अति आत्मविश्वास में नजर आए समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव

सत्ता सम्मेलन में पधारे समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के मुखिया और उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) सवालों का जवाब जिस अंदाज में दे रहे थे

Update: 2022-01-27 11:40 GMT

संयम श्रीवास्तव  सत्ता सम्मेलन में पधारे समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के मुखिया और उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) सवालों का जवाब जिस अंदाज में दे रहे थे, उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि उन्हें यकीन हो गया है कि समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनावों (UP Assembly Election 2022) में भारी बहुमत से जीत रही है. जवाब में उनके एक तरह की गर्वोक्ति भी दिखी जो उनके व्यक्तित्व का हिस्सा कभी नहीं रहा है. कई बार तो उनकी हाजिर जवाबी अति आत्मविश्वास के चलते तल्खी में बदलती नजर आई .

वैसे भी उनकी बॉडी लैंग्वेज आजकल यही संकेत दे रही है, जैसे यूपी का तख्तो ताज बस अब उन्हें मिलने ही वाला है. ऐसा खुद वो नहीं कर रहे हैं बल्कि उनके साथ दूसरे दल , मीडिया और प्रशासन का व्यवहार भी वीवीआईपी की तरह हो गया है.
अखिलेश यादव ने प्रतापगढ़ में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी गुलशन यादव के अपराधी पृष्ठभूमि और उनके डीएसपी जियाउल हक के हत्यारोपी को पार्टी प्रत्याशी बनाए जाने के बारे में पूछे जाने पर वो अखबारों को झूठा साबित करने पर तुल गए और जबरन एंकरों से सवाल ही नहीं पूछने लगे बल्कि उनकी हैसियत भी पूछने लगे. समाजवादी पार्टी पर लगे अपराधीकरण के आरोपों के जवाब में वे बीजेपी के अपराधियों के बारे में सवाल पूछे जाने की जिद करने लगे. बार-बार ऐसे सवालों को शामिल करने की जिद करने लगे कि उनसे उत्तर प्रदेश के विकास वाले सवाल क्यों नहीं पूछे जा रहे.
एंकर बार-बार कहते रहे कि ये सवाल बीजेपी से जरूर पूछे जाएंगे. अखिलेश यादव चाहते थे कि बीजेपी ने अपना मैनिफेस्टो जारी नहीं किया इस पर सवाल क्यों नहीं किया जा रहा है? हालांकि साक्षात्कार के समय अखिलेश यादव का इस तरह का व्यवहार कभी नहीं रहा है, पर आजकल वो कुछ बदले-बदले नजर आ रहे हैं.
अखिलेश यादव जिस तरह का जवाब दे रहे थे उस तरह के मेच्योर जवाब आम तौर पर सत्ता मिलने के बाद नेता देते हैं. विपक्ष के विवादित मुद्दों पर अपना पक्ष रखते रहे हैं और अनाप-शनाप वादे करते रहे हैं. अखिलेश यादव कई सवालों के जवाब में चाहते तो कई तरह के वादे कर सकते थे पर उन्होंने ऐसा नहीं किया. कैराना के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि पलायन की खबरें झूठीं थीं. पलायन कर गए लोगों की जो लिस्ट बनाई गई थी वो फर्जी निकली. जिसने खुद लिस्ट बनाई थी उसने खुद बाद में किसी तरह के पलायन से इनकार कर दिया था. इस बात पर जब उनसे पूछा गया कि क्या वे सत्ता में आने के बाद इसकी जांच कराएंगे तो अखिलेश ने कोई ठोस जवाब नहीं दिया. आमतौर पर इस तरह का जवाब में सत्ता में रहने वाले लोग ही दिया करते हैं.
टीवी 9 भारतवर्ष के ग्रुप सीईओ बरुन दास के सवाल "सत्ता में आने पर आप कौन से ऐसे कार्य हैं जिन्हें आपने अधूरा छोड़ दिया था और उसे पूरा करना चाहेंगे, और कौन से ऐसे कार्य हैं जो पिछली बार आप चाह कर भी नहीं कर पाए थे उसे करना चाहेंगे" के जवाब को भी अखिलेश ने एक लाइन में निपटा दिया. उन्होंने सिर्फ इतना कहा, समाजवादी पार्टी जो जनता से वादा करेगी उसे पूरा करके दिखाएगी.
सूबे में इस समय आवारा पशुओं का एक बड़ा मुद्दा है. सरकार में आने पर आप क्या करेंगे इस सवाल के जवाब में अखिलेश यादव ने बेहद संतुलित जवाब दिया. उन्होंने कहा कि सांड के हमले में जान गंवाने वाले लोगों को समाजवादी पार्टी की सरकार में पांच लाख रुपए दिए जाएंगें क्योंकि सांड से कई लोगों के जान गई है. उन्होंने सांड़ों को रोकने के लिए किए जाने पर फोकस नहीं किया.
अखिलेश यादव ने कहा, 'इस सरकार ने हजारों करोड़ रुपए गौशाला पर खर्च किए, लेकिन फिर भी गाय भूखी हैं और भूख से जान जा रही है. गौशाला के आस-पास अगर खुदाई करवाएंगे तो बड़ी संख्या में गायों को जिंदा दफनाने का काम किया गया. कई जिलों से खबरें आई थीं कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार में जो गायों की देखभाल करते हैं, गायों को जिंदा दफना दिया. बीजेपी को इसका पाप लगेगा.' हालांकि विपक्ष के नेता से यह भी उम्मीद की जा सकती थी कि वे ये कहेंगे कि सरकार में आने के बाद वो पुरानी व्यवस्था बहाल कर देंगे. पर इसके ठीक उलट उन्होंने बीजेपी के रास्ते पर चलने वाला ही बयान दिया.
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