अर्थव्यवस्था के सकारात्मक होने के आधार और संकेत स्पष्ट, वैक्सीन से बेहतर होगी आगे की राह
कोरोना की मार से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्थाएं कराह रही हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोरोना की मार से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्थाएं कराह रही हैं। इन सबके बीच हमारे लिए अच्छी बात यह रही कि भारतीय रिजर्व बैंक इस दौरान बेहद मुस्तैद रहा है और आम लोगों के साथ उद्योग-धंधों को कई तरह से राहत देकर इस आर्थिक चुनौती से निपटने की कोशिश की है। उसका सुखद और सकारात्मक उपसंहार यह है कि देश की अर्थव्यवस्था कोरोना वायरस से पहले के दौर में लौटने लगी है।
हालांकि, खुदरा महंगाई की ऊंची दर और कमजोर रुपया उसके लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है। रिजर्व बैंक को वर्ष 2021 में भी इस चुनौती से निपटना होगा। भारत के शेयर बाजार में विदेशी मुद्रा का प्रवाह बढ़ रहा है और भारतीय रिजर्व बैंक उसे अपने पास समायोजित कर रहा है। एक महत्वपूर्ण निष्कर्ष यह है कि यदि आर्थिकगतिविधियों की गतिशीलता और बहाली यही बनी रहती है, तो अर्थव्यवस्था की विकास दर करीब दो फीसद बढ़ सकती है। यह बहुत बड़ा परिवर्तन होगा।
आरबीआइ की ताजा रिपोर्ट के अनुसार यदि अर्थव्यवस्था की बहाली और गति का स्तर ऐसा ही रहा, तो तीसरी तिमाही के बाद विकास दर सकारात्मक हो जानी चाहिए। यदि आर्थिक गतिशीलता ऐसे ही बरकरार रही, तो चौथी तिमाही में अर्थव्यवस्था एक ऊंची छलांग लगाते हुए, मौजूदा संकेतकों से भी बेहतर हो सकती है। अर्थव्यवस्था के सकारात्मक होने के आधार और संकेत भी स्पष्ट हैं। इस बीच उत्पादन और विनिर्माण गतिविधियों ने भी जोर पकड़ा है। सेवा क्षेत्र में भी उछाल तो आया है, लेकिन सघन संपर्क वाली सेवाओं के संकेत फिलहाल कोरोना से पहले के दौर से भी नीचे हैं। इनमें सुधार अपेक्षित है।
कोरोना टीके के शीघ्र आने से भी औसत घर की मांग सशक्त होगी। बहरहाल अर्थशास्त्री यह भी आकलन कर रहे हैं कि इन सकारात्मक संकेतों के बावजूद मुद्रास्फीति एक बड़ी समस्या बनी रहेगी, जो अभी छह फीसद से अधिक बनी हुई है। बेशक कुछ चुनौतियां बरकरार रहेंगी, लेकिन अर्थव्यवस्था की यह करवट भी कम महत्वपूर्ण नहीं है।
स्वास्थ्य संबंधी महती चुनौतियां
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2021 में वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों की एक सूची जारी की है, जिनसे दुनिया को इसी वर्ष निपटना होगा। इसका कारण कोरोना को माना जा रहा है, जिसके चलते कई देशों की स्वास्थ्य प्रणाली चरमरा गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि महामारी ने पिछले लगभग दो दशकों में हासिल की गई स्वास्थ्य क्षेत्र की प्रगति को पीछे खींच लिया है। वर्ष 2021 में दुनिया को अपनी स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी, अगर वैक्सीन को प्रभावी रूप से लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं। कोविड महामारी ने हमें मौका दिया है कि हम एक बार फिर बेहतर, हरियाली से भरी और स्वस्थ दुनिया का निर्माण करें। स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करने के लिए देशों को अधिकतम एकजुटता प्रदर्शित करने की जरूरत है। इस संगठन ने स्पष्ट कहा है कि देशों, संस्थानों, समुदायों और व्यक्तियों को अपनी आपसी दरारें बंद करनी होगी। अब ब्रिटेन का नया स्ट्रेन सामने आने से दुनिया भर में सरकारों की चिंता बढ़ गई है। इस बीच हमारे लिए अच्छी खबर यह है कि देश में आपातकालीन स्थितियों में कोरोना वैक्सीन की मंजूरी दे दी गई है।
सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था की मजबूती
असंगठित क्षेत्र के 40 करोड़ से अधिक कामगारों को सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराना अगले वर्ष के लिए ईपीएफओ यानी कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की बड़ी चुनौती साबित होगी। अपनी कई मौजूदा योजनाओं को बदलते वक्त के हिसाब से नया कलेवर देना और नई नियुक्तियों को अधिक से अधिक प्रोत्साहन मुहैया कराने जैसी चुनौतियां भी नए वर्ष में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के समक्ष होंगी। जानकारों के मुताबिक सरकार आत्मनिर्भर भारत योजना को जिस ऊंचाई पर ले जाना चाहती है, उसे देखते हुए नए वर्ष में नौकरियों की संख्या में व्यापक बढ़ोतरी होने वाली है। वर्तमान में ईपीएफओ संगठित क्षेत्र के छह करोड़ से अधिक कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लाभ मुहैया कराता है। अगले वित्त वर्ष से सामाजिक सुरक्षा संहिता भी लागू होने की उम्मीद है। उसके बाद असंगठित क्षेत्र के कामगार भी सामाजिक सुरक्षा के दायरे में आएंगे।
कुंभ से नए वर्ष का आरंभ
नए साल की पहली तिमाही में हरिद्वार कुंभ का आयोजन किया जाएगा। कुंभ मेला भारत की धर्म, आस्था और संस्कृति का सबसे बड़ा और महान प्रतीक है। कुंभ में बड़ी संख्या में विदेशी भी शामिल होते हैं। ऐसे में कोई भी रियायत कोरोना संक्रमण की दर को बढ़ा सकती है। इसमें कोई दो राय नहीं कि कोरोना पूरी दुनिया के लिए चुनौती बनकर खड़ा है। इस अदृश्य वायरस ने दुनिया के महाशक्तिशाली देशों को भी घुटने पर ला दिया है, लेकिन जरूरत इससे डरने की नहीं। हौसले और हिम्मत के साथ इसका सामना करने की है, चाहे देश की राजधानी दिल्ली हो या मुंबई की झुग्गी बस्ती धारावी, मुसीबत की घड़ी में इनमें से किसी ने हौसला नहीं छोड़ा। इसका नतीजा सामने है। आíथक, राजनीतिक और स्वास्थ्य क्षेत्र के अलावा कृषि, शिक्षा, रोजगार, पर्यावरण और महंगाई आदि अनेक मोर्चो पर चुनौतियां बरकरार हैं। अंतरिक्ष विज्ञान, रक्षा क्षेत्र, खेल और तमाम अन्य मोर्चो पर अच्छी खबरें लगातार सामने आ रही हैं, जो देशवासियों का उत्साह बढ़ाती हैं।