एकजुट भारत के असल वास्तुकार थे सरदार पटेल, राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में आज उनका जन्मदिन
एकता में शक्ति है! यह शायद वह सबसे पहला पाठ है, जो मैंने स्कूल के आरंभिक दिनों में सीख लिया था
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। एकता में शक्ति है! यह शायद वह सबसे पहला पाठ है, जो मैंने स्कूल के आरंभिक दिनों में सीख लिया था। महान शिक्षक विद्यार्थियों के मन में एक स्थायी छाप छोड़ते हैं। शिक्षक वास्तव में राष्ट्र के पोषणकर्ता हैं। विश्वविख्यात तक्षशिला विश्वविद्यालय के ऐसे ही एक महान शिक्षक आचार्य चाणक्य थे, जिनके अनुसार शिक्षक साधारण नहीं होते। शिक्षक ही निर्माण या विध्वंस का निर्णय लेते हैं। सब जानते हैं कि चाणक्य एक महान रणनीतिज्ञ थे। उनके जीवन का उद्देश्य उपमहाद्वीप को एक अखंड भारत के रूप में संगठित करना था। उन्होंने उपमहाद्वीप के विभिन्न राज्यों को जोड़ने का महत्व समझा और उपमहाद्वीप के पूरे भूगोल को एक राज्य व्यवस्था में बांधने का पवित्र संकल्प लिया। अपने महान ग्रंथ अर्थशास्त्र में वह इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि एकात्मकता के बिना हमेशा के लिए बने रहना संभव नहीं है।
चाणक्य एक महान रणनीतिज्ञ थे, उन्होंने हमें सिखाया है कि एकता समृद्धि की पहली शर्त
उन्होंने हमें सिखाया है कि एकता समृद्धि की पहली शर्त है। मध्यकालीन युग में हमने देखा है कि किस प्रकार शासकों के बीच एकता के अभाव ने हमें विदेशी शासन के अधीन बना दिया। 1947 में चाणक्य के विचार फिर से यशस्वी पुत्र सरदार वल्लभभाई पटेल के रूप में वापस आए, जो एक अत्यंत यथार्थवादी और व्यावहारिक नेता थे। उन्होंने जमीनी हकीकत को समझा और रियासतों को आधुनिक राष्ट्र के रूप में जोड़ने का महत्वपूर्ण कार्य अपने हाथ में लिया। वास्तव में लौहपुरुष सरदार पटेल एक भारत के असली वास्तुकार थे।
पीएम मोदी ने सरदार पटेल के जन्मदिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया
2014 में, हमारे प्रधानमंत्री के एकजुट नेतृत्व में राजग के सत्ता में आने के बाद, भारत सरकार ने सरदार पटेल के जन्मदिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया, ताकि उनके अविस्मरणीय योगदान, उनकी सेवा को उचित सम्मान दिया जा सके। आज जब हम राष्ट्रीय एकता दिवस मना रहे हैं तो मैं सरदार पटेल के दृढ़संकल्प, समर्पण, राजनीति और अदम्य इच्छाशक्ति के साथ भारत को एक करने के प्रयासों के लिए अपनी श्रद्धांजलि र्अिपत करता हूं। हमें एकता के निर्माण के बारे में उनके व्यक्तिगत और व्यावहारिक प्रयासों पर भी विचार करना चाहिए।
सरदार पटेल के व्यक्तित्व में एकता और एकजुटता के मूल्य गहराई तक जड़े हुए थे
युवा पटेल कानून का अध्ययन करने के लिए स्वयं इंग्लैंड जाना चाहते थे, लेकिन वह अपने बड़े भाई विट्ठल भाई पटेल के पक्ष में खड़े रहे तथा इंग्लैंड भेजने के लिए अपने पास रखे हुए पैसों को भी उन पर खर्च कर दिया। उन्होंने यह सब परिवार की एकता और सम्मान को बनाए रखने के लिए किया। यह दर्शाता है कि सरदार पटेल के व्यक्तित्व में एकता और एकजुटता के मूल्य कितने गहरे तक जड़े हुए थे।
1918 का खेड़ा सत्याग्रह किसानों की एकता और अनुशासन का प्रतीक है
गोधरा अदालत के एक वकील से लेकर दुनिया के सबसे बड़े और सबसे युवा लोकतंत्र के नेता तक की अपनी यात्रा में सरदार पटेल ने एकता को सबसे ज्यादा महत्व दिया। उन्होंने खेड़ा और बारदोली में किसानों के हितों को राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन के साथ एकीकृत किया। किसानों की भूमि, संपत्ति और आजीविका के साधन जब्त किए जाने के बावजूद भी 1918 का खेड़ा सत्याग्रह किसानों की एकता और अनुशासन का प्रतीक है। इसके साथ ही यह उस समर्थन का भी संकेत है, जो सरदार पटेल के नेतृत्व और विचारों को किसानों से मिला था।
सरदार पटेल के प्रयासों के चलते अंग्रेजों को कर व्यवस्था में संशोधन करना पड़ा
सरदार पटेल के एकजुट और सुसंगत प्रयासों के कारण अंग्रेजों को तत्कालीन कर व्यवस्था में संशोधन करना पड़ा और जब्त भूमि को उनके मालिकों को लौटाना पड़ा। यह हमें यही बताती है कि एकता न्याय के साथ चलती है। इसी क्रम में दस साल बाद सरदार पटेल ने एक बार फिर दिखाया कि एकता ही शक्ति है।
1928 के बारदोली सत्याग्रह: पटेल के चलते अंग्रेजों को राजस्व वृद्धि के फैसले को वापस लेना पड़ा
1928 के बारदोली सत्याग्रह में उन्होंने सभी किसानों, भूमि मालिकों और मजदूरों को यह बात स्पष्ट कर दी कि यदि वे अपने उद्देश्य के लिए एकजुट रहने का वायदा करें, तभी वह उनका नेतृत्व करेंगे। उन्होंने उनसे कहा कि उन्हें विदेशी शासन के साथ सहयोग न करने के गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ सकता है। इस दौर में भी इस करिश्माई, दृढ़ और व्यापक सोच वाले नेता को महिलाओं सहित सभी असंतुष्ट लोगों का मजबूत समर्थन और आश्वासन प्राप्त हुआ। इस सत्याग्रह की वजह से लोगों की जब्त संपत्ति वापस प्राप्त हो पाई। सरदार पटेल के नेतृत्व में सभी के सम्मिलित प्रयासों के चलते राजस्व वृद्धि के फैसले को भी वापस लेना पड़ा।
बारदोली सत्याग्रह के दौरान ही स्त्रियों ने उन्हें सरदार की उपाधि से विभूषित किया
बारदोली सत्याग्रह के दौरान ही वहां की स्त्रियों ने उन्हें सरदार की उपाधि से विभूषित किया। इस तथ्य से हम सब भलीभांति परिचित हैं कि आजादी के समय हमारा देश करीब साढ़े पांच सौ रियासतों में विभाजित था। आजादी के साथ ही ये रियासतें ब्रिटिश संप्रभुता से मुक्त हुईं। इन रियासतों में भारी अराजकता और भ्रम का माहौल था।
सरदार पटेल ने भारत की सभी बड़ी और छोटी रियासतों को एकजुट करने का महान काम किया
महान नेता चुनौतियों के दौरान ही महान चरित्र को दिखाता है। उस समय हमें सरदार पटेल साहब का भी ऐसा ही महान चरित्र दिखाई दिया। उन्होंने विश्व इतिहास के सबसे उल्लेखनीय एकीकरण के कार्य को अंजाम दिया और भारत को नए सिरे से एकजुट किया। उन्होंने भारत की सभी बड़ी और छोटी रियासतों को एकजुट करने का महान काम किया। वास्तव में उन्होंने समझ लिया था कि यह एकता ही पूर्णता का मार्ग है।
मोदी का नेतृत्व पटेल की एक भारत को श्रेष्ठ भारत में बदलने की विराट प्रतिबद्धता प्रस्तुत करता है
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार सरदार पटेल की विरासत को गौरव के साथ उजागर कर रही है। उनके नेतृत्व में विभिन्न मंत्रालय एकजुटता का काम कर रहे हैं। शिक्षा मंत्रालय के नेतृत्व में एक भारत श्रेष्ठ भारत के अंतर्गत विनिमय कार्यक्रम, युवा उत्सव और भाषा सीखने जैसे कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। प्रधानमंत्री ने सभी भारतवासियों के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक एकीकरण का संकल्प लिया है। प्रधानमंत्री जनधन योजना और प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना से लेकर आत्मनिर्भर भारत के आह्वान तक, उनका नेतृत्व सरदार पटेल द्वारा दिए गए एक भारत को श्रेष्ठ भारत में बदलने की एक विराट प्रतिबद्धता प्रस्तुत करता है।