ईश्वर तक पहुंचने के लिए काफी हैं धर्म और अध्यात्म
विपरीत परिस्थितियों में समस्या सुलझाने और शांति प्राप्त करने में धैर्य आध्यात्मिक गतिविधि है
पं. विजयशंकर मेहता। विपरीत परिस्थितियों में समस्या सुलझाने और शांति प्राप्त करने में धैर्य आध्यात्मिक गतिविधि है। ईश्वर तक पहुंचने के लिए दो कदम काफी हैं। पहला चरण धर्म है और दूसरा अध्यात्म। धर्म में कर्मकांड का सहारा है, अध्यात्म में योग साधन है। धर्म और अध्यात्म का संतुलन मनुष्य को स्थितप्रज्ञ बना देता है। स्थितप्रज्ञ यानी स्थिर बुद्धि। बिना भय और भ्रम के लक्ष्य को पाने की तैयारी। आज के प्रबंधन में जो 'सॉफ्ट स्किल्स' शब्द चलता है, वह इसी स्थितप्रज्ञ से निकला है।
आज बहुत-से लोग ऐसे हैं जो विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में पारंगत हैं, लेकिन उनमें प्रबंधकीय कौशल की कमी है। उनकी प्रगति एक मुकाम पर आकर रुक जाती है। बल्कि कह सकते हैं कि इस कमजोरी के कारण कई शिखर से शून्य की ओर चल देते हैं। 'सॉफ्ट स्किल्स' के दायरे में संबंध बनाने में कुशल, समाज के हर वर्ग में पैठ, नेतृत्व क्षमता, अच्छे के साथ अच्छे और बुरे के साथ बुरे वाली कुटिल निपुणता भी आती है।
इन सबको पाने के बाद यदि जीवन में धर्म-अध्यात्म का स्वाद नहीं है तो अच्छे प्रबंधन कौशल वाले भी शून्य-से सन्नाटे में उतर जाते हैं। संसार के कामों के साथ यदि धर्म और अध्यात्म को भी अपनाते रहें तो यह 'सॉफ्ट स्किल्स' बाहर दुनिया प्राप्त करवा देगी और भीतर दुनिया बनाने वाले से मिला देगी। इसे ही कहेंगे खूब सफलता, भरपूर शांति।