RIP Lata Mangeshkar: अब याद बनकर रह गई लता दीदी की आवाज
किनारा फिल्म का ये गीत आज ना जाने क्यूँ बरबस याद आ रहा है
मनोज भावुक
"नाम गुम जाएगा, चेहरा ये बदल जाएगा, मेरी आवाज ही पहचान है, गर याद रहे…"
किनारा फिल्म का ये गीत आज ना जाने क्यूँ बरबस याद आ रहा है. ना जाने कितने अपनों के जाने के बाद लोगों ने यह गीत सुना होगा, दिल को मनाया होगा. आज इस गीत को गाने वाली ही चली गई. लगता है जैसे आसमान से सुंदर बादलों का एक समूह ही हट गया. अब तो सिर्फ यादों की तपती धूप ही झेलनी होगी. लता मंगेशकर जिसे सारा भारत, बाहर की दुनिया लता दीदी के नाम से जानती थी, उनके दुलार के लिए उन्हें पुकारती थी. आज वह इस दुनिया को अलविदा कह गईं. जिस दुनिया में उनकी खिलखिलाती आवाज गूँजती थी, आज से सिर्फ टेप पर रिकॉर्ड हुए उनकी आवाज ही गूँजेगी, वह सारी ताजगी, सारी सादगी तो उसमें होगी…मगर अफसोस कि वो सिर्फ यादें होंगी. आप जहां रहे, खुश रहें लता दीदी!
लता दीदी का जाना माने भारतीय संगीत का निष्प्राण होना है. भारतीय संगीत का आसमान सूना लग रहा है. लग रहा है सितारे, चाँद, सूरज सब गायब. यह मनहूस खबर आज सुबह की है. नहीं रहीं अपनी लता ताई. पंच तत्व में विलीन हो गईं. बीमार तो चल हीं रहीं थीं. जनवरी से अस्पताल में भर्ती थीं. कोरोना और निमोनिया होने के बाद 29 दिन से मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल के ICU में थीं. 4-5 दिन पहले लगा की ठीक हो गईं है लेकिन आज भारत ने अपना कोहिनूर खो दिया. कोरोना का काल भारत की स्वर कोकिला को निगल गया.
92 साल की लता जी की 8 जनवरी को कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी, जिसके बाद उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 29 दिन तक कोरोना और निमोनिया दोनों से एक साथ जंग लड़ी और आज अनंत यात्रा पर निकल गईं.
लगभग दो साल से, पूरे कोरोना काल में घर से बाहर नहीं निकल रहीं थीं लता ताई. सोशल मीडिया के जरिए अपने चाहने वालों को यदा-कदा संदेश देती रहती थीं. खराब सेहत के कारण वे अपने कमरे में ही ज्यादा समय गुजारती थीं. उनके घर के एक स्टॉफ मेंबर की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आने के बाद उनका टेस्ट कराया गया था. 8 जनवरी को उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी और उसके बाद से भर्ती थीं.
भारत रत्न, स्वर कोकिला और क्वीन ऑफ मेलोडी कहलाने वाली लता मंगेशकर ने इसी साल अपना 92 वां जन्मदिन मनाया था. 1942 से अब तक उन्होंने हम लोगों के बीच रह कर लगातार संगीत सेवा की. बहुत लोग लता जी को माता सरस्वती की वरद-पुत्री भी मानते हैं. लता दीदी ने 36 देसी विदेशी भाषाओं में लगभग 25 हजार से ज्यादा गीत गाए. उन्होंने 1000 से भी अधिक फिल्मों में गीत गाए.
लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को इंदौर में हुआ. वह अपनी माता पिता की सबसे बड़ी संतान थीं. उनके पिता जी दीनानाथ मंगेशकर मराठी थिएटर के प्रसिद्ध अभिनेता और गायक, संगीतकार थे. उनकी माँ शेवन्ती एक बड़े गुजराती सेठ की बेटी थीं. लता जी के बचपन का नाम हेमा था. बाद में उनके पिता ने अपने नाटक के एक किरदार लतिका के नाम पर लता रख रखा. लता मंगेशकर के बाद उनकी तीन बहने मीना खाडिकर, आशा भोंसले, उषा मंगेशकर और छोटे भाई हृदयनाथ मंगेशकर पैदा हुए. सभी भाई बहन स्थापित गायक, संगीतकार रह चुके हैं.
लता दीदी ने बचपन से ही अभिनय और गायन में विशेष रुचि दिखाई और सक्रिय हिस्सा लेने लगी. जब उनकी किशोरावस्था में ही उनके पिता जी का देहांत हो गया तो घर की सारी जिम्मेदारियाँ लता जी पर आ गईं. फिर उन्होंने फिल्मों में गीत गाने का काम शुरू किया. उन पर हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा भरोसा गुलाम हैदर ने किया जो निर्देशक निर्माता थे. उन्होंने कहा था कि आज भले लता को लोग काम नहीं दे रहे लेकिन ऐसा दिन भी आएगा कि लोग लता के पैर पर गिरकर अपनी फिल्म में गीत गाने को मनाएंगे. आगे जाकर ऐसा हुआ भी. लता जी का पहला हिट गीत गुलाम हैदर की हिन्दी फिल्म 'मजबूर' (1948) में था, बोल थे 'दिल मेरा तोड़ा, मुझे कहीं का ना छोड़ा'. यह लता जी के पहला बड़ा हिट गाना था. इसके बाद उन्हें काम मिलना शुरू हुआ.
लता मंगेशकर को संगीत जगत में महान योगदान देने के लिए 1969 में पद्मभूषण, 1989 में फिल्म जगत का सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार और 1999 में पद्म विभूषण से नवाजा गया. उनके गाए गीतों को तीन बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और आठ बार फिल्मफेयर पुरस्कार मिला. 15 बार उन्हें बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट असोसिएशन अवॉर्ड मिला. 1984 में मध्यप्रदेश सरकार ने लता मंगेशकर के नाम पर संगीत जगत में अतुलनीय योगदान हेतु पुरस्कार देना शुरू किया. संजोग देखिए, लता दीदी के साथ एक से एक सुपरहिट गीत गाने वाले किशोर दा को इस सम्मान से दूसरी साल में भी सम्मानित किया गया. 2001 में लता दीदी के देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था.
भोजपुरी फिल्मों का श्रीगणेश भी लता दीदी की आवाज़ हे गंगा मईया तोहे पियरी चढ़इबो, सइयां से कर द मिलनवा से हुआ'. आज लता दीदी माने भारतीय संगीत की सबसे खूबसूरत दुल्हन का अपने सइयां माने परम पिता परमात्मा से मिलन हो गया. अलविदा लता दीदी.