संक्रमण की वापसी

यह पूरी सावधानी से कमर कसने का समय है

Update: 2021-12-30 17:19 GMT

यह पूरी सावधानी से कमर कसने का समय है। कोरोना फिर कहर ढाने को तैयार लगता है और प्रतिदिन मामलों की संख्या पांच अंकों में लौट आई है। दिल्ली, मुंबई ही नहीं, मिजोरम के छह जिलों, अरुणाचल प्रदेश और पश्चिम बंगाल में भी कोरोना का कहर तैयार दिखता है। सावधानी हटी और दुर्घटना घटी की स्थिति बन गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि भारत में 33 दिन के बाद कोविड-19 के दैनिक मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं। जनवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रस्तावित दुबई दौरा भी टल गया है। दिल्ली में आयोजित विश्व पुस्तक मेले का आयोजन भी टलता दिख रहा है। दिल्ली मेट्रो रेल में कोविड दिशा-निर्देशों की पालना कराने के लिए कड़ाई फिर शुरू हो गई है। दिल्ली में ज्यादा चिंता इसलिए भी है, क्योंकि कोरोना के जो भी मामले आ रहे हैं, उनमें से करीब 38 प्रतिशत मामले ओमीक्रोन के हैं। और तो और, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ओमीक्रोन संक्रमण को कोविड सुनामी की संज्ञा दी है और चेता दिया है कि ओमीक्रोन की वजह से स्वास्थ्य व्यवस्था फिर से ध्वस्त हो सकती है।

कोविड-19 के मामलों और संक्रमण दर के आधार पर महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, दिल्ली, कर्नाटक, गुजरात में चिंता बहुत बढ़ गई है। भले ही लगभग 90 प्रतिशत वयस्क आबादी को पहली खुराक लग चुकी है, मगर कोरोना का फिर से उभार सावधानी की गुहार लगा रहा है। भारत में ओमीक्रोन के लगभग 1,000 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 320 से ज्यादा मरीज ठीक हो चुके हैं। विशेष रूप से मंगलवार और बुधवार के बीच मामलों में बहुत बढ़ोतरी हुई है। दिल्ली में जहां मामले दोगुने हो गए हैं, वहीं मुंबई में भी 80 प्रतिशत बढ़त दर्ज की गई है। अमेरिका और यूरोप में भी कोरोना फिर सिर उठा चुका है। हालांकि, यह अच्छी खबर है कि दुनिया को ओमीक्रोन देने वाले देश दक्षिण अफ्रीका में मामलों में कमी आने लगी है। अगर वहां 40 प्रतिशत की कमी बताई जा रही है, तो यह भी अच्छी खबर है। लगभग एक महीने में ही दक्षिण अफ्रीका में ओमीक्रोन के मामले अगर घट गए हैं, तो हमें इससे संबंधित आंकड़ों का पूरा अध्ययन करना चाहिए। संकेत हर तरफ से यही मिल रहा है कि ओमीक्रोन ज्यादा खतरनाक नहीं है, इसके लक्षण मामूली हैं, लेकिन जोखिम कम नहीं है।
अगर ओमीक्रोन से डेल्टा की तुलना में आधा या एक चौथाई खतरा भी है, तो भी हमें पूरी मुस्तैदी से मुकाबला करना चाहिए। हर स्तर पर भीड़ को कम करने के प्रयास तेज होने चाहिए। मास्क को फिर अनिवार्य करना, परस्पर दूरी सुनिश्चित करना, टीकाकरण में तेजी लाना बहुत जरूरी है। संक्रमण की रोकथाम के लिए सरकार को हरसंभव उपाय करने चाहिए। दिशा-निर्देश केवल कागज पर ही न रहें, जमीन पर लागू भी हों। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तो यहां तक कह दिया है कि बिहार में तीसरी लहर आ गई है। राज्य में चार दिनों के अंदर संक्रमण के मामले ढाई गुना बढ़ गए हैं। ऐसे में, वहां जनजीवन पर पाबंदियों का लौटना लाजिमी है। यह अपने आप में दुख की बात है कि पिछले साल भी नववर्ष के आयोजन पर कोरोना के काले बादल मंडराए थे और इस बार भी नए साल का जश्न खतरे से खाली नहीं है। अभी जीवन में सावधानी ही एकमात्र विकल्प है।

हिन्दुस्तान।

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