सरलता बड़ी-बड़ी चुनौतियों को दिलचस्प बनाकर आसान कर देती है

चुनौती को जितना दिलचस्प बनाएंगे, उससे निपटना उतना आसान हो जाएगा

Update: 2022-04-06 08:16 GMT
पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: 
चुनौती को जितना दिलचस्प बनाएंगे, उससे निपटना उतना आसान हो जाएगा। दिलचस्प का मतलब है कुछ ऐसा करते रहिए, सोचते रहिए जिससे कि मन प्रफुल्लित होता रहे। गीता के सोलहवें अध्याय में भगवान कृष्ण ने देवी संपदा के लक्षण बताए हैं। यानी हमारे भीतर एक ऐसी संपत्ति, योग्यता और मौलिकता है कि जिसका सदुपयोग कर लें तो हर चुनौती दिलचस्प हो जाएगी। लगभग पच्चीस संपदा कृष्ण बताते हैं, उनमें एक बड़ी प्यारी है- 'आर्जवम्'।
इसका अर्थ होता है शरीर और इंद्रियों सहित अंत:करण की सरलता। भीतर से सरल हो जाएं। जब हम परमात्मा के प्रति सरल होते हैं तो उसे भक्ति कहते हैं, और संसार के प्रति सरल होना सदाचार है। अब भीतर सरलता कैसे उतरे? इसके लिए एक दिलचस्प प्रसंग है। एक बार गोपियांं आपस में बात कर रही थीं कि कृष्ण किसे अधिक चाहते हैं।
सब अपना-अपना दावा कर रही थीं, तब किसी ने कहा- मुझे लगता है कृष्ण सबसे ज्यादा अपनी वंशी को चाहते हैं। बांसुरी से पूछा गया कि तुझे सबसे अधिक क्यों चाहते हैं? तो उसने कहा- न तो मैंने कोई साधना की, न तपस्या। बस, इसका एक ही कारण है कि मेरे भीतर मेरा कुछ भी नहीं है। जैसा कृष्ण बजाते हैं, वैसी मैं बज लेती हूं। जब हम ऊपर वाले के संकेत अनुसार चलते हैं तो भीतर सरलता उतर आती है और यही सरलता बड़ी-बड़ी चुनौतियों को दिलचस्प बनाकर आसान कर देती है।
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