में शामिल कर लिया गया है, जिसके बाद कोई भी उन्हें तब तक चुनौती नहीं दे पाएगा, जब तक कि कम्युनिस्ट पार्टी के नियम किसी खतरे में नहीं आ जाते.
यह प्रस्ताव शी जिनपिंग के सत्ता में बने रहने का एक दस्तावेज है
चीनी के राज्य मीडिया शिन्हुआ के अनुसार, कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा दी गई इस शक्ति से चीनी राष्ट्रपति के मजबूत होने की उम्मीद है. शी जिनपिंग दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश के निर्विवाद नेता बन जाएंगे. वह आने वाले दिनों में राजधानी बीजिंग से पूरे देश का नेतृत्व करेंगे. उस पर अंतिम फैसला हो चुका है. कम्युनिस्ट पार्टी की 20वीं कांग्रेस अगले साल होगी, जहां शी जिनपिंग को चीन के सबसे शक्तिशाली नेता के रूप में तीसरे कार्यकाल की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी. राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, इस प्रस्ताव से शी जिनपिंग को पिछले चीनी नेताओं की तुलना में अधिक शक्ति मिलेगी और अन्य नेताओं की शक्ति कम हो जाएगी.
2018 तक, चीनी राष्ट्रपति का कार्यकाल दो साल तक सीमित था. लेकिन 2018 में उस नियम को निरस्त कर दिया गया था. विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा शी जिनपिंग के लिए जीवन भर सत्ता में बने के लिए किया गया है. राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह प्रस्ताव शी जिनपिंग के सत्ता में बने रहने का एक दस्तावेज है.
जिनपिंग को पद छोड़ना पड़ सकता है
चीन विश्व शक्ति बन चुका है. चीन की अर्थव्यवस्था और सैन्य शक्ति में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. कोरोना के कारण दुनिया में आर्थिक मंदी है. भारत की तरह चीन भी इससे प्रभावित है. अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए बाजार व्यवस्था पर पकड़ जरूरी है, लेकिन महामारी के बाद चीन के बने सामान के प्रति लोगों की आस्था में कमी आई है, जो चीन के लिए चिंता का विषय है.
फिलहाल शी जिनपिंग के चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ अच्छे संबंध हैं. लेकिन राजनीति में सब कुछ संभव है. तमाम क्षमता हाथ में होने के बाद भी, निकट भविष्य में जिनपिंग को पद छोड़ना पड़ सकता है. जानकारों के मुताबिक, चीन की राजनीति समाजवाद पर आधारित है, लेकिन यह देश या दुनिया के आम लोगों के लिए पारदर्शी नहीं है. यहां सभी क्षमता केंद्रीकृत है और क्षमता के बल पर लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दमन किया जा रहा है. चीनी कम्युनिस्ट पार्टी अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए देश के लोगों पर अपने सख्त नियंत्रण को शिथिल करने से डरती है, वे राजनीतिक बातचीत करने या बहुदलीय चुनाव कराने के प्रति आश्वस्त नहीं हैं.
चीन एक अविश्वसनीय पड़ोसी और आक्रामक राष्ट्र है
शी जिनपिंग ने कहा है कि, "कम्युनिस्ट पार्टी हर उस बात का विरोध करेगी, जो चीन के नेतृत्व को नकारेगी." यह जिनपिंग की ओर से दुनिया के लिए एक स्पष्ट चेतावनी है, खासकर पड़ोसी देश के लिए.
चीन के साथ 18 देशों के बीच विवाद चल रहा है. हाल ही में ताइवान और दक्षिण चीन सागर के साथ-साथ हिंद प्रशांत महासागर में चीन कि नौसैन्यशक्ति वर्चस्व को लेकर अमेरिका के साथ टकराव की स्थिति में है. 'विस्तार' नीति के कारण चीन की छवि दुनिया में एक आक्रामक राष्ट्र के रूप में देखी जा रही है. भारत, नेपाल, तिब्बत, श्रीलंका, भुटान के लिए चीन एक आक्रामक और अविश्वसनीय पड़ोसी है.
जानकारों का मानना है कि जिनपिंग अपने पद पर बने रहने के लिए चीन को युद्ध में भी झोंक सकते हैं. आने वाला साल संशयपूर्ण है. चीन में समाजवाद के नाम पर हो रहे अत्याचारों को दुनिया से छुपाया जा रहा है. क्षमता के बल पर पूर्ण शक्ति प्राप्त की जा सकती है, लेकिन सत्ता में बने रहने के लिए लोगों का दिल जीतना आवश्यक है. क्या जिनपिंग आदर्श नेता बन पाएगा?