IIM-Ahmedabad की स्थापना का उद्देश्य पश्चिमी देशों को खुश करना या उनकी नकल करना नहीं था

इस हेरिटेज बिल्डिंग की आधुनिक डिजाइन और अनूठा आर्किटेक्चर इसे और खास बना देता है

Update: 2022-04-05 07:09 GMT
इंदिरा जे पारिख।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट अहमदाबाद (IIMA) विश्व प्रसिद्ध संस्थान है. हमारे पूर्व छात्र दुनिया भर के जाने-माने उद्योगों और संस्थानों में शीर्ष पदाधिकारियों के रूप में काम कर रहे हैं. कहीं भी हमारे लोगो (LOGO) या इसकी संरचना ने संस्थान की ब्रांड वैल्यू से समझौता नहीं किया है. इस संस्थान को विश्व प्रसिद्ध बनाने में बहु-जातीयता और विशाल सांस्कृतिक मूल्य का खास योगदान है. IIMA एक लीडिंग मैनेजमेंट एजूकेशन इंस्टीट्यूट है, जिसे दुनिया भर में पहचान प्राप्त है और हमें इसकी भारतीयता (Indianness) पर गर्व है.
इस हेरिटेज बिल्डिंग की आधुनिक डिजाइन और अनूठा आर्किटेक्चर इसे और खास बना देता है. यहां की फैकल्टी और मेधावी छात्रों का साथ इस संस्थान की सफलता की कुंजी है. पहले मैंने सुना था कि उन्होंने इमारत को फिर से बनाने का प्रस्ताव रखा था और अब वे LOGO के साथ भी छेड़छाड़ करना चाहते हैं. मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं कि वे भारतीय संस्कृति और मूल्यों के प्रतीक के रूप में स्थापित इस LOGO के साथ खिलवाड़ क्यों करना चाहते हैं.
आप हमारे संस्थापकों की विरासत को नष्ट नहीं कर सकते
हम वैश्वीकरण के बहाने न अपनी पहचान बदल सकते हैं और न ऐसी एजेंसियों की मनमानी के आगे झुक सकते हैं. ऐसा करने के पीछे कुछ राजनीतिक निहित स्वार्थ हो सकते हैं. यह दुख की बात है कि एरोल डिसूजा जैसे अनुभवी व्यक्ति को ऐसी ताकतों के आगे झुकना पड़ रहा है. हमें अपनी संस्कृति और परंपरा की रक्षा करनी होगी. यही हमें वो बनाती है जो हम हैं. हम ग्लोबलाइजेशन के नाम पर अपनी पहचान नहीं बदल सकते हैं और न ऐसी एजेंसियों की मनमानी के आगे झुक सकते हैं.
आप हमारे संस्थापकों की विरासत को नष्ट नहीं कर सकते और उनका अपमान नहीं कर सकते. कई पश्चिमी विश्वविद्यालयों में लैटिन और ग्रीक LOGO स्टेटमेंट हैं, इसलिए संस्कृत वाक्यांश का मतलब यह नहीं है कि IIMA ग्लोबल नहीं है. पहचान हमें हमारा अर्थ और उद्देश्य देती है और IIMA की स्थापना का उद्देश्य पश्चिम को खुश करना या उसकी नकल करना नहीं था.
मैंने इस संस्थान में डीन के तौर पर काम किया है. मैं एक रिसर्च फेलो के तौर पर शामिल हुआ था और 34 साल बाद डीन के रूप में रिटायर (सेवानिवृत्त) हुआ. मैंने इस ब्रांड का निर्माण किया है जिसे आज हम प्रतिभाशाली प्रोफेशनल्स की एक टीम के साथ देख रहे हैं. मुझे इसके LOGO, इसकी वास्तुकला और परिसर में मौजूद हर चीज पर गर्व है क्योंकि विश्व स्तरीय शिक्षा के अलावा यही वो चीजें हैं जिसने इस संस्था को एक अलग पहचान दी है. मैं LOGO बदलने की खबर सुनकर बहुत परेशान हूं. इस तरह के बदलाव बिलकुल बेकार और गैरजरूरी हैं.
(इंदिरा पारिख ने आईआईएम अहमदाबाद में डीन के रूप में काम किया है. लेखिका ने राजलक्ष्मी आर से बात की)

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