राहुल गांधी का सिंधिया और जितिन प्रसाद पर निशाना, कहा- कांग्रेस छोड़कर जाने वाले स्वयंसेवक संघ के लोग

राहुल गांधी ने यह कहकर ज्योतिरादित्य सिंधिया और जितिन प्रसाद सरीखे नेताओं पर ही निशाना साधा कि कांग्रेस छोड़कर जाने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोग हैं।

Update: 2021-07-17 05:36 GMT

भूपेंद्र सिंह| राहुल गांधी ने यह कहकर ज्योतिरादित्य सिंधिया और जितिन प्रसाद सरीखे नेताओं पर ही निशाना साधा कि कांग्रेस छोड़कर जाने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोग हैं। इसका मतलब है कि वह उन कारणों पर गौर करने के लिए तैयार नहीं, जिनके चलते इन दोनों नेताओं ने कांग्रेस का परित्याग किया? राहुल गांधी कुछ भी दावा करें, सच यही है कि वही नेता कांग्रेस छोड़ रहे हैं जिन्हें न तो अपना और न ही पार्टी का कोई सुखद भविष्य दिख रहा है। राहुल गांधी के बयान से यह भी साफ है कि वह उन कारणों को भी समझने को तैयार नहीं, जिनके चलते कांग्रेस लगातार दो आम चुनाव बुरी तरह हारी और हाल के विधानसभा चुनावों में भी कुछ खास नहीं कर पाई। बंगाल में उसे एक भी सीट नहीं मिली और केरल में इस बार उसके नेतृत्व वाले लोकतांत्रिक मोर्चे की बारी होते हुए भी वाम मोर्चा फिर से सत्ता में आ गया। राहुल गांधी के बयान से यह भी लगता है कि वह उन नेताओं को भी कोई सख्त संदेश देना चाहते हैं जो पार्टी संचालन के तौर-तरीकों से सहमत नहीं और जिन्हें जी-23 समूह का सदस्य माना जाता है। यदि राहुल गांधी इस समूह के नेताओं को आरएसएस की विचारधारा पर यकीन करने वाला अथवा डरपोक करार देना चाहते हैं तो इसका यह भी मतलब है कि वह कांग्रेस में कोई सुधार या बदलाव लाने के बजाय उसे वैसे ही चलाना चाहते हैं, जैसे बीते लगभग दो साल से चला रहे हैं। उन्होंने दो साल पहले आम चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेते हुए कांग्रेस का अध्यक्ष पद छोड़ दिया था, लेकिन तबसे वह बिना कोई जिम्मेदारी लिए पार्टी को पिछले दरवाजे से संचालित कर रहे हैं। क्या वह इस व्यवस्था से असहमत लोगों को आरएसएस का आदमी करार देंगे? उनकी मर्जी, लेकिन उन्हेंं इससे अवगत होना चाहिए कि कथित तौर पर आरएसएस-भाजपा से न डरने वालों के लिए कांग्रेस कोई आदर्श विकल्प नहीं रह गई है।

यह एक तथ्य है कि विभिन्न राज्यों में क्षेत्रीय दल कांग्रेस की जमीन पर काबिज हो रहे हैं। कहीं-कहीं तो भाजपा भी कांग्रेस को उसकी जमीन से बेदखल कर रही है। आज राहुल गांधी को भले ही भाजपा-आरएसएस से न डरने वाले नेता चाहिए हों, लेकिन इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि एक समय वह इन दोनों संगठनों के डर से ही मंदिर-मंदिर जा रहे थे और खुद को जनेऊधारी बताने के साथ अपने गोत्र की जानकारी भी दे रहे थे। राहुल गांधी ने भाजपा-आरएसएस से निडर रहने को अपनी विचारधारा बताया, लेकिन सच तो यह है कि किसी को नहीं पता कि आज कांग्रेस वस्तुत: किस विचार पर चल रही है।


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