एक बच्ची के जन्म के बाद उन्होंने कोर्ट पर आकर अपने कोच तक को चौंका दिया था। जितने कम वक्त में और जितना मजबूती से सेरेना ने वापसी की, वह अपने आप में एक प्रेरणादायक कहानी है। अप्रैल 2017 में जब वह प्रसव अवकाश पर गई थी तब उसकी रेकिंग वर्ल्ड नम्बर-1 थी। सेरेना की डिलीवरी बेहद मुश्किल भरी थी। बच्ची को जन्म देने के बाद सेरेना के फेफड़ों में खून के थक्के बन गए थे। डिलीवरी से पहले हफ्ते में उनके चार आपरेशन करने पड़े थे। मां बनने के बाद एक हफ्ते तक अस्पताल में रही थी और उसके बाद छह हफ्ते तक घर में बिस्तर पर रहना पड़ा था।
एक समय था जब वह मुश्किल से चल पाती थी। ऐसी स्थिति में किसी भी खिलाड़ी के लिए कमबैक काफी मुश्किल होता है। मां बनने के बाद वापसी करना किसी भी खिलाड़ी के लिए शारीरिक और भावनात्मक दोनों तरह से मुश्किल होता है लेकिन सेरेना का टैनिस के प्रति प्रेम और जीत हासिल करने के जज्बे ने उसे फिर टैनिस कोर्ट में ला खड़ा किया। यह उसका आत्मविश्वास ही था कि मां बनने के बाद सेरेना ने सिर्फ चार टूर्नामैंट खेले, फिर भी वो वर्ल्ड में नम्बर-8 और फैंस की पसंद बनी हुई है। इन खेले गए पहले तीन टूर्नामैंट में सेरेना शुरूआती स्तरों पर हार गई थी लेकिन इसके बावजूद विम्बलडन में उन्हें 25वीं सीडिंग हासिल हुई थी क्योंकि यहां मामला अलग था। यहां पर रैकिंग ग्रास कोर्ट में खिलाड़ी के प्रदर्शन के आधार पर तय होती है। हालांकि इस तरह सीडिंग के आधार पर फाइनल में उनकी जगह बनने से फिर से यह बहस छिड़ी कि सीडिंग के नियमों की समीक्षा की जाने की जरूरत है या नहीं।
सेरेना टैनिस के इतिहास में संयुक्त रूप से सबसे सफल ओलिम्पियन है। सेरेना ने अमेरिका के लिए ओलिम्पिक खेलों में चार स्वर्ण पदक जीते, जिसमें 2012 लंदन आेलिम्पिक में सिंगल और डबल्स दोनों वर्ग का गोल्ड मेडल शामिल है। सेरेना 2000 में सिडनी और 2008 में बीजिंग ओलिम्पिक में डबल्स कैटेगरी में भी गोल्ड जीत चुकी है। उन्होंने डबल्स के सभी गोल्ड अपनी बड़ी बहन वीनस विलियम्स के साथ जीते थे। इस बार सेरेना टोक्यो ओलिम्पिक में अमेरिकी टीम का हिस्सा नहीं होगी।
आस्ट्रेलियाई ओपन के बाद सेरेना विलियम्स के भावनात्मक इशारे को संन्यास लेने का संकेत समझा गया था लेकिन उसने तीन महीने के कड़े अभ्यास के बाद वापसी की तैयारी कर ली थी। सेरेना का विम्बलडन से बाहर होना एक चैम्पियन की सैड स्टोरी ही कहा जाएगा लेकिन उसके जज्बे और जुनून को सलाम करना होगा। यूं तो सेरेना ने अपने करियर में कई अलग-अलग पीढ़ियों के प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ खेला है और कई चीजों को देखा भी है। कोरोना महामारी में घर में बंद रहने के बाद उसने कहा था-ये सिर्फ टैनिस खिलाड़ियों या हम एथलीटों की बात नहीं बल्कि पूरी दुनिया इस समय महामारी से गुजर रही है। मुझे लगता है कि इन हालातों में खेल ही एक ऐसी चीज है जिसकी वापसी से मानो तरोताजा हवा में सांस लेने जैसा होगा। सेरेना भविष्य में टैनिस खेले न खेले लेकिन उनका संघर्ष टैनिस खिलाड़ियों के लिए कभी न भुलाने वाली दास्तान बनकर रहेगी।
आदित्य नारायण चोपड़ा