जब कहीं लॉकडाउन नहीं है, जब स्कूल पूरी तरह से खुल गए हैं, तब कोरोना के मामलों का फिर से बढ़ना न केवल दुख, बल्कि चिंता की भी बात है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बुधवार को कोविड-19 के 299 नए मामले दर्ज किए गए, मतलब संक्रमण में दो दिनों के भीतर 118 प्रतिशत की छलांग लग चुकी है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, कोविड सकारात्मकता दर 2.49 फीसदी पहुंच गई है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की बात करें, तो अनेक स्कूलों को कोरोना संक्रमण के चलते कुछ समय के लिए बंद करना पड़ा है। उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर में 15 बच्चों सहित 40 लोग संक्रमित पाए गए हैं। जिले में सक्रिय मामलों की संख्या 121 हो गई है। गौर करने की बात है कि किसी भी स्कूल से शिकायत नहीं मिल रही है, जबकि संदेह की स्थिति में स्कूलों को सतर्क रहना चाहिए। जब बच्चे पांच से छह घंटे स्कूल में रह रहे हों, तब उनके स्वास्थ्य की चिंता स्कूलों को भी करनी चाहिए। बच्चों को यथोचित जांच के बाद ही स्कूलों में प्रवेश देना चाहिए, क्योंकि उनकी बड़ी संख्या टीकाकरण से अभी दूर है। संक्रमण के किसी भी लक्षण के प्रति स्कूलों को पर्याप्त सावधानी बरतने की जरूरत है।
नोएडा में बुधवार को नए दिशा-निर्देश जारी हुए हैं और नई दिल्ली में शुक्रवार को जारी होने की संभावना है। बढ़ते मामलों के मद्देनजर स्कूलों से कहा गया है कि वे खांसी, सर्दी, बुखार, दस्त जैसे किसी भी लक्षण के नजर आने पर इलाज के लिए तत्काल सूचित करें। कुछ स्कूल तो फिर से ऑनलाइन पढ़ाई के विकल्प पर विचार कर रहे हैं। वैसे, यह मौसमी बीमारियों का भी समय है। मौसम बदल रहा है, तो बच्चों को परेशानी हो सकती है, अत: जितनी जिम्मेदारी अभिभावकों की है, स्कूलों को भी उतनी ही सावधानी का परिचय देना होगा। लॉकडाउन की अब कोई आशंका नहीं है और गुंजाइश भी नहीं है, अत: स्कूलों को अपने स्तर पर संक्रमण रोकने के हरसंभव उपाय करते हुए परिसर में शैक्षणिक माहौल बनाना होगा। बढ़ते मामलों को सनसनीखेज बनाने के बजाय सावधानी पर ध्यान देना चाहिए, तभी हम किसी चौथी लहर को आने से रोक पाएंगे। यह महामारी कभी भी हमला बोल सकती है और टीकाकरण के बावजूद लोग संक्रमित हो रहे हैं, अत: मास्क, परस्पर दूरी, और हाथ धोते रहने का अभी भी कोई विकल्प नहीं है।
अभी यूरोप और एशिया सहित दुनिया के अनेक इलाकों में संक्रमण के मामलों में नाटकीय वृद्धि देखी जा रही है। भारत में भी चौथी लहर की चर्चा होने लगी है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर के गणित और सांख्यिकी विभाग के एक अध्ययन में भविष्यवाणी की गई है कि इस साल जून में कोविड-19 की एक और लहर की आशंका है। वैसे आगामी लहर भारत के स्वास्थ्य ढांचे पर दबाव नहीं डालेगी व पिछली लहरों की तुलना में कम घातक होगी। स्वास्थ्य की दृष्टि से कमजोर लोगों को ज्यादा सावधान रहना होगा। विशेषज्ञ डॉक्टर वीके पॉल ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत एक और संभावित लहर के लिए तैयार है। हालांकि, क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (सीएमसी) वेल्लोर के ख्यात वायरोलॉजिस्ट डॉक्टर टी जैकब जॉन ने शनिवार को कहा कि जब तक कोई दूसरा वायरस संस्करण नहीं आता, तब तक चौथी लहर की आशंका कम है। आशंका भले ही न्यूनतम हो, लेकिन किसी तरह का खतरा मोल नहीं लेना चाहिए, तैयारी रखनी चाहिए कि अधिकतम संक्रमण का भी हम आसानी से सामना कर सकें।
क्रेडिट बाय हिन्दुस्तान