वित्तीय समावेशन की मजबूत मुहिम, डिजिटल दुनिया से तेजी से जुड़ रहा भारत और देश का आम आदमी

मुश्किलों के दौर से गुजर रहे देश के दूरसंचार क्षेत्र के लिए गत 15 सितंबर को केंद्र सरकार ने जिन सुधारों की घोषणा की, उनसे इस क्षेत्र को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद बंधी है।

Update: 2021-09-19 01:00 GMT

मुश्किलों के दौर से गुजर रहे देश के दूरसंचार क्षेत्र के लिए गत 15 सितंबर को केंद्र सरकार ने जिन सुधारों की घोषणा की, उनसे इस क्षेत्र को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद बंधी है। इससे देश में डिजिटल ढांचा मजबूत होने, डिजिटल सुविधाएं बढ़ने और डिजिटल इंडिया मिशन के लक्ष्यों को हासिल करने में सफलताएं मिल सकती हैं। तमाम अंतरराष्ट्रीय रपटें बता रही हैं कि भारत में आम आदमी के साथ-साथ उद्योग जगत और बैंकिंग क्षेत्र के लिए डिजिटल सुविधाएं तेजी से बढ़ती जा रही हैं। सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों के संगठन नैसकाम के पहले क्लाउड सम्मेलन को संबोधित करते हुए इन्फोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणि ने कहा कि भारत डिजिटल सुविधाओं और डिजिटल अवसंरचना के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ा है। कोरोना महामारी के बाद के परिदृश्य में दुनिया भर की सरकारें डिजिटल ढांचे को लेकर भारत के अनुभवों से सीखने में बहुत रुचि दिखा रही हैं। दुनिया के बड़े सार्वजनिक डिजिटल प्लेटफार्म में गिने जाने वाले आधार, यूपीआइ तथा कोविन भारत की ही देन हैं।

संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक आयोग (यूएनईएससीएपी)द्वारा पिछले दिनों प्रकाशित डिजिटल एवं टिकाऊ व्यापार सुविधा वैश्विक सर्वेक्षण रिपोर्ट, 2021 के डिजिटल सुविधा मानकों में भारत को ऊंची रैंकिंग मिली। इसमें शामिल दुनिया की 143 अर्थव्यवस्थाओं में व्यापार की पारदर्शिता, औपचारिकताएं, संस्थागत प्रविधान और सहयोग, कागज-रहित व्यापार एवं सीमा पार कागज रहित व्यापार जैसी मुख्य व्यवस्थाओं के मापदंडों पर भारत ने 90.32 फीसद अंक हासिल किए। दो वर्ष पहले इसी सर्वेक्षण में भारत को 78.49 फीसद अंक मिले थे। यह कोई छोटी बात नहीं है कि इसमें भारत का स्कोर फ्रांस, ब्रिटेन, कनाडा, नार्वे और फिनलैंड आदि कई देशों के मुकाबले अधिक रहा।
भारत में कोविड के दौरान गरीब, कमजोर वर्ग, किसानों और अन्य जरूरतमंदों के वित्तीय समावेशन के लिए जनधन, आधार और मोबाइल (जैम) ने असाधारण एवं सराहनीय भूमिका निभाई है। जैम के कारण देश का आम आदमी डिजिटल दुनिया से जुड़ गया है। बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनधन योजना के सात साल पूरे होने के अवसर उसे किसान, कमजोर एवं वंचित वर्ग के अनगिनत भारतीयों के लिए वित्तीय समावेशन और गरिमापूर्ण जीवन के साथ-साथ सशक्तीकरण सुनिश्चित करने वाली योजना बताया। जीरो बैंक बैलेंस के साथ ही इससे बैंकिंग, आवश्यकता आधारित कर्ज, बीमा, पेंशन, जैसी सुविधाओं तक आम लोगों की आसान पहुंच सुनिश्चित की गई है। जनधन के अंतर्गत सात वर्षो के दौरान अगस्त 2021 तक करीब 43.04 करोड़ खाते हो गए, जिनमें 1.46 लाख करोड़ रुपये जमा हैं। इसमें 86 प्रतिशत यानी करीब 36.86 करोड़ खाते सक्रिय हैं, जिनमें औसत जमा 3,398 रुपये है। यह राशि अगस्त, 2015 की तुलना में 2.7 गुना बढ़ी है। बड़ी संख्या में जनधन खातों के सक्रिय रहने और औसत जमा में वृद्धि का मतलब है कि खातों के उपयोग और खाताधारकों में बचत की आदत बढ़ रही हैं। देश ही नहीं दुनिया में यह अनुभव किया जा रहा है कि जनधन योजना के माध्यम से सरकार ने आक्रामक वित्तीय समावेशन कार्यक्रम चलाया है। इससे सरकार वंचित वर्ग, छोटे किसानों और गरीबों की मदद करने में सफल रही है। पीएम किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत ही इस साल अगस्त तक 11.37 करोड़ किसानों के बैंक खातों में 1.58 लाख करोड़ रुपये जमा किए जा चुके हैं।


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