गुत्थी परीक्षा की
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की परीक्षाएं रद्द करने का फैसला हालात को देखते हुए तो उचित ही है। ज्यादातर राज्य भी परीक्षाएं कराने के पक्ष में थे नहीं।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की परीक्षाएं रद्द करने का फैसला हालात को देखते हुए तो उचित ही है। ज्यादातर राज्य भी परीक्षाएं कराने के पक्ष में थे नहीं। फिर, विद्यार्थियों और अभिभावकों के लिए भी परीक्षाएं किसी जोखिम से कम नहीं होतीं। स्कूल प्रबंधन भी परीक्षाएं टालने की वकालत कर रहे थे। कुल मिला कर सभी पक्ष परीक्षाओं को टालने या रद्द करने की मांग कर रहे थे। और इसीलिए ही पिछले महीने पंद्रह अप्रैल को सीबीएसई की दसवीं की परीक्षा रद्द कर दी गई थी। लेकिन बारहवीं की परीक्षा को लेकर तब कोई फैसला नहीं हो सका था। ऐसे संकेत थे कि बारहवीं की परीक्षाएं जून में करवा ली जाएंगी। एक जून को परीक्षा की तारीख का एलान होना था। इसके लिए केंद्र ने राज्यों से सुझाव मांगे थे। पर हालात को देखते हुए ज्यादातर राज्य इसके लिए राजी नहीं थे। इसीलिए मंगलवार को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में परीक्षाएं रद्द करने का फैसला हुआ। पर मामला सिर्फ सीबीएसई की परीक्षा तक ही सीमित नहीं है। इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (आइसीएसई) और गुजरात, हरियाणा जैसे कुछ राज्यों के बोर्डों ने भी बारहवीं की परीक्षाएं रद्द कर दीं। बाकी राज्य भी इस दिशा में बढ़ने की तैयारी में हैं।