उचित कदम
गृहमंत्री अमित शाह ने घर-घर जाकर चुनाव प्रचार करने का अपना कार्यक्रम फिलहाल रोक दिया है। शनिवार को उत्तर प्रदेश के देवबंद में वे प्रचार करने गए थे, पर वहां उमड़ी भीड़ और निर्वाचन आयोग के निर्देशों का उल्लंघन होता देख उन्होंने अपना कार्यक्रम रद्द कर दिया।
गृहमंत्री अमित शाह ने घर-घर जाकर चुनाव प्रचार करने का अपना कार्यक्रम फिलहाल रोक दिया है। शनिवार को उत्तर प्रदेश के देवबंद में वे प्रचार करने गए थे, पर वहां उमड़ी भीड़ और निर्वाचन आयोग के निर्देशों का उल्लंघन होता देख उन्होंने अपना कार्यक्रम रद्द कर दिया। अपने कार्यक्रम की अवधि पच्चीस मिनट से घटा कर पांच मिनट कर दी। दरअसल, कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों की रैलियों पर रोक लगा रखी है। उचित दूरी बनाए रखने और सीमित संख्या में कार्यकर्ताओं-समर्थकों के साथ घर-घर प्रचार करने की इजाजत है।
इंटरनेट के जरिए प्रचार किया जा सकता है, पर उसमें भी ध्यान रखना जरूरी है कि अधिक भीड़भाड़ न हो। इस लिहाज से गृहमंत्री का फैसला उचित कहा जा सकता है। हालांकि इसके पहले जब उन्होंने कैराना में घर-घर जाकर जनसंपर्क किया था, उस वक्त खासी भीड़ जुटी थी, जिसे लेकर विपक्षी दलों को उन पर निशाना साधने का मौका मिल गया था। कुछ दलों ने निर्वाचन आयोग से उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने तक की मांग कर डाली थी। इसी तरह जनसंपर्क के दौरान उनके लोगों को पर्चे बांटने के तरीके पर भी एतराज जताया गया था।
दरअसल, निर्वाचन आयोग के ताजा दिशा-निर्देशों का पालन करना तमाम राजनीतिक दलों के लिए इसलिए भी मुश्किल जान पड़ रहा है कि वे परंपरागत तरीके से बड़ी सभाएं जुटा कर और भीड़भाड़ के साथ चुनाव प्रचार करने के अभ्यस्त हैं। फिर अमित शाह जैसे लोगों की सुरक्षा आदि के इंतजाम में ही इतने लोग शामिल हो जाते हैं, जो निर्वाचन आयोग की निर्धारित संख्या से अधिक हो जाते हैं। फिर जिस नेता का जितना बड़ा कद होता है, लोग भी उसी के हिसाब से जुटते हैं। उन्हें कैसे नियंत्रित किया जाए, यह देखना प्रशासन की जिम्मेदारी है।