लोकतंत्र के अहसास: स्थानीय सरकार के लिए उत्साह
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 समाप्ति के बाद पहली बार हो रहे जिला विकास परिषद के चुनाव में मतदाताओं का उत्साह
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 समाप्ति के बाद पहली बार हो रहे जिला विकास परिषद के चुनाव में मतदाताओं का उत्साह लोकतंत्र में आस्था को अभिव्यक्त करता है। कड़ाके की ठंड के बाद आठ चरण वाले चुनाव के पहले चरण में मतदान केंद्रों पर लोगों की भीड़ सामान्य होती स्थितियों की ओर इशारा करती है। हाल ही में पाकिस्तानी आतंकवादियों की बड़ी साजिश को विफल करने के बाद इन चुनावों का शांतिपूर्ण संपन्न होना सुखद ही है।
कुल बावन फीसदी मतदान उत्साहवर्धक है। जिला विकास परिषद यानी डीडीसी के आठ चरणों में से पहले चरण में 43 सीटों के लिये मतदान शनिवार को शांतिपूर्वक संपन्न हुआ। केंद्रशासित प्रदेश में कुल बीस डीडीसी के लिये चुनाव होने हैं। निस्संदेह केंद्रशासित प्रदेश बनने के बाद यहां यह पहला बड़ा चुनाव है, जिसमें मुख्यधारा की राजनीति पार्टियां पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस, सीपीआई, सीपीआईएम आदि भी पीपल्स अलायंस फॉर गुपकर डिक्लेरेशन यानी पीएजीडी गठबंधन के रूप में चुनाव में भाग ले रही हैं। गुपकर गठबंधन राज्य में जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे की बहाली की मांग करता रहा है। वहीं भाजपा व पूर्व वित्त मंत्री अल्ताफ बुखारी की 'अपनी पार्टी' मुकाबले को त्रिकोणीय बना रही है।
कड़ाके की ठंड के बीच मतदाताओं की सक्रियता स्थानीय सरकार के प्रति उत्साह को दर्शाती है जो राज्य में लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति जनता के विश्वास का ही परिचायक है। बहरहाल, डीडीसी के पहले चरण में शांतिपूर्ण मतदान नई उम्मीद जगाता है। यह भी कि घाटी के लोगों में देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था से जुड़ने का जज्बा है और वे मुख्यधारा से जुड़ने के लिये लिये उत्साहित हैं जो कालांतर में विधानसभा चुनावों के लिये भी नई जमीन तैयार करता है। दरअसल, अनुच्छेद 370 को समाप्त किये जाने से पहले राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली नहीं थी।
हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा पंचायती राज अधिनियम में संशोधन को हरी झंडी देने के बाद इन चुनावों का मार्ग प्रशस्त हुआ। वहीं भाजपा का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही विधानसभा चुनाव कराये जायेंगे। अर्थात् जनसंख्या में बदलाव के प्रतिनिधित्व के आधार पर लोकसभा व विधानसभा की सीटों की सीमाओं का निर्धारण होगा। इस चुनाव का सुखद पहलू यह भी है कि विभाजन के बाद देश में लौटे लोगों को पहली बार मतदान का अधिकार मिला है,
पहले उन्हें सिर्फ लोकसभा चुनाव में ही मतदान का अधिकार था। सही मायनों में उन्हें सात दशक बाद समतामूलक लोकतंत्र में हिस्सेदारी का अवसर मिला है। वे भारतीय लोकतंत्र में अपना उज्ज्वल भविष्य देखते हैं। यह भी कि अब उनके बच्चों को जम्मू-कश्मीर में रोजगार के अवसर मिल सकेंगे।
बहरहाल, ये चुनाव भाजपा और 'अपनी पार्टी' की लोकप्रियता का मूल्यांकन करेगी। वहीं दूसरी ओर यदि गुपकर गठबंधन को बढ़त मिलती है तो विपक्षी दल उसकी व्याख्या अपनी सुविधानुसार करेंगे क्योंकि गुपकर गठबंधन जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की बहाली की मांग करता रहा है।