सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण जायज नहीं
सरकार की पीएसयू बंैकों का निजीकण करने के पीछे क्या सोच होगी यह तो वही जाने, लेकिन ऐसा करने का कोई औचित्य नही रहता है
सरकार की पीएसयू बंैकों का निजीकण करने के पीछे क्या सोच होगी यह तो वही जाने, लेकिन ऐसा करने का कोई औचित्य नही रहता है क्योंकि बैंक अपना पूरा खर्च अपनी आय की रकम से करते हैं और हर वर्ष लाभ के हजारों करोड़ रुपए केंद्र सरकार के खजाने में देते हैं। ऊपर से सरकार की प्रायोजित ऋण योजना में अरबों रुपयों का ऋण देते हैं। बैंक पेंशनरों के लिए पीएसयू बैंकों ने पेंशन फंड बनाया है और बैंक सरकार के बजट पर निर्भर नहीं करते हैं। निजीकरण की योजना से न तो बैंक कर्मियों को, न ही जमाकर्ताओं को और न ही सरकार को फायदा होगा। निजी क्षेत्र के बैंक सरकारी लोन स्कीमों के तहत ऋण वितरण करने को बाध्य नहीं होते हैं। आज देश और जनता जिस मुकाम पर है, इसमें सरकारी क्षेत्र के बैंकों का बड़ा योगदान रहा है।
-रूप सिंह नेगी, सोलन
सोर्स- divyahimachal