रैलियों पर पाबंदी लगे

प्रति संवेदनहीन हैं! प्रधानमंत्री यह पहल कर सकते हैं कि वह सर्वदलीय बैठक बुलाएं और चुनावी रैलियां रद्द करने का निर्णय लें।

Update: 2022-01-06 01:45 GMT

बरेली शहर में कांग्रेस ने बच्चियों की कथित मैराथन दौड़ का आयोजन किया था। कुछ बच्चियां गिर गईं, तो भगदड़ मच गई। करीब 20 बच्चियां चोटिल हुईं। शुक्र है कि हादसे ने बड़ा, त्रासद रूप धारण नहीं किया, लेकिन इस दौड़ की ज़रूरत क्या थी? एक तरफ कोरोना संक्रमण विस्फोटक होता जा रहा है, दूसरी ओर मासूम बच्चियों को लामबंद कर अपना 'लड़कीवाद' साबित करने की सनक….! अधिकतर बच्चियां मतदाता ही नहीं होंगी, लेकिन यह मौसम भीड़ जुटाने का जो है! आखिर कब तक इनसानों की जि़ंदगी से खिलवाड़ किया जाता रहेगा? मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के जन-सैलाब में संक्रमण की 100 फीसदी संभावनाएं हैं। यदि जांच कराई जाए, तो आंकड़े देखकर नेतागण भी चीख उठेंगेे! नेतागण लगातार कोरोना और खासकर ओमिक्रॉन की भयावहता को खारिज करते रहे हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने एक अन्य मुख्यमंत्री केजरीवाल को ही 'कोरोना' करार दे दिया, लेकिन पंजाब में मात्र चार दिनों के अंतराल में ही कोरोना के 400 फीसदी विस्फोट को नहीं रोक पाए। उस पर बयान तक नहीं दिया।

पटियाला मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के 100 से अधिक छात्र संक्रमित पाए गए हैं, लिहाजा होस्टल खाली करने के आदेश देने पड़े। होस्टल में करीब 1000 छात्र रहते आए हैं। न जाने कितने संक्रमित होंगे? उप्र में कोरोना के एक ही दिन में मामले 1000 को पार कर गए हैं। लखनऊ के मेदांता अस्पताल में 32 स्वास्थ्यकर्मी और डॉक्टर संक्रमित दर्ज किए गए हैं। उत्तराखंड के हरिद्वार में नए साल का जश्न मनाने गए कई लोग संक्रमित हुए हैं। गोवा क्रूज पर 66 यात्री संक्रमित मिले हैं और गिनती अभी जारी है, क्योंकि वहां करीब 2000 लोग सवार थे। गोवा सरीखे छोटे से राज्य में संक्रमण-दर 27 फीसदी को पार कर चुकी है। यह भयावह हकीकत है। मणिपुर के इम्फाल में प्रधानमंत्री मोदी के स्वागत में 'बिना मास्क की' भीड़ जमा की गई। प्रधानमंत्री के चेहरे पर भी मास्क गायब था। वह ढोल बजाने में मस्त दिखाई दिए।
बहरहाल उप्र, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर ऐसे राज्य हैं, जहां 2022 की शुरुआती तिमाही में ही चुनाव होने हैं। कोरोना विस्फोट सामने है, लेकिन राजनेता उसे 'चुनावी हव्वा' करार दे रहे हैं। राजधानी दिल्ली में चुनाव नहीं हैं, लेकिन मुख्यमंत्री केजरीवाल इन राज्यों में लगातार प्रचार करते रहे हैं। अब वह भी संक्रमित होकर पृथकवास में हैं। दिल्ली में प्रधानमंत्री और केंद्रीय कैबिनेट हैं। संसद और सर्वोच्च न्यायालय भी हैं। निर्वाचन आयोग भी है और देश के महामहिम राष्ट्रपति भी विराजमान हैं। उस राजधानी में 'सप्ताहांत कर्फ्यू' लगाना पड़ा है। एक ही दिन में 36 फीसदी मामले बढ़कर 5581 तक पहुंच चुके हैं। संक्रमण दर 9 फीसदी को छूने को है। यह 7 माह का सर्वोच्च स्तर है। एम्स और सफदरजंग समेत अन्य अस्पतालों में 400 से ज्यादा डॉक्टर और नर्सें आदि संक्रमित पाए गए हैं। अस्पतालों में दहशत फैल गई है। सभी स्तरों के स्वास्थ्यकर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं। यदि संक्रमण इतना ही फैलता रहा, तो कल्पना कीजिए कि अस्पतालों में मरीजों का इलाज कौन करेगा? देश भर में संक्रमण के आंकड़े मंगलवार देर रात तक एक ही दिन में 58,000 को पार कर गए थे। यह करीब 56 फीसदी की बढ़ोतरी है। फिर भी देश के राजनेता रैलियां सजवा कर कोरोना के प्रति संवेदनहीन हैं! प्रधानमंत्री यह पहल कर सकते हैं कि वह सर्वदलीय बैठक बुलाएं और चुनावी रैलियां रद्द करने का निर्णय लें।


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